Sunday, May 10, 2009

ससुर ने बहु को चोदा

लेकिन कोमल जानती थी की
शायद ससुर जी पहल नहीं करेंगे. उन्हें बढ़ावा देना पड़ेगा. अबतो वो भी ससुर जी के लंड के दर्शन करने के लिए तड़प रही थी.जब से रामलाल को पता लगा था की बहू रात को सोते वक़्त ब्रा और पॅंटीउतार के सोती है तब से वो इस चक्कर में रहता था की किसी तरहबहू के नंगे बदन के दर्शन हो जाएँ. इसी चक्कर में रामलाल एकदिन सवेरे जल्दी उठ कर बहू को चाय देने के बहाने उसके कमरे मेंघुस गया. कोमल बेख़बर घोड़े बेच कर सो रही थी. वो पेट के बलपारी हुई थी और उसकी नाइटी जांघों तक उठी हुई थी. बहू की गोरीगोरी मोटी मांसल जांघें देख के रामलाल का लंड फंफनाने लगा.उसका दिल कर रहा था की नाइटी को ऊपर खिसका के बहू के विशालमादक चूतडों के दर्शन कर ले, लेकिन इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाया.रामलाल ने चाय टेबल पे रखी और फिर बहू के विशाल चूतडों कोहिलाते हुए बोला,” बहू उठो, चाय पी लो.” कोमल हर्बरा के उठी. गहरी नींद से इसतरह हर्बरा के उठ कर बैठते हुए कोमल की नाइटी बिल्कुल हीऊपर तक सरक गयी और इससे पहले की वो अपनी नाइटी ठीक करे,एक सेकेंड के लिए रामलाल को कोमल की गोरी गोरी मांसल जांघों केबीच में से घने बालों से ढाकी हुई चूत की एक झलक मिल गयी.” अरे पिताजी आप?”” हां बहू हुँने सोचा रोज़ बहू हुमें चाय पिलाती है तो आज क्योंना हम बहू को चाय पिलाएँ.”” पिताजी आपने क्यों तकलीफ़ की. हम उठ के चाय बना लेते.” मन हीमन कोमल जानती थी ससुर जी ने इतनी तकलीफ़ क्यों की. पता नहींससुर जी कितनी देर से उसकी जवानी का अपनी आँखों से रास्पान कर रहेथे.” अरे इसमें तकलीफ़ की क्या बात है. तुम चाय पी लो.” ये कह कररामलाल चला गया. कोमल ने नोटीस किया की ससुर जी का लंड खराहुआ था जिसको च्छूपाते हुए वो बाहर चले गये. कोमल के दिमाग़में एक प्लान आया. वो देखना चाहती थी की अगर ससुर जी को इस तरहका मोका मिल जाए तो वो किस हद तक जा सकते हैं. उस रात कोमल नेसिर दर्द का बहाना किया और ससुर जी से सिर दर्द की दवा माँगी.” पिता जी हमार सिर में बहुत दूर्द हो रहा है. सिर दर्द और नींदकी गोली भी दे दीजिए.”” हां बहू सिर दर्द के साथ तुम दो नींद की दो गोली ले लो ताकि रातमें डिस्टर्ब ना हो.” कोमल समझ गयी की ससुरजी नींद की दो गोलीखाने के लिए क्यों कह रहे हैं. उसका प्लान सफल होता नज़र आ रहाथा. उसे पूरा विश्वास था की आज रात ससुर जी उसके कमरे मेंज़रूर आएँगे. रात को सोने से पहले ससुर जी ने अपने हाथों सेकोमल को सिर दर्द और नींद की दो गोलियाँ दी. कोमल गोलियाँ ले करअपने कमरे में आई और गोलिओं को तो बाथरूम में फेंक दिया. ससुरजी को यह दिखाने के लिए की वो सिर दर्द से बहुत परेशान और थॅकीहुई है, कोमल ने सारी उतार के पास पारी कुर्सी पे फेंक दी. फिरउसने अपनी पॅंटी और ब्रा उतारी और बिस्तेर के पास ज़मीन पर फेंकदी. ब्लाउस के सामने वाले तीन हुक्स में से दो हुक