Tuesday, May 12, 2009

चुदाई की कहानी

Archive for the ‘Hindi Stories’ Category
मेरी बॉस और मैं बेचारा
April 29th, 2009
No comments
प्रेषक : राम शर्मा
हाय! मैं हूँ रवि, मैं पंजाब में रहता हूँ। यह कहानी यहां से शुरु होती है …………
सबसे पहले मैं अपनी बॉस का धन्यवाद करना चाहूंगा जिसकी बदौलत मैं आज मस्ती के उस मुकाम पर पहुंचा हूँ जहां मेरी वासना का ज्वार हर लहर के साथ टूट कर नहीं बिखरता। हर एक लहर अगली लहर को तब तक बढ़ाती है जब तक कि आखिरी मंजिल पर पहुंच कर एक जबरदस्त उफान के साथ मेरे प्यार का लावा असीम आनन्द देता हुआ मेरे साथी को अपने साथ बहा ले जाता है।
बात उस समय की है जब मैं एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम कर रहा था।
मिस रचना मेरी बॉस थी। उम्र रही होगी करीब २८ साल की। लम्बी करीब ५’८” और सारी गोलाईयां एकदम परफेक्ट। अफवाह थी कि वो मिस इन्डिया में भी भाग ले चुकी थी। पर गजब की सख्ती बरतती थी वो हम सब के साथ। किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि उनके बारे में सपने में भी गलत बात सोचें। वो हम सब से दूरी बना कर रखती थी।
मैं नया नया आया था। इसलिए एकाध बार उनके साथ गरम जोशी से बात बढ़ाने की गुस्ताखी कर चुका था। पर उनकी तरफ से आती बर्फीली हवाओं में मेरा सारा जोश काफूर हो गया। अब मुझे मालूम हुआ कि मेरे साथियों ने उनका नाम मिस आईस-मेडन क्यों रखा है। पर मुझे क्या पता था कि ऊपर वाले दया ऊपर वाली की मर्जी क्या है।
एक दिन हमारे आफिस का नेटवर्क गडबडा गया। कभी ऑन होता तो कभी ऑफ। उस दिन शनिवार था। मैं दिन भर उसी में उलझा रहा पर उस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया। आखिर थक कर मैंने मैडम को कहा कि अगले दिन यानि रविवार को सुबह नौ बजे आकर इस को ठीक करने की कोशिश करूंगा। मैंने उनसे आफिस की चाभियां ले लीं।
अगले दिन जब मैं नौ बजे ऑफिस पहुंचा तो देखा कि रचना मैडम मेन-गेट के सामने खड़ी हैं। मैंने उन्हें विश किया और पूछा, “आप यहां क्या कर रही हैं?”
बोलीं, “बस ऐसे ही घर में बोर हो रही थी तो सोचा कि यहां आकर तुम्हारी मदद करूं !”
हम दरवाजा खोलकर अन्दर गए।
मैडम ने कहा कि आज इतवार होने की वजह से कोई नहीं आएगा। इसलिए सुरक्षा के ख्याल से दरवाजा अन्दर से बन्द कर लो।
मैंने उनके कहे अनुसार दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया। अब पूरे आफिस में हम दोनों अकेले थे और हमें कोई डिस्टर्ब भी नहीं कर सकता था। मुझे रचना मैडम की नीयत ठीक नहीं लग रही थी। दाल में जरूर कुछ काला था। नहीं तो भला आज छुट्टी के दिन एक छोटी सी समस्या के लिए उन को दफ्तर आने की क्या जरूरत?
मैडम घूम कर कम्प्यूटर लैब की तरफ चल दी और मैं भी मन्त्रमुग्ध सा उनके पीछे पीछे चल दिया। पूरे माहौल में उनके जिस्म की खुशबू थी। जब हम कॉरीडोर में थे तो मैंने उनकी पिछाड़ी पर गौर किया।
हाय क्या फिगर था। हालांकि मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूँ पर यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि अगर रचना मैडम किसी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग ले तो अच्छे अच्छों की छुट्टी कर दें और देखने वाले अपने लण्ड संभालते रह जाएं। उनकी मस्तानी चाल को देख कर यूं लग रहा था मानो फैशन शो की रैम्प पर कैट-वॉक कर रही हो। उनके चूतड़ पेन्डुलम की तरह दोनों तरफ झूल रहे थे।
उन्होंने गहरे नीले रंग का डीप गले का चोलीनुमा ब्लाउज मैचिंग पारदर्शी साड़ी के साथ पहना था। उनकी पीठ तो मानो पूरी नंगी थी सिवाय एक पतली सी पट्टी के जो उनके ब्लाउज को पीछे से संभाले हुई थी। उन्होंने साड़ी भी काफी नीची बांधी हुई थी जहां से उनके चूतड़ों की घाटी शुरू होती है। बस यह समझ लो कि कल्पना के लिए बहुत कम बचा था। सारे पत्ते खुले हुए थे।
अगर मुझमें जरा भी हिम्मत होती तो साली को वहीं पर पटक कर चोद देता। पर मैडम के कड़क स्वभाव से मैं वाकिफ था और बिना किसी गलत हरकत के मन ही मन उनके नंगे जिस्म की कल्पना करते हुए चुपचाप उनके पीछे पीछे चलता रहा।
मैडम ने कल्पना के लिए बहुत ही कम छोड़ा था। साड़ी भी कस कर लपेटे हुई थी जिससे कि उनके मादक चूतड़ और उभर कर नजर आ रहे थे और दोनों चूतड़ों की थिरकन साफ साफ देखी जा सकती थी।
मैंने गौर किया कि चलते वक्त उनके चूतड़ अलग अलग दिशाओं में चल रहे थे। पहले एक दूसरे से दूर होते फिर एक दूसरे के पास आते। मानो उनकी गाण्ड खुल बन्द हो रही हो। जब दोनों चूतड़ पास आते तो उनकी साड़ी गाण्ड की दरार में फंस जाती थी। यह सीन मुझे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था और मन कर रहा था कि साड़ी के साथ साथ अपने लण्ड को भी उनकी गाण्ड की दरार में डाल दूं।
बड़ा ही गुदाज बदन था रचना मैडम का।
लैब तक पहुंचते पहुंचते मेरी हालत खराब हो गई थी और मुझे लगने लगा कि अब और नहीं रूका जाएगा। लैब के दरवाजे पर पहुंच कर मैडम एकाएक रूक कर पलटी और मुझसे ऊपर की सेल्फ के केबल कनेक्शन जांचने को कहा। उनकी इस अचानक हरकत से मैं संभल नहीं पाया और अपने आप को संभालने के लिए अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिए।
मैडम ने एक दबी मुस्कराहट के साथ कहा, “कोई शैतानी नहीं !” और मेरे हाथ अपनी कमर से हटा दिए। मैंने झेंपते हुए उनसे माफी मांगी और लैब में ऊपर की सेल्फ से कम्प्यूटर हटाने लगा। मैडम भी उसी सेल्फ के पास झुककर नीचे के केबल देखने लगी।
उनकी साड़ी का पल्लू सरक गया जिससे कि उनकी चूचियों का नजारा मेरे सामने आ गया। हाय क्या कमाल की चूचियां थीं।
एक पल को तो लगा कि दो चांद उनकी चोली में से झांक रहे हों। वो ब्रा नहीं पहने थी जिससे कि चूची दर्शन में कोई रूकावट नहीं थी। और काम करना मेरे बस में नहीं था। मैं खड़े खड़े उस खूबसूरत नजारे को देखने लगा। चोली के ऊपर से पूरी की पूरी चूचियां नजर आ रही थीं। यहां तक कि उनके खड़े गुलाबी निप्पल भी साफ मालूम दे रहे थे।
शायद उन्हें मालूम था कि मैं ऊपर से फ्री शो देख रहा हूं। इसीलिए मुझे छेड़ने के लिए वो और आगे को झुक गई जिससे उनकी पूरी की पूरी चूचियां नजर आने लगीं।
हाय क्या नजारा था। मैं खुशी खुशी चूचियों की घाटी में डूबने को तैयार था। ऐस लगता था मानो दो बड़े बड़े कश्मीरी सेब साथ साथ झूल रहो हों। एकाएक मैडम ने अपना सर ऊपर उठाया और मुझे अपनी चूचियों को घूरते हुए पकड़ लिया। जब हमारी नजर मिली तो अपने निचले होठ को दांतों में दबा कर मुस्कराते हुए बोली “ऐ ! क्या देखता है?”
मैं सकपका गया और कुछ भी नहीं बोल पाया।
मैडम ने मेरे चूतड़ों पर हल्की सी चपत जमा कर कहा, ” शैतान कहीं के ! फ्री शो देख रहा है !”
मेरा चेहरा लाल हो गया उनके मुस्कराने के अन्दाज से मैं और भी उत्तेजित हो गया और मेरा लौड़ा जीन्स के अन्दर ही तन कर बाहर निकलने को बेचैन होने लगा। मैंने अपनी जीन्स को हिला कर लण्ड को ठीक करने की कोशिश की पर मुझे इसमें कामयाबी नहीं मिली। लण्ड इतना कड़ा हो गया था कि पूछो मत। बस ऊपर ही ऊपर होता जा रहा था और मेरी जीन्स उठती ही जा रही थी।
मैडम ने मेरी परेशानी भांप ली और शरारती मुस्कराहट के साथ बोली, “ये तुमने पैन्ट में क्या छुपाया है जरा देखूं तो मैं भी !”