खोल दिए. अबतो उसकी बरी बरी चूचियाँ ब्लाउस में सिर्फ़ एक ही हुक के कारण क़ैदथी. कोमल का आज नाइटी के बजाए ब्लाउस और पेटिकोट में हीसोने का इरादा था ताकि ससुर जी को ऐसा लगे की सिर दर्द और नींदके कारण उसने नाइटी भी नहीं पहनी. आज तो उसने अपने वरांडे कीलाइट भी ऑफ नहीं की ताकि थोरी रोशनी अन्दर आती रहे और ससुर जीउसकी जवानी को देख सकें. पूरी तायारी करके कोमल ने अपने बॉलभी खोल लिए और बिस्तेर पे बहुत मादक डंग से लेट गयी. वो पेटके बल लेटी हुई थी और उसने पेटिकोट इतना ऊपर चढ़ा लिया की अबवो उसके चूतडों से दो इंच ही नीचे था. कोमल की गोरी गोरीमांसल जांघें और टाँगें पूरी तरह से नंगी थी. ससुर जी केस्वागत की पूरी तायारी हो चुकी थी. रात भी काफ़ी हो चुकी थी औरकोमल बरी बेसब्री से ससुर जी के आने का इंतज़ार कर रही थी. वोसोच रही थी की ससुर जी उसको गहरी नींद में समझ कर क्या क्याकरेंगे. रात को करीब एक बजे के आस पास कोमल को अपने कमरे कादरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. उसकी साँसें तेज़ हो गयी. थोरा थोरादर्र भी लग रहा था. ससुर जी दबे पाओं कमरे में घुसे और सामनेका नज़ारा देख के उनका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. बहू इतनी थॅकीहुई और नींद में थी की उसने नाइटी तक नहीं पहनी. पेट के बलपरी हुई बहू के चूतडों का उभार बहुत ही जान लेवा था. बाहर सेआती हुई भीनी भीनी रोशनी में जांघों तक उठा हुआ पेटिकोट बहूकी नंगी टाँगों को बहुत ही मादक बना रहा था. बहू ऐसे टाँगेंफैला के परी हुई थी की थोरा सा पेटिकोट और ऊपर सरक जाता तोबहू की लाजाब चूत के दर्शन हो जाते जिसकी झलक रामलाल पहले भीदेख चुक्का था. आज मौका था जी भर के बहू की चूत के दर्शनकरने का. रामलाल मन ही मन माना रहा था की कहीं बहू कच्छी पहनके ना सो गयी हो. तभी उसकी नज़र बिस्तेर के पास ज़मीन पे परी हुईकच्छी और ब्रा पे पर गयी. रामलाल का लंड बुरी तरह से खड़ा होगया था. रामलाल सोच रहा था.की बेचारी बहू इतनी नींद में थी कीकच्छी और ब्रा भी ज़मीन पे ही फेंक दी. अब तो उसे यकीन था कीबहू पेटिकोट और ब्लाउस के नीचे बिकुल नंगी थी. सारा दिन ब्रा औरकच्छी में कसी हुई जवानी को बहू ने रात को आज़ाद कर दिया था.और आज रात रामलाल बहू की आज़ाद जवानी के दर्शन करने का इरादाकर के आया था. फिर भी वो यकीन करना चाहता था की बहू गहरीनींद में सो रही है. उसने कोमल को धीरे से पुकारा,” बहू! बहू! सो गयी क्या?” कोई जबाब नहीं. अब रामलाल ने धीरे सेकोमल को हिलाया. अब भी बहू ने कोई हरकत नहीं की. रामलाल कोयकीन हो गया की नींद की गोली ने अपना काम कर दिया है. कोमलआँखें बूँद किए परी हुई थी. अब रामलाल की हिम्मत बरह गयी. वोबहू की कच्छी को उठा के सूघने लगा. बहू की कच्छी की गंध नेउसे मदहोश कर दिया. सारा दिन पहनी हुई कच्छी में चूत, पेशाबऔर शायद बहू की चूत के रूस की मिलीजुली खुश्बू थी. लॉडा बुरीतरह से फँफनाया हुआ था. रामलाल