जब तक मैं कुछ बोलूं उन्होंने खड़े होकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया और पैन्ट के ऊपर ही से कर दबा दिया, “हाय बड़ा तगड़ा लगता है तुम्हारा तो। बड़ा बेताब भी है ! बस ऐसा ही लण्ड तो मुझे पसन्द है।”
मैं तो हक्का बक्का रह गया। मैडम रचना मेरे साथ फ्लर्ट कर रही हैं। मिस आइस-मेडन का यह गरम रूख देख कर मेरी तो बोलती ही बन्द हो गई और मैं उनकी हरकतें देखता रह गया। चूंकि मैं टेबल के ऊपर खड़ा था इस लिए मेरा लण्ड उनके मुंह की ठीक सीध में था। वो अपने चेहरे को और पास लाईं और पैन्ट के ऊपर ही से मेरे लण्ड को चूमते हुए बोली “इसे जरा और पास से देखूं तो क्यों इतना अकड़ रहा है” ऐसा कहते हुए मैडम रचना ने मेरी जीन्स की जिप खोल दी।
मैं आम तौर पर अन्डरवियर नहीं पहनता हूं। लिहाजा जिप खुलते ही मेरा लण्ड आजाद हो गया और उछलकर उनके चेहरे से जा टकराया।
“हूंऽऽ ! ये तो बड़ा शैतान है। इसे तो सजा मिलनी चाहिए !” मैडम ने अपने सेक्सी मुंह को खोला और मेरे सुपाड़े को अपने रसीले होठों में दबा लिया। मैं तो मूक दर्शक बन कर सातवें आसमान में पहुंच गया था। जिस मैडम रचना के पीछे सारा आफिस दीवाना था और जिनके बारे में सोच सोच कर मैंने भी औरों की तरह कई कई बार मुठ मारी थी यहां एक रंडी की तरह मेरा लौड़ा चूस रही थी।
मैंने मैडम का सर पकड़ कर अपने लौंड़े पर दबाया और साथ ही साथ अपने चूतड़ों को आगे धक्का दिया। एक ही झटके में मेरा पूरा लण्ड मैडम के मुंह में कंठ तक घुस गया। उनका दम घुटने लगा और उन्होंने अपना सिर थोड़ा पीछे किया।
मुझे लगा कि अब मैडम मुझे मेरे उतावलेपन के लिए डांटेगीं।
मैं बोला “सॉरी मैडम ! मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया !”
उन्होंने बोलने से पहले मेरा लण्ड अपने मुंह से निकाला और मुस्कुराई, “धत पगले ! मैं तुम्हारी हालत का अन्दाजा लगा सकती हूं। लेकिन ये मैडम मैडम क्या लगा रखी है? तुम मुझे रचना कह कर बुलाओ ठीक है ना ! अब मुझे अपना काम करने दो !”
ऐसा कह कर मैडम ने एक हाथ में मेरा लण्ड पकड़ा और शुरू हो गई उसका मजा लेने में। वो लण्ड को पूरा का पूरा बाहर निकाल कर फिर दोबारा अन्दर कर लेती। मैं भी धीरे धीरे कमर हिला हिला कर उनका मुंह चोदने लगा। कुछ देर बाद वो बोली, “बस इसी तरह खड़े खड़े कमर हिलाने में क्या मजा आएगा? थोड़ा आगे बढ़ो !”
मैंने उनका इशारा भांप लिया और पहले उनके गालों को सहलाया। फिर धीरे धीरे हाथों को नीचे खिसकाते हुए उनकी गर्दन तक पहुंचा और उनकी चोली का स्ट्रैप खोल दिया। दोनों मस्त चूचियां उछल कर बाहर आ गई। मैडम ने भी मेरी जीन्स खोल दी और बिना लण्ड मुंह से बाहर किए नीचे उतार दी। फिर लण्ड चूसते हुए वो अपनी चूचियों को मेरी जांघों पर रगड़ने लगी।
मैंने थोड़ा झुक कर उनकी चूचियों को पकड़ा और कस कस कर मसलने लगा। जल्द ही हम दोनों काफी उत्तेजित हो गए और हमारी सांसें तेज हो गई।
मैं बोला, “मैडम मैं पूरी तरह से आपको मजा नहीं दे पा रहा हूं। अगर इजाजत हो तो मैं भी नीचे आ जाऊं?” मैडम ने मुझे गुस्से से देखा और हौले से सुपाड़े को काट लिया। वो बोली “तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो ! अगर मैं बोलती हूँ कि मुझे रचना कह कर पुकारो तो तुम मुझे रचना ही कहोगे मैडम नहीं !”
मैं बोला “सॉरी रचना अब तो मुझे नीचे आने दो !”
रचना ने मेरा हाथ पकड़ कर नीचे उतरने में मदद की। नीचे आते ही मैंने उनके चूतडों को पकड़ा और अपने पास खींच कर होठों को चूमने लगा। अब मैं उनके होठों को चूसते हुए एक हाथ से चूतड़ सहला रहा था जबकि मेरा दूसरा हाथ उनकी चूचियों से खेल रहा था।
रचना मेरे लण्ड को हाथ में पकड़ कर सॉफ्ट टॉय की तरह मरोड़ रही थी। मैंने रचना की साड़ी पकड़ कर खींच दी और पेटीकोट का भी नाड़ा खोल कर उतार दिया। रचना ने भी मेरी टी शर्ट उतार दी और हम दोनों ही पूरी तरह नंगे हो गए।
एक दूसरे को पागलों की तरह चूमते हुए हम वहीं जमीन पर लेट गए। चूत की खुशबू पा कर मेरा लण्ड फनफनाने लगा। रचना भी गर्म हो गई थी और अपनी चूत मेरे लण्ड पर रगड़ रही थी। हम दोनों एक दूसरे को कस कर जकड़े हुए किस करते हुए कमरे के कालीन पर लोटपोट हो रहे थे। कभी मैं रचना के ऊपर हो जाता तो कभी रचना मेरे ऊपर।
काफी देर तक यूं मजे लेने के बाद हम दोनों बैठ कर अपनी फूली हुई सांसों को काबू में करने की कोशिश करने लगे। रचना ने अपने बाल खोल दिए। मैं बालों को हटा कर उनकी गर्दन को चूमने लगा। फिर दोबारा उनके प्यारे प्यारे होठों को चूमते हुए उनकी चूचियों से खेलने लगा।
रचना मेरा सिर पकड़ कर अपनी रसीली चूचियों पर ले गई और अपने हाथ से पकड़ कर एक चूची मेरे मुंह में डाल दी। मैं प्यार से उनकी चूचियों को बारी बारी से चूमने लगा। वो काफी गरम हो गई थी और मुझे अपने ऊपर ६९ की पोजिशन में कर लिया। मैं उनकी रसीली चूत का अमृत पीने लगा। रचना अपनी जीभ लपलपा कर मेरे लौड़े को चूसे जा रही थी।
जब भी हम में से कोई भी झड़ने वाला होता तो दूसरा रूक कर उसको संभलने का मौका देता। कई बार हम दोनों ही किनारे तक पहुंच कर वापस आ गए। हमारी वासना का ज्वार बढ़ता ही जा रहा था और बस अब एक दूसरे में समा जाने की ही बेकरारी थी।
रचना ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद चित्त हो कर लेट गई। अपने दोनों पैर उठा कर अपने हाथों से पकड़ लिए और मुझे मोर्चे पर आने को कहा। मैंने भी रचना के दोनों पैरों को अपने कन्धों पर टिकाया और लण्ड को उसकी चूत के मुंह पर रख कर धक्का लगाया। मेरा लोहे जैसा सख्त लौड़ा एक ही झटके में आधा धंस गया।
रचना के मुंह से उफ की आवाज निकली पर अपने होठों को भींच कर नीचे से जवाबी धक्का दिया और मेरा लण्ड जड़ तक उसकी चूत में समा गया। फिर मेरी कमर पर हाथ रख कर मुझे थोड़ा रूकने का इशारा किया और बोली, “तुम्हारा लण्ड तो बड़ा ही जानदार है। एक झटके में मेरी जान निकाल दी। अब थोड़ी देर धीरे धीरे अन्दर बाहर कर के मजा लो !”
रचना के कहे मुताबिक मैं धीरे धीरे उसकी चूत में लण्ड अन्दर बाहर करने लगा। चूत काफी गीली हो चुकी थी इसलिए मेरे लण्ड को ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी। मैं धीरे धीरे चूत चोदते हुए रचना की मस्त चूचियों को भी मसल रहा था।
बड़ी ही गजब की चूचियां थी उसकी। एक हाथ में नहीं समा सकती थी। पर इतनी कड़ी मानो कन्धारी अनार। वो चित्त लेटी हुई थी पर चूचियों में जरा भी ढलकाव नहीं था और हिमालय की चोटियों की तरह तन कर ऊपर को खड़ी थी। उत्तेजना की वजह से उसके डेढ़ इन्च के निप्पल भी तने हुए थे और मुझे चूसने का आमन्त्रण दे रहे थे।
मैं दोनों निप्पलों को चुटकी में भर कर कस कस कर मसल रहा था। रचना भी सिसकारी भर भर कर मुझे बढ़ावा दे रही थी। आखिर मुझसे नहीं रहा गया और उसके पैरों को कन्धे से उतार कर जमीन पर सीधा किया और उसके ऊपर पूरा लम्बा होकर लेट गया। रचना ने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को पकड़ कर पास पास कर लिया और मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने लगा। ऐसा लग रहा था कि सारी दुनिया का अमृत उन चूचियों में ही भरा हो। मैं दोनों हाथों से चूचियों को मसल रहा था। चूचियों की मसलाई और चुसाई में मैं अपनी कमर हिलाना ही भूल गया।
तब रचना अपने हाथ नीचे करके मेरे चूतड़ों पर ले गई और उन्हें फैला कर एक उंगली मेरी गाण्ड में पेल दी। मैं चिहुंक गया एक जोरदार धक्का रचना की चूत में लगा दिया। रचना खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली “क्यों राज्जा ! मजा आया ? अब चलो वापस अपनी ड्यूटी पर।”
रचना का इशारा समझ कर मैं वापस कमर हिला हिला कर उसकी चूत चोदने लगा। रचना भी नीचे से कमर उठाने लगी और धीरे धीरे हम दोनों पूरे जोश के साथ चुदाई करने लगे। मैं पूरा लण्ड बाहर खींच कर तेजी से उसकी चूत में पेल देता। रचना भी मेरे हर शॉट का जवाब साथ साथ देती।
पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी। जैसे जैसे जोश बढता गया हमारी रफ्तार भी तेज होती गई। आखिर उसकी चूचियों को छोड़ मैंने उसकी कमर को पकड़ कर तूफानी रफ्तार से चुदाई शुरू कर दी। रचना भी कहां पीछे रहने वाली थी। वो भी मेरी गर्दन में हाथ डाल कर पूरे जोश से कमर उछाल रही थी।
अब ऐसा लगने लगा था कि हम दोनों ही अपनी अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे पर रचना तो एक्सपर्ट चुदक्कड़ थी और अभी झड़ने के मूड़ में नहीं थी। उसने अपनी कमर को मेरी कमर की दिशा में ही हिलाना शुरू दिया।
इससे लण्ड अन्दर बाहर होने के बजाए चूत के अन्दर ही रह गया। मेरी पीठ पर थपकी दे कर उन्होंने रफ्तार कम करने को कहा और बोली, “थोड़ा सांस ले लें, फिर शुरू होना। इतनी जल्दी झड़ने से मजा पूरा नहीं आएगा।”
मैंने किसी तरह अपने को संभाल कर रफ्तार कम की। मैं अब उसके रसीले होठों को चूसते हुए हौले हौले चोदने लगा। जब हम दोनों की हालत संभली तो दोबारा रचना ने फुल स्पीड चुदाई का इशारा किया और फिर से मैं पहले की तरह चोदने लगा।
रूक रूक कर चुदाई करने में मुझे भी मजा आ रहा था। हमारी इस चुदाई का दौर आधा घन्टे से भी ज्यादा चला। कई बार मेरे लण्ड में और उसकी चूत में उफान आने को हुआ और हर बार हमने रफ्तार कम करके उसे रोक लिया।
हालाँकि कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनो पसीने से नहा गए। आखिर रचना ने मुझे झड़ने की इजाजत दी। मैं तूफान मेल की तरह उसकी चूत में धक्के लगाने लगा। वो भी कमर उछाल उछाल कर मेरी हर चोट का जवाब देने लगी। चरम सीमा पर पहुंच कर मैं जोर से चिल्लाया “रचना ! आआ आआआआआआ मेरी जान ! मैं आया” और उसकी चूत में जड़ तक लण्ड घुसा कर अपना सारा उफान उसके अन्दर डाल दिया।
रचना ने भी मेरी पीठ पर अपने पैर बांध कर मुझे कस कर चिपका लिया और चीखती हुई झड़ गई।
मुझे जरूर मेल करें !!!!
super_boy00007@yahoo.com
विशेष : यही कहानी पात्रों के नाम बदल कर कुणाल ने भी भेजी है।
गुस्से से सेक्स तक
April 29th, 2009
No comments
प्रेषक - आतिफ अली
हैलो दोस्तों ! मेरा नाम आतिफ है और मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैं हमेशा यह सोचा करता था कि क्या मैं भी कभी अपनी ज़िन्दगी में किसी के साथ सेक्स कर पाऊँगा! मुझे ब्लू-फिल्म देखने की आदत है लेकिन क़िस्मत देखिए कि कभी भी मैं किसी के साथ सेक्स नहीं कर पाया था। मेरी उम्र २३ साल और कद ५ फीट ९ इंच है। वैसे लोग कहते हैं कि मैं स्मार्ट भी हूँ, ख़ैर छोड़िये।
लेकिन मैं आप को अपनी एक ऐसी हक़ीकत से वाक़िफ कराना चाहता हूँ जो मेरे साथ पहले कभी नहीं हुई। ये होने के बाद मैं मन ही मन बड़ा खुश होता रहता था क्योंकि जो मैं इतनी कोशिश करने के बाद भी नहीं कर पाया वो अचानक हो गया।
हुआ ये कि मेरे घर के सामने एक घर है जिसमें एक परिवार रहता है जो बिहार से है, उस परिवार में ४ सदस्य हैं जिनमें से २ बच्चे और दो बड़े हैं
जून २००८ की बात है जब मेरा परिवार स्कूल की छुट्टियों की वज़ह से गाँव गई हुई थी तो बस मैं ही घर पर अकेला था। शनिवार की बात है उस दिन मेरे ऑफिस में छुट्टी होती है तो थोड़ा देर से सोया और देर से जागा। उसके बाद मैं फ्रेश हुआ और बिस्किट खरीदने के लिए दुकान पर गया।
वह दुकान बहुत ही छोटी थी और वहाँ भीड़ बहुत ज्यादा रहती थी। जहाँ मैं खड़ा था उसके एकदम आगे मेरे सामने वाली आँटी खड़ी थी वो भी कुछ सामान ले रही थी और भीड़भाड़ होने की वज़ह से हम एक-दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए थे। पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया फिर मैंने महसूस किया कि मेरा लण्ड आँटी की गाँड पर लग रहा है। मेरा लण्ड एकदम तन गया, मुझे बहुत मज़ा आने लगा। फिर आँटी सामान लेकर जाने लगी, जाते हुए आँटी ने मेरी तरफ देखा, उनका चेहरा गुस्से से लाल था। मुझे पता नहीं क्यों, बहुत शर्म सी आई और फिर मैं भी उनके जाने के करीब १०-१५ मिनटों के बाद घर आ गया।
मैंने पहले तो चाय पी, फिर अपने दरवाज़े के सामने खड़ा हो गया। अचानक आँटी ने अपना दरवाज़ा खोला और मुझे देखकर आँटी ने मुझे कहा “बेटा, क्या तुम हमारा एक काम कर दोगे?”
“कहिए आँटी जी,” मैंने डरते हुए कहा।
उन्होंने कहा, “बेटा, मेरा हाथ नहीं पहुँच रहा है, तुम मेरा एक डिब्बा उतार दो।”
मैंने कहा- ठीक है। फिर मैं उनके घर चला गया, वहाँ ऊँचाई पर एक डिब्बा रखा हुआ था, आँटी ने बताकर कहा,”बेटा यही डिब्बा उतारना है।”
मैंने डिब्बा उतार दिया। तभी आँटी ने गेट बन्द कर लिया।
मैंने कहा- आँटी ! मैं जाता हूँ, तो उसने मुझे बुलाया, “इधर आओ,”
यह सुनकर मेरी तो हवा ही खिसक गई, लेकिन फिर मैं भी हिम्मत करके चला गया। मैंने कहा “कहो आँटी, क्या कोई और कोई काम है?”
“नहीं, एक बात पूछनी थी।” आँटी ने कहा।
मैं डर गया, डरते-डरते मैंने कहा, “कहिए आँटी जी !”
आँटी ने पूछा, “तुम्हारी उम्र कितनी है?”
मैंने जवाब दिया, “आँटी जी, २३ साल !”
फिर आँटी ने कहा कि मेरी उम्र ४० साल है और मैंने तुम्हारी माँ के उम्र की हूँ, तुम्हें शर्म नहीं आई दुकान पर ऐसी हरक़त करते हुए?
मैंने गर्दन नीचे किये हुए उनसे माफी माँगी, “आँटी मुझे माफ कर दो, आज के बाद ऐसा नहीं होगा,” मैं उनके सामने हाथ जोड़ने लगा।
“अरे कोई बात नहीं, ऐसी उमर में ऐसा होता है। पहले भी किसी के साथ ऐसा या कोई और गलत काम किया है?”
मैं कुछ नहीं बोला।
फिर आँटी ने कहा, “अरे शरमाओ मत, बताओ।”
“नहीं आँटी ! अभी तक नहीं।”
“शादी से पहले कम से कम २-३ बार ज़रूर करना चाहिए।”
मैंने हिम्मत करके कहा, “क्यों आँटी?”
“क्योंकि हर काम से पहले ट्रेनिंग ज़रूरी है, जैसे आर्मी वालों को दी जाती है। क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है?”
“नहीं आँटी जी, मेरी कोई भी गर्लफ्रेण्ड नहीं है।”
“ये तो बड़े ही दुःख की बात है।” आँटी ने कहा।
“अगर तुम इजाज़त दो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ।” आँटी ने आगे कहा।
“कैसे?” मैंने प्रश्न किया।
उन्होंने कहा, “मैं तुम्हें ट्रेनिंग दूँगी ताकि तुम अपनी बीवी को ज़्यादा खुश रख सको। क्या तुम तैयार हो?”