ने बहू की कच्छी को जी भर केचूमा और उसकी मादक गंध का आनंद लिया. अब रामलाल पेट के बल परीहुई बहू के पैरों की तरफ आ गया. बहू की अलहारह जवानी अब उसकेसामने थी. रामलाल ने धीरे धीरे बहू के पेटिकोट को ऊपर की ओरसरकाना शुरू कर दिया. थोरी ही देर में पेटिकोट बहू की कमर तकऊपर उठ चक्का था. सामने का नज़ारा देख के रामलाल की आँखेंफटी रह गयी. बहू कमर से नीचे बिल्कुल नंगी थी. आज तक उसनेइतना खूबसूरत नज़ारा नहीं देखा था. बहू के गोरे गोरे मोटे मोटेफैले हुए छूटेर बाहर से आती हुई भीनी भीनी रोशनी में बहुतही जान लेवा लग रहे थे. रामलाल अपनी ज़िंदगी में काई औरतों कोचोद चक्का था लेकिन आज तक इतने सेक्सी नितूंब किसी भी औरत के नहींथे. रामलाल मन ही मन सोचने लगा की अगर ऐसी औरत उसे मिल जाए तोवो ज़िंदगी भर उसकी गांड ही मारता रहे. लेकिन ऐसी किस्मत उसकीकहाँ? आज तक उसने किसी औरत की गांड नहीं मारी थी. मारने की तोबहुत कोशिश की थी लेकिन उसके गधे जैसे लंड को देख कर किसीऔरत की हिम्मत ही न्हीं हुई. पता नहीं बेटा बहू की गांड मारता हैकी नहीं. उधर कोमल का भी बुरा हाल था. उसने खेल तो शुरू करदिया लेकिन अब उसे बहुत शरम आ रही थी और थोरा डर भी लग रहाथा.. हालाँकि एक बार पहले वो ससुर जी को अपने नंगे बदन केदर्शन करा चुकी थी लेकिन उस वक़्त ससुर जी बहुत दूर थे. आज तोससुर जी अपने हाथों से उसे नंगी कर रहे थे. फैली हुई टाँगोंके बीच से चूत के घने बालों की झलक मिल रही थी. रामलाल नेबहुत ही हल्के से बहू के नंगे चूतडों पे हाथ फेरना शुरू करदिया. कोमल के दिल की धड़कन तेज़ होने लगी. रामलाल ने हल्के से एकउंगली कोमल के चूतडों की दरार में फेर दी. लेकिन कोमल जिसमुद्रा में लेटी हुई थी उस मुद्रा में उसकी गांड का च्छेद दोनोचूतरो के बीच बंड था. आकीर कोमल एक औरत थी. एक मारद काहाथ उसके नंगे चूतडों को सहला रहा था. अब उसकी चूत भी गीलीहोने लगी. अभी तक कोमल अपनी दोनो टाँगें सीधी लेकिन थोरीचौरी करके पेट के बाल लेटी हुई थी.. ससुर जी को अपनी चूत कीझलक और अक्च्ची तरह देने के लिए अब उसने एक टाँग मोर के ऊपरकर ली. ऐसा करने से अब कोमल की चूत उसकी टाँगों के बीच मेंसे सॉफ नज़र आने लगी. बिल्कुल सॉफ तो नहीं कहेंगे, लेकिन जितनीसॉफ उस भीनी भीनी रोशनी में नज़र आ सकती थी उतनी सॉफ नज़र आरही थी. गोरी गोरी मांसल जांघों के बीच घनी और लुंबी लुंबीझांतों से ढाकी बहू की खूब फूली हुई चूत देख के रामलाल कीलार टपकने लगी. हालाँकि गांड का च्छेद अब भी नज़र नहीं आ रहाथा. रामलाल ने नीचे झुक के अपना मुँह बहू की जांघों के बीच डालदिया. बहू की झांतों के बॉल उसकी नाक और होंठों से टच कर रहेथे. अब कुत्ते की तरह वो बहू की चूत सूंघने लगा. कोमल कीचूत काफ़ी गीली हो चुकी थी और अब उसमे से बहुत मादक खुश्बूआ रही थी. आज तक तो रामलाल बहू की पॅंटी सूंघ कर ही काम चलारहा था लेकिन आज उसे पता चला की बहू की चूत की गंध में क्याजादू है. रामलाल को ये