“जी हाँ आँटी, जैसा आप कहें।”
मैं सोच रहा था कि ये मेरे साथ ऐसी बातें कैसे कर रही हैं, वो भी पहली बार। मुझे लगा शायद दुकान वाली हरकत की वज़ह से वह मुझसे ऐसी बातें कर रही है।
आँटी ने मेरे हाथ अपने चेहरे पर लगाये और मुझे कहा कि मेरे गालों को सहलाते रहो। मैं ऐसा ही करता रहा। फिर आँटी ने मेरा हाथ अपनी टाँग पर रखा और मुझसे कहा- मेरी टाँग पर अपना हाथ फेरते रहो।
मैं ऐसा ही करता रहा। मुझे भी मज़ा आने लगा। आँटी बहुत गरम होने लगी और मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरी गाँड पर हाथ फेरने लगी।
मैंने अपना हाथ टाँग से हटाकर आँटी के मोटे-मोटे बूब्स पर रखा, वैसे तो उन्होंने कपड़े नहीं उतारे थे, पर फिर भी मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। आँटी कहने लगी कि तुम तो इंटेलीजेन्ट हो, अपने आप ही हाथ रख लिया।
फिर मैं ज़ोर-ज़ोर से बूब्स दबाने लगा, आँटी एकदम पागल सी हो गई। मैं भी होश खो बैठा और अपना हाथ आँटी के पेटीकोट में अन्दर उनकी प्यारी सी चूत पर रखा, वो एकदम मुझसे चिपक गई।
फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उनकी चूत में डाली और बार-बार अन्दर-बाहर करने लगा। आँटी को बड़ा मज़ा आने लगा। मज़े की वज़ह से वो सिसकियाँ लेने लगी। उनके मुँह से आवाज़ें आ रहीं थीं… हाय ! मैं मर गईईईईईईईईईईई….! ओओओओओ….! ह्ह्हहह्ह।
फिर अचानक आँटी ने कहा कि मैं तुम्हें इस ट्रेनिंग का आखिरी पाठ सिखाती हूँ और फिर उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे अपने बेड पर लेटने के लिए कहा। मैं लेट गया। उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिये।
अब वो मेरे सामने एकदम नंगी थी। वो उतनी ख़ूबसूरत तो नहीं थी, पर उसकी फिगर लाजवाब थी। फिर वो मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़कर अपने हाथ को ऊपर-नीचे करने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर उन्होंने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और फिर अपने मुँह को ऊपर-नीचे करने लगी। मेरा लण्ड एकदम तन गया और करीब ७-७.५ इंच का हो गया।
फिर उन्होंने फिर मुझे कहा कि अब तुम उठो और मैं लेटती हूँ। मैं सोच रहा था कि यार, कहीं इसका दिमाग तो खराब नहीं हो रहा है, लेकिन फिर ये सोचकर कि कहीं बना-बनाया काम न बिगड़ जाये, मैंने कुछ नहीं कहा। फिर वो लेट गई और मुझे कहा अपना मुँह मेरी दोनों टाँगों के बीच में रखकर मेरी चूत को चाटो !
मैंने कहा, आँटी ये गन्दी है। आँटी ने पूछा, “क्या तुम अपनी बीवी को खुश नहीं रखना चाहते?”
मैंने उत्तर दिया “हाँ”।
“तो फिर चलो, जल्दी करो।”
मैंने चाटना शुरू कर दिया।
मैंने देखा कि आँटी की आँखें बन्द हैं और वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ ले रहीं हैं। थोड़ी देर ऐसा ही करने के बाद आँटी ने कहा “रूको !”
मैंने पूछा “क्या हुआ?”
आँटी ने कहा, “कुछ नहीं हुआ, अब मैं तुम्हें सबसे मज़ेदार, और सबसे आख़िरी स्टेप सिखाती हूँ।
फिर आँटी ने अपनी टाँगें ऊपर कीं और मुझे कहा कि अपना लण्ड मेरी चूत पर रखो और अपने हाथ मेरे कंधे के पास। मैंने ऐसा ही किया। फिर आँटी ने मेरा गरम लण्ड अपनी गरम चूत पर रखा और मुझे कहा कि अब धीरे-धीरे इसे अन्दर करते रहो। मैंने ऐसा ही किया। जब मेरा आधा लण्ड अन्दर जा चुका था तो मुझे बड़ा मज़ा आने लगा।
आँटी कह रही थी कि तुम्हारा लण्ड कितना मोटा है। बड़ा दर्द हो रहा है।
मैंने कहा, “अगर आप कहती हैं तो मैं निकाल लेता हूँ।
आँटी ने कहा, नहीं मेरी जान, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है, और दर्द तो ज़रूर होता है और जितना दर्द होगा, बाद में मज़ा भी उतना ही आयेगा।
मैंने फिर एकदम से अपना सारा का सारा लण्ड उसकी गरम चूत में पेल दिया। वो चिल्लाने लगी, कहने लगी कि इसे फाड़ेगा क्या। उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े।
मैंने पूछा, “बहुत दर्द हो रहा है क्या?”
“जानवर की तरह करेगा तो दर्द नहीं होगा?”
“सॉरी आँटी…!”
आँटी बोली, “कोई बात नहीं, तुम लगे रहो, धीरे-धीरे दर्द कम हो जाएगा।”
चार-पाँच मिनट बाद शायद उसका दर्द कम हो गया, क्योंकि वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी, “आज इसे फाड़ दो… मैं तुम्हारी हूँ… ज़ोर-ज़ोर से पेलो मेरी जा..आआआआआआआन…. आआआआआआआआह ईईईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ आआआआआआआआह मैं मर गईईईईईईईई।
तकरीबन १५ मिनट के बाद आँटी ने कहा मेरी जान अब दूसरा स्टेप करते हैं और वो फिर उठी और डॉगी स्टाईल में हो गई और मुझे कहा अब दुबारा अपना काम शुरू करो।
मैंने फिर उसकी गरम चूत में अपना सात इंच का मोटा लण्ड पेल डाला। वो फिर सिसकियाँ लेने लगी, और चिल्लाने लगी, “मैं मर गई… आज मेरी चूत को फाड़ डालो मेरी जान…”
और मैं भी मज़े से पागल हो रहा था। हम दोनों की आवाज़ें पूरे कमरे में गूँज रहीं थीं।
तकरीबन १० मिनट बाद आँटी ने कहा “ज़रा हटो।”
“क्यों आँटी?”
“अब मैं तुम्हें वो स्टेप सिखाऊँगी जो अन्त में करना चाहिए, जब तुम्हारी गाड़ी मंज़िल पर पहुँचने वाली हो।”
“ठीक है आँटी।”
वो पिर उसी पोज़ीशन में आ गई जैसे कि शुरू में थी, अपने दोनों पैर ऊपर उठा लिये और फिर कहा कि अब दुबारा इसमें डाल दो, और चाहे जो कुछ भी हो, अपना लण्ड अन्दर ही रहने देना।
मैंने सोचा कि यार क्या होगा, फिर मैंने अपना लण्ड घुसेड़ दिया और तकरीबन ६-७ मिनटों के बाद मुझे और आँटी को बड़ा जोश आने लगा। हम दोनों ज़ोर-ज़ोर से सिसकने लगे… आहहहहहहहहहहह ओययययययययययय आआआआआआआहहहहहहह।
मैंने फिर आँटी से कहा कि आँटी लगता है मेरे लण्ड से कुछ निकलने वाला है।
“मेरी भी चूत से निकलने वाला है, लेकिन तुम अन्दर ही रखना और अन्दर ही डाल देना जो भी निकलेगा।”
मैंने कहा, “ठीक है।”
आँटी फिर शायद झड़ने वाली थी क्योंकि उसने मुझे बहुत कसकर पकड़ रखा था और आँटी कहने लगी मेरी जान… मैं मर गई… मैं झड़ने वाली हूँ। फिर वह झड़ गई।
दो मिनट बाद मेरा भी काम हो गया। आँटी पहले भी १ बार बीच में झड़ चुकी थी, फिर हम दोनों थोड़ी देर तक एक-दूसरे से लिपटे रहे और फिर आँटी ने कहा, “लो ये कपड़ा और इसे साफ कर लो।” आँटी ने भी अपनी चूत साफ कर ली और फिर पूछा, “कुछ सीखा?”
“हाँ आँटी, मैं सीख गया।”
“मेरी जान अब मैं तुम्हारी हो चुकी हूँ। अगर तुम्हें मेरी क्लास अच्छी लगी हो तो तुम रोज़ आ सकते हो।”
“ठीक है आण्टी जी मैं रोज़ सीखने आया करूँगा।” मैंने उत्तर दिया।
फिर आँटी ने मुझे एक लम्बी पप्पी दी और कहा कि अब तुम जाओ मेरी जान।
फिर मैंने कपड़े पहने और अपने घर वापस आ गया।
उसके बाद मैं आँटी को चोदने रोज उसके घर जाने लगा। १ महीने तक हमने खूब मस्ती की। और अब भी जब मौका हाथ लगता है हम दोनों सेक्स करते हैं, खूब मज़े लेते हैं… अब मैं एक दूसरी औरत पर लाईन मार रहा हूँ जिसकी शादी अभी-अभी हुई है। अगर हमारी बात वहाँ तक पहुँचती है तो मैं आपको ज़रूर लिखूँगा…. बाययय
प्लीज़ आप मुझे बतायें कि आपको मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी। मुझे मेल करें ! मैं आपके मेल का इन्तज़ार करूँगा !aatif_delhi@rediffmail.com
तीसरी मंजिल
April 29th, 2009
No comments
लेखिका - दिव्या डिकोस्टा
मैं अभी सेकेण्ड ईयर बी एस सी में हूँ। मेरे पापा ने एक छात्र रवि को तीसरी मंज़िल पर एक कमरा किराये पर दे रखा था। ऊपर बस दो ही कमरे थे। एक खाली था और एक में रवि रहता था। दोनो कमरों के बीच एक खुली छत थी। मैं खाना खा कर कभी-कभी छत पर टहलती थी।
ऐसी ही एक रात थी… मैं छत पर टहल रही थी। रवि अपने दोस्त के साथ था। मेरे बारे में उन्हें नहीं पता था कि मैं रात को अक्सर छत पर टहलती हूँ। मैंने यूँ ही एक बार खिड़की से उसके कमरे में झाँका। रवि और उसका दोस्त कमल नीचे बैठे दारू पी रहे थे। सामने टीवी चल रहा था। पाजामे में से रवि का लण्ड खड़ा साफ़ ही दिख रहा था। कमल उसे बार-बार देख रहा था। अचानक मैं चौंक गई। कमल का हाथ धीरे से रवि की जाँघ पर आया और धीरे से उसके लण्ड की तरफ़ आ गया। रवि ने तिरछी नज़रों से उसके हाथ को देखा, पर कहा कुछ नहीं। अब कमल का हाथ उसके लण्ड पर था। रवि के जिस्म में थोड़ी कसमसाहट हुई। कमल ने अब उसका लण्ड अपने हाथों से दबा दिया। रवि ने उसकी कलाईयाँ पकड़ लीं पर लण्ड नही छुड़ाया।
“रवि कैसा लग रहा है…?”
“हाय… बस पूछ मत… दबा यार और दबा !” रवि ने भी अपना हाथ उसके लण्ड की तरफ़ बढ़ा दिया। रवि ने भी उसका लण्ड पकड़ लिया। अब दोनों एक दूसरे का लण्ड दबा रहे थे और धीरे-धीरे मुठ्ठ मार रहे थे। मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगी… ये क्या कर रहे हैं… क्या होमो कर रहे हैं…।
तभी कमल ने पाजामे का नाड़ा खोल दिया और रवि का लण्ड बाहर निकाल लिया। हाय रे… इतना बड़ा लण्ड…! मेरा जी धक् से रह गया। मेरा मन वहाँ से हटने को नहीं कर रहा था।
कमल ने धीरे से रवि के सुपाड़े की चमड़ी ऊपर खींच दी। रवि भी उसके पाजामे के अन्दर हाथ डाल कर कुछ कर रहा था। कुछ ही देर में वो नंगे हो गये। दोनों शरीर से सुन्दर थे, बलिष्ठ थे, चिकना जिस्म था। मेरी भी इच्छा होने लगी कि अन्दर जा कर मैं भी मज़े करूँ। वो दोनों एक-दूसरे से लिपट गये और कुत्ते की तरह से कमर हिला हिला कर लण्ड से लण्ड टकराने लगे।
“कमल… चल लेट जायें… और लण्ड चूसें…” रवि ने अपने मन की बात बताई।
दोनों ही बिस्तर पर लेट गये और और करवट लेकर उल्टे-सुल्टे हो गये। अब दोनों का लण्ड एक-दूसरे के मुँह के सामने थे। दोनों ने एक दूसरे का लण्ड अपने-अपने मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया। मैंने तो पहले ऐसा ना सुना था ना ही देखा था। मैंने अपनी चूत दबा ली… और पैन्टी के ऊपर गीला और चिपचिपापन आ गया था। मन में मीठी सी चुभन होने लगी थी।
दोनों की कमर ऐसे चल रही थी जैसे एक दूसरे के मुँह चोद रहे हों। दोनों ने एक-दूसरे के गोल-गोल चूतड़ों को दबा रखा था। पर रवि ने अब कमल की गाँड में अपनी ऊँगली घुसा डाली। और थूक लगा कर बार-बार ऊँगली को गाँड में डाल रहा था। अचानक रवि उठा और कमल की गाँड पलट कर उस पर सवार हो गया। उसने कमल की चूतड़ों को चीर कर अलग किया और अपना लण्ड उसकी गाँड में घुसाने लगा। मुझे लगा कि उसका लण्ड अन्दर घुस गया था। कमल ने अपनी टाँगें फ़ैला दी थीं। रवि के बलिष्ठ शरीर के मसल्स उभर रहे थे। कमर ऊपर-नीचे चल रही थी। कमल की गाँड़ चुद रही थी।
अब रवि ने कमल को उठा कर घोड़ी बना दिया और उसका लम्बा और मोटा लण्ड अपने हाथ में भर लिया। अब उसे शायद धक्के मारने में और सहूलियत हो रही थी। उसका लण्ड रवि की मुठ्ठी में भिंचा हुआ था। वह उसकी गाँड़ मारने के साथ-साथ उसके लण्ड पर मुठ्ठ भी मार रहा था। दोनों सिसकियाँ भर रहे थे। इतने में रवि ने जोर लगाया और उसका वीर्य छूट पड़ा। रवि ने उसे जकड़ लिया और मुठ्ठ कस-कस के मारने लगा। इससे कमल का वीर्य भी जोर से पिचकारी बन कर निकल पड़ा। दोनों के मुख से सिसकारियाँ फूट रही थीं… पूरा वीर्य निकल जाने के बाद वो वहीं बैठ गये और सुस्ताने लगे।
शो समाप्त हो गया था सो मैं धीरे से वहाँ से हट गई। मैं छत से नीचे आ गई। दोनो के मांसल शरीर मेरे मन में बस गये थे। मेरी इच्छा अब उनसे चुदने की हो रही थी। चाहे रवि हो या कमल… दोनों ही मस्त चिकने थे…। मैंने फ़ैसला किया कि चूँकि रवि यहीं रहता है, इसलिये उसे पटाना ज्यादा सरल है, फिर कमल भी तो सेक्सी है। यही सोचती हुई मैं सो गई। दूसरे दिन रवि कहीं बाहर से घूम कर आया तो मैंने उसे अपने प्लान के हिसाब से रोक लिया।
“रवि अभी क्या कर रहे हो…? मुझे तुमसे कुछ काम है…।”
“तुम ऊपर आ जाओ… खाना खाते हुए बात करेंगे…!” कह कर वो ऊपर चला गया
मैं भी ऊपर आ गई… उसका टिफ़िन आ गया था। मैंने उसका खाना थाली में लगा दिया और सामने बैठ गई।
“हां बोल… क्या बात है…?”
“यार मुझे फ़िज़िक्स पढ़ा दे… तेरी तो अच्छी है ना फ़िज़िक्स…”
“ठीक है, कॉलेज के बाद मैं तुझे बुला लूंगा…” ये कह कर वो वापिस चला गया।
मैं भी कॉलेज रवाना हो गई। कॉलेज से आने के बाद मैं रवि का इन्तज़ार करने लगी। उसके आते ही मैं बुक्स ले कर ऊपर उसके कमरे में आ गई।
उसने किताब खोली और कुर्सी पर बैठ गया, उसकी बगल में मैं भी कुर्सी लगा कर टेबल पर बैठ गई। मेरा इरादा पढ़ने का नहीं था… उसे पटाना था। मैं उसे बीच-बीच में कुछ चॉकलेट भी देती जा रही थी। मैंने धीरे से उसके पाँव पर पाँव रख दिया। फिर हटा दिया। वह थोड़ा सा चौंका… पर फिर सहज हो गया। कुछ देर बाद मैंने फिर पाँव मारा… उसने इस बार जान कर कुछ नहीं किया। मेरी हिम्मत बढ़ी… मैंने उसका पाँव दबाया।।
रवि ने मुझे देखा… मैं मुस्करा दी। उसकी बाँछें खिल उठी। हँसी तो फँसी मान कर उसने भी एक कदम आगे बढ़ाया। उसने अपना दूसरा पाँव मेरे पाँव पर रगड़ा। मैंने शान्त रह कर उसे और आगे का निमंत्रण दिया। उसने मुझे फिर से देखा… मैंने फिर मुस्करा दिया।
अचानक वो बोला,”दिव्या… तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो…”
“क्या… कह रहे हो… अच्छे तो तुम भी हो…” मैंने उसे काँपते होठों से कहा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर खींचा। मैं जान करके उसके ऊपर गिर सी पड़ी। उसने तुरन्त मौके का फ़ायदा उठाया। और मेरी चूँचिया दबा दीं।
“हाय क्या करते हो…! कोई देख लेगा ना…!”
“कौन यार… उसने मुझे खींच कर गोदी में बैठा लिया। उसका लण्ड खड़ा हो चुका था। वो मेरी गाँड में चुभने लगा था।
“उफ़्फ़्…नीचे कुछ चुभ रहा है…”
“मेरा लण्ड है…” कह कर उसने और चूतड़ में चुभाने लगा।
“क्या है?”