भी अक्च्ची तरह समझ आ गया कोई कुत्ताकुतिया को चोद्ने से पहले उसकी चूत क्यों सूघता है. रामलाल नेहिम्मत करके हल्के से बहू की चूत को चूम लिया. कोमल इस के लिएतयर नहीं थी. जैसे ही रामलाल के होंठ उसकी चूत पे लगे वोहार्बरा गयी. रामलाल झट से चारपाई के नीचे च्छूप गया. कोमलअब सीधी हो कर पीठ के बाल लेट गयी लेकिन अपना पेटिकोट जो कीकमर तक उठ चक्का था नीचे करने की कोई कोशिश नहीं की. रामलालको लगा की बहू फिर सो गयी है तो वो फिर चारपाई के नीचे सेबाहर निकला. बाहर निकल के जो नज़ारा उसेके सामने था उसे देख केवो डंग रह गया.बहू अब पीठ के बाल परिहुई थी. पेटिकोट पेट तकऊपर था ओर उसकी चूत बिल्कुल नंगी थी. रामलाल बहू की चूत देखताही रहा गया. घने काले लूंबे लूंबे बालों से बहू की चूत पूरीतरह ढाकी हुई थी. बॉल उसकी नाभि से करीब तीन इंच नीचे से हीशुरू हो जाते थे. रामलाल ने आज तक किसी औरत की चूत पे इतनेलूंबे और घने बॉल नहीं देखे थे. पूरा जंगल उगा रखा था बहूने. ऐसा लग रहा था मानो ये घने बॉल बुरी नज़रों से बहू की चूतकी रक्षा कर रहे हों. अब रामलाल की हिम्मत नहीं हुई की वो बहू कीचूत को सहला सके क्योंकि बहू पीठ के बाल पारी हुई थी और अब अगरउसकी आँख खुली तो वो रामलाल को देख लेगी. बहू के होंठ थोरे थोरेखुले हुए थे. रामलाल बहू के उन गुलाबी होंठों को चूसना चाहताथा लेकिन ऐसा कर पाना मुश्किल था. फिर अचानक रामलाल के दिमाग़में एक प्लान आया. उसने बहू का पेटिकोट धीरे से नीचे करके उसकीनंगी चूत को ढक दिया. अब उसने अपना फनफ़नेया हुआ लॉडा अपनी धोतीसे बाहर निकाला और धीरे से बहू के खुले हुए गुलाबी होंठों केबीच टीका दिया. कोमल को एक सेकेंड के लिए साँझ नहीं आया की उसकीहोंठों के बीच ये गरम गरम ससुर जी ने क्या रख दिया लेकिन अगलेही पल वो साँझ गयी की उसके होंठों के बीच ससुर जी का ताना हुआलॉडा है. मारद के लंड का टेस्ट वो अक्च्ची तरह पहचानती थी. अपनेदेवर का लंड वो ना जाने कितनी बार चूस चुकी थी. वो एक बार फिरहार्बारा गयी लेकिन इस बार बहुत कोशिश करके वो बिना हीले आँखेंबूँद किए पारी रही. ससुर जी के लंड के सुपरे से निकले हुए रस नेकोमल के होंठों को गीला कर दिया. कोमल के होंठ थोरे और खुलगये. रामलाल ने देखा की बहू अब भी गहरी नींद में है तो उसकीहिम्मत और बरह गयी. बहू के होंठों की गर्मी से उसका लंड बहू केमुँह में घुसने को उतावला हो रहा था. रामलाल ने बहुत धीरे सेबहू के होंठों पे पाने लंड का दबाव बारहाना शुरू किया. लेकिन लंडतो बहुत मोटा था. मुँह में लेने के लिए कोमल को पूरा मुँह खोलनापरता. रामलाल ने अब अपना लंड बहू के होंठों पे रगर्ना शुरू कर दियाऔर साथ में उसके मुँह में भी घुसेरने की कोशिश करने लगा.रामलाल के लंड का सुपरा बहू के थूक से गीला हो चक्का था. कोमलकी चूत बुरी तरह गीली हो गयी थी. उसका अपने ऊपर कंट्रोल टूटरहा था. उसका दिल कर रहा था की मुँह खोल के ससुर जी के लंड कासुपरा मुँह में लेले. अब नाटक ख्तम करने का वक़्त आ गया था.