“मेरा लौड़ा…” मैं जान करके शरमा उठी। मेरे चूतड़ की गोलाइयों के बीच लण्ड घुसने लगा। मेरे शरीर में सनसनी फ़ैलने लगी।
“मार डालोगे क्या… पूरा ही घुसा दोगे…” मेरी चुदने की स्कीम सफ़ल होती नजर आ रही थी। मुझे ये सोच के ही कंपकंपी आ गई।
“रुको… मेरी स्कर्ट तो ऊपर कर लो… ” मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये और स्कर्ट ऊपर करके पैन्टी नीचे खींच दी। उसने भी अपनी पैन्ट नीचे खींच ली। उसका लण्ड फुँफकारता हुआ बाहर आ गया। उसने मुझे धीरे से चूतड़ ऊपर उठा कर लण्ड को मेरी चूत पर रख दिया और फिर मुझसे कहा कि धीरे से घुसा लो। उसका लण्ड मेरी चूत में फ़िसलता हुआ अन्दर बैठ गया। मैं आनन्द से भर गई।
तभी नीचे से पापा की आवाज आई। मैं चिढ़ गई। ये पापा भी ना… मैंने लण्ड धीरे से बाहर निकाला और कपड़े ठीक किये।
“ये दरवाजा खोल कर रखना रात को… मैं यहीं से आऊंगी… ! ”
“पर ये तो बाहर से बन्द है ना…”
“अरे मैं खोल दूँगी… ये छत पर खुलता है…” कह कर मैं नीचे भाग आई। मेरा काम तो हो चुका था… बस चुदना बाकी था। मन ही मन मैं बहुत खुश थी, जैसे मैदान-ए-जंग जीत लिया हो। मैं रात होने का इन्तज़ार करने लगी।
मेरा कमरा दूसरी मंजिल पर था… मम्मी-पापा नीचे बेडरूम में सोते थे… मैं खाना खा कर अपने कमरे में आ गई। लगभग 9 बजे जब सब शान्त हो गया, मैं छत पर आ गई। मैंने तुरन्त रवि का दरवाजा खोला तो दिल धक् से रह गया… रवि और कमल दोनों ही वहाँ थे… बिल्कुल नंगे खड़े थे और गाँड मारने की तैयारी में थे।
मैं वापस जाने लगी तो रवि ने कहा…”जाओ मत दिव्या… सॉरी हम ऐसी हालत में हैं… मुझे ऐसा लगा कि तुम नही आओगी !”
मुझे लगा कि एक की जगह दो दो… मेरा मन मचल उठा…दो दो से चुदवाने को ! मैं रूक गई।
“पर दोनों नंगे हो कर ये क्या कर रहे हो…” मुझे पता था फिर भी अन्जान बनने का नाटक किया फिर अन्दर आ कर जल्दी से दरवाजा बन्द कर लिया।
“देखो किसी से कहना मत… हम रोज होमो करते हैं… कभी ये मेरी गाँड मारता है और कभी मैं इसकी गाँड चोदता हूं”
“मजा आता है ना…”
“हाँ… पर कुछ अलग सा…”
“क्या बात है यार… तुम भी ना…”
“थैंक्स दिव्या… देखो तुम यहाँ बैठो और बस देखो… हम तुम्हारे साथ कुछ नही करेंगे…” रवि और कमल दोनो ही एक तरह से विनती करने लगे।
“अरे तो मैं क्या तुम्हारी शकल देखूँगी… बस देखो!!! … मुझे भी तो मज़ा दो…” सुनते ही दोनों ही खुश हो गये। कमल को तो शायद पहली लड़की को चोदने का मौका मिल रहा था।
दोनो ने प्यार से मेरे कपड़े उतार दिये और अब हम तीनो नंगे थे। कमल तो मुझे ऐसे देख रहा था जैसे उसे कोई खज़ाना मिल गया हो… दोनों के लण्ड मुझे देख कर ९० का नहीं १२० डिगरी का ऐंगल बना रहे थे। मुझे ये जान कर सनसनी और मस्ती चढ़ रही थी कि मुझे दो-दो लण्ड खाने को मिलेंगे।
रवि मेरे आगे खड़ा हो गया और कमल मेरी गाँड से चिपक गया। रवि बोला,” दिव्या दोनो ओर से यानि चूत और गाँड में लण्ड झेल लोगी…?”
मैं सिहर उठी। मेरे मन में खुशियाँ हिलोरें मारने लगीं।
मैंने कुर्सी पर एक टाँग ऊपर रख दी और गाँड का छेद खोल दिया और इशारा किया- “लग जाओ मेरे हीरो… कमल तुम मेरी गाँड मारो, रवि ये चूत तुम्हारी हुई…!”
मैंने नशे में अपनी आँखे बन्द कर लीं। दोनों ही मेरे आगे-पीछे चिपक गये… मुझे दोनों का चिकना शरीर मदमस्त किये दे रहा था… मेरी एक टाँग कुर्सी पर ऊपर थी इसलिये गाँड और चूत दोनो ही खुली थी… पहल कमल ने की, मेरी गाँड पर तेल लगाया… और छेद में अपना लण्ड जोर लगा कर घुसा दिया।अब रवि की बारी थी… उसने अपना लण्ड मेरी चिकनी और पनीली चूत में डाल दिया।
दोनों के मोटे और लम्बे लण्ड का भारीपन मुझे महसूस होने लगा। चूत लप लप कर लण्ड निगलने को तैयार हो गई थी। अब दोनों चिपक गये और हौले-हौले से कमर हिलाने लगे। दोनों ओर से लण्ड घुस रहे थे। मेरे आनन्द का कोई पार नहीं था। मेरे शरीर में तरंगें उठने लगीं। लण्ड मेरे दोनों छेदों में सरलता से आ जा रहे थे। पहली बार मैं आगे और पीछे से एक साथ चुद रही थी। दोनो के लण्ड फुफकार मार-मार कर डस रहे थे…
मैं वासना की गुड़िया बनी जम कर चुदवा रही थी। मस्तानी हो कर झूम रही थी। चुदाने का पहले का तज़ुर्बा काम में आ रहा था। दोनों ओर की चुदाई के कारण मैं कमर हिला नही पा रही थी… पर धक्के अब जोरदार लग रहे थे और मेरे चूत और गाँड में गजब की मिठास भर रहे थे। मेरी गाँड और चूत एक साथ चुदी जा रही थी।
कमल के दोनों हाथ मेरी चूचियों पर थे और मसलने में कोई कसर नही छोड़ रहे थे। उसे तो शायद पहली बार बोबे दाबने को मिले थे… सो जम कर दाब रहा था… लग रही थी, पर आनन्द असीम था… मेरी चूत और गाँड में तेज़ गुदगुदी और सनसनाहट हो रही थी… उन दोनों के लण्ड अन्दर आपस में टकराने का अह्सास भी करा रहे थे।
अचानक दोनों की ही बाँहों ने मुझे भींच लिया… दोनों के लन्डों का भरपूर दबाव चूत पे आने लगा। भींचने के कारण मेरी चूत में रगड़ लगने लगी और मैं अपनी सीमा तोड़ कर झड़ने लगी… “हाय रे… मैं तो गई…”
पर दोनों के बाँहों की कसावट बढ़ने लगी। रवि ने अपना लण्ड चूत में दबाया और अपना वीर्य छोड़ दिया… और ज़ोर लगा कर बाकी का वीर्य भी निकालने लगा। मेरी चूत से वीर्य निकल कर मेरे पाँवों पर बह चला।
इतने में कमल ने भी अपनी पिचकारी गाँड़ में उगल दी। दोनों ही कुत्ते की तरह कमर को झटका दे देकर वीर्य निकाल रहे थे। मेरी टाँग दोनो के वीर्य से चिकनी हो उठी। दोनों ने मुझे अब छोड़ दिया।
दोनों के मुरझाये हुए लण्ड लटकने लगे। अब मुझे अपने बिस्तर पर लिटा कर दोनों ही अपने मन की भड़ास निकालने लगे और बाकी की चूमा चाटी करने लगे। काफ़ी देर प्यार करने के बाद उन दोनों ने मुझे छोड़ा। मैंने उन दोनो को इस डबल मज़े के लिये धन्यवाद कहा और कल और चुदाने का वादा करके मैंने अपने कपड़े पहने और कमरे से निकल कर छत पर आ गई। धीरे से नीचे आकर अपने कमरे में आ गई।
आज मेरा मन सन्तुष्ट था। आज मेरी चूत और गाँड दोनों की प्यास बुझ गई थी। मैं अब सोने की तैयारी करने लगी……divyadecosta@gmail.com
ट्रेन में मस्त चुदाई अजनबी लड़की की
April 17th, 2009
No comments
लेखक : अजय और श्याम
मेरा नाम अजय है और मैं भोपाल से मुम्बई जा रहा था मेरे आरक्षित बर्थ के सामने वाले बर्थ पर एक खूबसूरत कमसिन लड़की बैठी हुई थी।
रात को ठीक १२ बजे जब ट्रेन के सभी यात्री सोने की तैयारी कर रहे थे, मैं भी अपने बर्थ पर सोने की तैयारी कर रहा था। तभी अचानक मेरी सामने वाली बर्थ से आवाज आई- क्या आपको नींद आ रही है?
मैँने कहा- नहीं !
तो लड़की ने कहा- तो फिर बात करिये न !
लड़की के माँ बाप सो गये थे ऊपर वाली बर्थ पर। फिर मैंने लड़की से पूछा कि आप क्या कर रही हैं?
लड़की ने कहा- मैं ऐम बी बी ऐस की तैयारी कर रही हूँ ।
फिर लड़की अपने बर्थ से उठ कर मेरे बर्थ पे आ गई। दिसम्बर माह होने के कारण सरदी अपने पूरे शबाब पर थी तो मैंने उसे अपना कँबल ओढ़ने को कहा। लड़की मेरे साथ कँबल में मेरे से सट के बैठ गई। उसके शरीर की खुशबू मेरे जहन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी। फिर उसने मेरे पैर पर हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगी। फिर धीरे धीरे उसके हाथ की हरकत बढ़ने लगी।
फिर मैने जिप खोल कर अपना ९” का लन्ड ऊसके हाथ में पकड़ा दिया। लड़की काफी चुदासी लग रही थी । उसने झट से मेरे लन्ड को अपने हाथों में ले कर जोर जोर से सहलाने लगी। तब मैँने उसे अपने बर्थ पर लिटा लिया, मैँने उसके लिप पर लँऽऽऽम्म्म्बा किस किया तो लड़की के सारे बदन में सिरहन सी दौड़ गई। उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया।
मैंने उसकी शर्ट की बटन को खोलना चालू कर दिया, वो कुछ नहीं बोली और इस तरह हो गई कि उसके मक्खन जैसे स्तन मेरे सामने आ गये। मैंने उसके स्तन चूसना चालू कर दिया।
वो सीईईईईई कर के मेरे लँड पर टूट पड़ी और मेरे लँड को जो ३.५”मोटाई का है को लालीपाप की तरह चूसने लगी। मैंने उसकी पैंट के हुक ख़ोल कर उसकी पैंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत में ऊंगली करना चालू कर दिया।
वो सीऽऽ ई कर के पैर फैला के लेट गई। मैंने अपने लँड को उसकी चूत पर रगड़ना चालू कर दिय। वो आह उह उई श श करने लगी। जब मैंने अपने लँड को उसकी चूत में ठेला तो चार ईन्च तक अंदर चला गया। उसके मुँह से अजीब अजीब सी आवाज़ें निकलने लगी और वो अपने चूतड़ हिलाने लगी।
मैंने एक धक्का और दिया तो आधे से ज्यादा लँड अंदर चला गया। उसकी आँखोँ से आँसू आ गये, फिर भी बोले जा रही थी- और डालो !
मैंने पूरा लँड उसकी चूत में डाल दिया और ट्रेन के ईँजन की तरह धक्के मारना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद लड़की झड़ गई। मैंने अपने लँड को चूत से निकाल कर उसके मुंह में दे दिया। वो मेरे लँड को आईसक्रीम की तरह चूसने लगी।
मैं धक्के मारने लगा फिर मैं उसके मुँह में झड़ गया। वो मेरी सारी क्रीम को पी गई और मेरे लँड को चाट कर साफ कर दिया।
इस तरह मैंने रात में उसको ५ बार चोदा। फिर मेरा स्टेशन आ गया।
तो आपको ये कहानी कैसी लगी मेल जरूर करना
shyam4ubds@gmail.commr.ajayraj4u@gmail.com
अतृप्त पड़ोसन की तृप्ति
April 10th, 2009
1 comment
बिग बॉस
हेल्लो दोस्तों ! मैं कोई कहानीकार नहीं हूँ, पर यहाँ कई कहानियां पढने के बाद मैंने भी अपना एक अनुभव आपको बताने की कोशिश की है. उम्मीद है आपको पसंद आएगी.
बात उस समय की है जब हम एक महानगर के पास के एक छोटे से शहर में रहने गए. वो एक नई कालोनी थी और बाज़ार दूर था इस. उसी समय हमारे पड़ोस के मकान में एक परिवार रहने आया. पति पत्नी और उनका ६ महीने का बच्चा. उस औरत को जब भी देखता था तो मेरे लंड उससे सलामी देने लगता था. क्या ज़बरदस्त माल थी. उमर २१ साल. बच्चा होने के बाद भी अच्छा संवार कर रखा था उसने अपने आप को.
पतली कमर गोरा रंग और भरा हुआ शरीर. मुझे शुरू से ही भरे बदन की ज़बरदस्त आंटियां पसंद हैं. आंटी को हिन्दी फिल्मों का बहुत शौक था. और मुझसे हर हफ्ते १ -२ फिल्मों की कैसेट मंगवा कर घर पर देखती थी. उसके पति का ट्रांसपोर्ट का बिज़नस था और उन दिनों उनके अहमदाबाद के कई चक्कर लगते थे. वो महीने में मुश्किल से एक हफ्ता ही घर पे रह पाते थे. पर जब वो घर पर होते थे तो भी मुझसे ही फिल्में मंगवाया करते थे. विडियो लाइब्रेरी वाला उनका दोस्त था, वोह उससे फ़ोन कर देते थे और मैं कैसेट ले आता था. पर जब वो कैसेट मंगवाते थे तो मुझे फ़िल्म की स्पेल्लिंग असली स्पेल्लिंग से अलग लगती थी.
एक दिन अंकल घर आए, मुझसे एक फ़िल्म मंगवाई. अगले दिन मैं कॉलेज से वापस आया तो देखा कि घर पे ताला लगा है तो मैं आंटी के घर चला गया. आंटी ने बताया कि मम्मी को मार्केट जाना था तो वो अभी गई हैं, तुम यहीं इंतज़ार कर लो. मैंने अंकल के बारे में पूछा तो पता चला कि उनका ट्रक ख़राब हो गया है तो वो सुबह ही चले गए हैं और १० दिन के बाद आएंगे. आंटी का मूड बहुत ख़राब था. मुझे लगा कि वो अभी रो रही थी. मैंने पूछा तो वो बोली कि तबियत ठीक नहीं है. मुझसे कहा कि मैं नहा कर आती हूँ फिर चाय बना दूंगी.
मैं बैठ गया, अचानक मेरी नज़र उस कैसेट पर पड़ी और मैं सोच ही रहा था कि इस फ़िल्म कि स्पेल्लिंग भी कुछ अलग क्यों है. थोड़ी देर में आंटी नहा कर आ गई और चाय बना लायी. मैंने उनसे पूछा कि आंटी कुछ कैसेट की स्पेल्लिंग ग़लत क्यों लिखी होती है, तो वोह मुस्कुरा दी और बात को घुमा दिया. फिर अंकल और उनके काम के बारे में बात होने लगी तो वो कहने लगी कि अंकल के पास मेरे लिए समय नहीं है और अचानक फिर से रोने लगी और अपना सर मेरे कन्धों पर रख दिया. मैंने उनके कन्धों पे हाथ रखा और चुप कराने की कोशिश करने लगा.
उन्होनें स्लीवेलेस सूट पहना था और उनकी चिकनी बाहों का स्पर्श मुझे मजा देने लगा. मेरा लंड खड़ा हो गया और पैंट से बाहर आने के लिए मचलने लगा. मैं आंटी को तसल्ली देने लगा और बोला कि आप जैसी सुंदर बीवी को छोड़ कर वो कैसे चले जाते हैं. अगर मैं आपका पति होता तो ….. फिर चुप हो गया तो वो बोली कि अगर होते तो … आगे बोलो … मैंने कहा कि तो मैं आपको दिन रात प्यार करता. वो बोली कि फिर तुम्हारे अंकल क्यों नहीं करते … क्या मैं अच्छी नहीं हूँ ….?