कोमल ने ऐसा नाटक किया जैसे उसकी नींद खुल रही हो. रामलाल तोइस के लिए टायर था ही. उसने झट से लंड धोती में कर लिया. बहूका पेटिकोट तो पहले ही तीक कर दिया था. कोमल ने धीरे धीरेआँखें खोली और ससुर जी को देख कर हार्बारा के उठ के बैठने कानाटक किया. वो घबराते हुए अपने अस्त व्यस्त कापरे ठीक करते हुए बोली,” पिता जी….आअप..! यहाँ क्या कर रहे हैं?”” घबराव नहीं बेटी, हम तो देखने आए थे की कहीं तुम्हारी तबीयतऔर ज़्यादा तो खराब नहीं हो गयी. कैसा लग रहा है ?” रामलाल बहूके माथे पे हाथ रखता हुआ बोला जैसे सुचमुच बहू का बुखारचेक कर रहा हो. कोमल के ब्लाउस के तीन हुक खुले हुए थे. वोअपनी चूचीोन को धकते हुए बोली,” जी.. मैं अब बिल्कुल ठीक हूँ. नींद की गोलियाँ खा के अक्च्ची नींदआ गयी थी. लेकिन आप इतनी रात को….?”” हां बेटी, बहू की तबीयत खराब हो तो हुमें नींद कैसे आती.सोचा देख लें तुम ठीक से सो तो रही हो.”” सच पिता जी आप कितने अक्च्चे हैं.. हम तो बहुत लकी हैं जिसेइतने अक्च्चे सास और ससुर मिले.”” ऐसा ना कहो बहू. तुम रोज़ हुमारी इतनी सेवा करती हो तो क्या हम एकदिन भी तुम्हारी सेवा नहीं कर सकते? हुमारी अपनी बेटी होती तो क्याहम ये सूब नहीं करते” रामलाल प्यार से बहू की पीठ सहलाते हुएबोला. कोमल मन ही मन हंसते हुए सोचने लगी, अपनी बेटी को भीआधी रात को नंगी करके उसके मुँह लंड पेल देते?” पिता जी हम बिल्कुल ठीक हैं. आप सो जाइए.”” अक्च्छा बहू हम चलते हैं. आज तो तुमने कापरे भी नहीं बदले.बहुत तक गयी होगी.”” जी सिर में बहुत दर्द हो रहा था.”” हम समझते हैं बहू. अरे ये क्या ? तुम्हारी कच्छी और ब्रा नीचेज़मीन पे पारी हुई है.” रामलाल ऐसे बोला जैसे उसकी नज़र बहू कीकच्छी और ब्रा पर अभी पारी हो. रामलाल ने बहू की कच्छी और ब्राउठा ली.” जी हमें दे दीजिए.” कोमल शरमाते हुए बोली.” तुम आराम करो हम धोने डाल देंगे. लेकिन ऐसे अपनी कच्छी मूतपेंका करो. वो कला नाग सूघता हुआ आ जाएगा तो क्या होगा? उस दिन तोतुम बच गयी नहीं तो टाँगों के बीच में ज़रूर काट लेता.”कोमल ने मम ही मन कहा वो काला नाग काटे या ना काटे लेकिन ससुरजी की टाँगों के बीच का काला नाग ज़रूर किसी दिन काट लेगा. रामलालबहू की कच्छी और ब्रा ले के चला गया. कोमल अच्छी तरह जानतीथी की उसकी कच्छी का क्या हाल होने वाला है. रामलाल बहू की कच्छीअपने कमरे में ले गया और उसकी मादक खुश्बू सूंघ के अपने लंडके सुपारे पे रख के रगार्ने लगा. हुमेशा की तरह ढेर सारा वीरयाबहू की कच्छी में उंड़ेल दिया और लंड कुकच्ची से पोंच्छ के उसेधोने में डाल दिया. कच्छी की दास्तान कोमल को अगले दिन कापरेढोते समय पता लग गयी.कोमल का प्लान तो सफल हो गया और ससुर जी के इरादे भी बिल्कुलसॉफ हो गये थे लेकिन कोमल अभी तक ससुर जी के लंड के दर्शननहीं कर पाई थी.लेकिन वो जानती थी की…

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