मैंने कहा कि आप बहुत सुंदर हो …फिर धीरे से मैं ने उसके होठों को चूम लिया और हम दोनों धीरे धीरे एक दूसरे को किस करने लगे. धीरे धीरे हमने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और ज़ोरदार किस चालू हो गई, होंठ होंठों को चूसने लगे। कभी मेरी जीभ उसके मुहँ में जाती और कभी उसकी जीभ मेरे मुहँ में। अचानक वो बोली कि तुम पूछ रहे थे ना कि इस मूवी की स्पेल्लिंग ग़लत क्यों है ? तो उस मूवी को ओन करो पता चल जाएगा। मैंने वीसीआर में मूवी लगा दी, वो बेड पे बैठ गई और आवाज़ कम कर दी. मैं भी उसके पास जाकर बैठ गया। वो एक नग्न मूवी थी।
ब्लू फ़िल्म देखते देखते हम उत्तेजित हो गए और मैंने किस करते करते उसका कुरता उतार दिया …मेरे हाथ उसकी पीठ पर फिरने लगे… …क्या चिकना बदन था उसका ….फिर उसने मेरा शर्ट और बनियान निकाल दी …. मैं एक बात बतानी भूल गया कि मैं जिम्नास्टिक का प्लेयर हूँ और इसी वजह से मेरी फिजिक ज़बरदस्त है …. फिर धीरे से मैंने उसकी ब्रा खोल दी। उसके मस्त कबूतर फडफडा कर बाहर आ गए और मैं उन्हे धीरे धीरे दबाने लगा
उसने मुझे कस कर बाहों में भर लिया … उसका गरम चिकना नाजुक शरीर .. मुझे ऐसा लगा जैसे इससे अच्छी फीलिंग कोई हो ही नहीं सकती … फिर मैंने धीरे धीरे उसके बूब्स बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया … उसने मस्ती में अपने सर पीछे फ़ेंक दिया और मज़े में सिस्कारियां लेने लगी … मैंने धीरे धीरे उसकी सलवार का नाडा खोल दिया।
अब मेरे हाथ उसके पूरे नंगे शरीर को सहलाने लगे पैरों से लेकर कंधे तक। और मैं चूसते और चूमते हुए नीचे जाने लगा। फिर मैंने उसकी नाभि पे जीभ फिरानी शुरू कर दी …. फिर मैं उसके पैरों की तरफ़ चला गया और उसके पैर के अंगूठे और उँगलियों को एक एक करके चूसने लगा … इससे वो और उत्तेजित होने लगी और मुझे प्यार से देखकर मीठी मीठी सिस्कारियां लेने लगी ….. फिर मैंने अपनी पैंट उतार दी और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से हलके हलके सहलाने लगा …
उसने फिर मेरे अंडरवियर में हाथ डालकर मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया…. …. उसके हाथों के स्पर्श से मेरा लंड लकड़ी की तरह सख्त हो गया और मैंने उसकी पैंटी को अलग करके उसकी मस्त चूत को चाटना शुरू कर दिया और बीच बीच में जीभ को चूत के अंदर डालकर क्लिट्स को चाट लेता था। थोड़ी देर सिस्कारियां लेने के बाद वो मेरा सर पकड़ कर जोर से चूत पे दबाने लगी और चूत को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी …. मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है।
थोडी देर में उसकी चूत से पानी निकलने लगा पर मुझे अच्छा नहीं लगता सो मैंने मुँह हटा लिया। वो धीरे धीरे साँसे लेने लगी … पर मेरी बेचैनी बढती जा रही थी। … मैंने फिर से उसके बूब्स से खेलना शुरू कर दिया और वो फिर से मस्त होने लगी। मैं उसके बूब्स मसलते हुए किस करने लगा और सारे बदन को सहलाता रहा थोडी देर मैं वो फिर से उत्तेजित होने लगी।
फिर उसने पलंग से नीचे बैठकर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया …… सच कहूँ तो ऐसी चुसाई का मजा मुझे और किसी ने नहीं दिया …और मेरी झाटों से खेलने लगी …. थोडी देर में मेरे लंड का पानी निकल गया और उसने एक एक बूँद चाटकर साफ़ कर दी …. फिर हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा …. वो बोली कि यह बड़ा शैतान है … देखो फिर से उठ गया …. मैंने कहा कि मैंने तुम्हें कहा ही था कि मैं तुम्हे सारी रात प्यार कर सकता हूँ …
वो बहुत भावुक हो गई और मुझे ज़ोर से गले लगा लिया और मेरे होंठ चूसने लगी … अब हम दोनों पूरे जोश में आ चुके थे। मैंने उसको लिटा दिया और पैरों के बीच मैं आ गया …. फिर मैंने उसके चूतड़ों के नीचे २ तकिये रख दिए और उसके दोनों पैर अपने कन्धों पे रख लिए। फिर मैं लंड को उसकी चूत पे रगड़ने लगा … वो पागल हो रही थी और लंड अंदर पेलने की मिन्नत करने लगी… …. थोड़ा तरसाने के बाद मैंने एक ज़ोरदार झटका लगाया और मेरा लंड आधा उसकी चूत में चला गया ….. उसकी चूत बहुत टाइट थी …
उसने अपना निचला होंठ दातों में दबा लिया और मुझे रोकने का इशारा किया… … फिर बोली कि दर्द हो रहा हैं आराम से करो … मैं थोडी देर और रुका और फिर दूसरा धक्का लगाया तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समां गया। और वो दर्द से करह उठी। मैंने फिर थोड़ा इंतज़ार किया … उसका दर्द कम हो गया था और उसने धीरे धीरे अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी ….. .. फिर मैंने भी अपने धक्के तेज़ कर दिए और लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर होने लगा …
उसे भी पूरा मज़ा आ रहा था और वो मेरा साथ देने लगी …. थोडी देर बाद मैंने अपने पंजे बेड पर टिका दिए और घुटने सीधे करके ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे होने लगा …. यह एक ज़बरदस्त पोसिशन होती है बिल्कुल ऐसे जैसे दंड बैठक करते हैं …. इसमें बहुत मज़ा आता है …. और वो झड़ के निहाल हो गई …..
मैंने फिर से उसे किस करना शुरू किया … फिर वो बोली कि मैं ऊपर आ जाती हूँ …. मैंने कहा ठीक है …. तो वो मेरे ऊपर बैठ गई और पैर मोड़कर उछलने लगी ….. मेरा लंड पूरा अन्दर बाहर हो रहा था और उसे भी मज़ा आ रहा था …. थोडी देर बाद वो फिर से झड़ गई। फिर मैंने उसे नीचे लिटाया और एक पैर ऊपर कर कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा …… थोडी देर इसी तरह चुदाई करने के बाद मैंने उसे डोग्गी स्टाइल मैं आने को कहा तो वो डर गई … बोली पीछे से नहीं …. बहुत दर्द होगा …. तो मैं समझ गया कि अभी गांड नहीं मरवाएगी। … मैंने कहा कि नहीं मैं पीछे से चूत में ही डालूँगा …
वो धीरे धीरे डोग्गी स्टाइल में आ गई और मैंने पीछे से लंड उसकी चूत में डालकर धक्के लगाने लगा …. वो मजे से सिस्कारियां निकालती रही और गांड को आगे पीछे करती रही … मैं उसकी गांड के छेद को धीरे धीरे मसलता रहा ….. और थोडी देर में हम दोनों एक साथ फिर से झड़ गए …. फिर मैं लेट गया और वो मेरे साथ लगकर लेट गई ….
हम दोनों को ही बहुत मज़ा आया था …. इसके बाद हम कई दिनों तक रोज़ चुदाई करते रहे …. मैंने उसको गांड मारने के लिए तैयार किया और गांड मारी … पर वो कहानी फिर कभी …
मैं अगली कहानी कब लिखूंगा और लिखूंगा या नहीं ये सब आपकी मेल पर निर्भर करता है …. तो मुझे ज़रूर बताइयेगा कि यह कहानी आपको कैसी लगी …beigbass@gmail.com
पापा ने चुदना सिखाया
April 10th, 2009
No comments
प्रेषिका : हरामी चूत
आज उसका जन्मदिन था। वो काफ़ी उत्साहित थी। उसे पता था कि डैडी ने उसके जन्मदिन के लिए शाम को पार्टी रखी है। वो जल्दी जल्दी उठकर फ्रेश होकर हॉल में आ गई। जब वो हॉल में आई तो सिर्फ़ डैडी ही बैठे थे। उसने डैडी को पूछा कि मम्मी कहाँ गयी तो डैडी ने कहा कि वो तोहफ़ा लेने को मार्केट गयी है। तो क्रांति ने डैडी को पूछा कि अप मेरे लिए तोहफ़ा नहीं लेकर आए?
डैडी ने क्रांति को गौर से देखा। क्रांति को महसूस हो रहा था कि डैडी क्रांति की चूचियों को नाइटी के ऊपर से देख रहे है। पर उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की। डैडी ने कहा कि मेरा तोहफ़ा तो तुमको मम्मी की अनुपस्थिति में ही खोलना होगा।
क्रांति ने मासूमियत से कहा चलेगा ! आप दो तो सही !
डैडी ने कहा- ठीक है तुम मेरे पास आकर बैठो और मैं तुमको एक सबसे अच्छा तोहफ़ा देता हूँ।
वो भोलेपन से अपने पापा के पास जाकर बैठी तो उसके पापा ने कहा कि तुम्हारी कमर कितनी है?
उसने कहा- 28 इंच।
तो पापा ने कहा- इतनी छोटी है ! वाओ … टाइट है मतलब !
ये सुनकर क्रांति को अजीब लगा। उसके पापा ने कहा- तुम खड़ी हो जाओ, मैं तुम्हारी छाती मापता हूँ।
क्रांति इस बार भी बड़ी मासूमियत डैडी के सामने आकर खड़ी हो गई। डैडी ने बड़ी ही बेशर्मी से क्रांति के चूचियों को हाथ लगाते हुए पेट पर रखा। इस तरह से हाथ घूमाते हुए डैडी को पता लगा कि क्रांति ने मॅक्सी के अंदर कुछ नहीं पहना।
डैडी ने कहा- पेट तो काफ़ी अंदर है पर तुम्हारे बूब्स काफ़ी बड़े हैं। क्रांति को ये बात सुनकर शरम सी आने लगी। उसने कहा- डैडी ऐसे मत कहो ना। डैडी ने कहा- ठीक है मुझे ठीक से नाप लेने दो। ये कहकर डैडी एकदम से क्रांति की चूचियाँ दबाने लग़े। क्रांति के निपल गाउन के ऊपर से बटन की तरह दिखने लगे। क्रांति ने अपनी आंखें बंद कर ली और कहने लगी- इस तरह से किसी ने भी मेरा नाप नहीं लिया है।
डैडी हँसने लगे और कहने लगे- आगे आगे देखो अब क्या होता है।
फिर एकदम से क्रांति ने आँखें खोली और डैडी से दूर जाकर खड़ी हो गई। डैडी बने कहा- ओके ! तुम्हारी कमर का नाप लेने दो और बोल कर उसके पीछे जाकर उसकी कमर पर हाथ रखकर उसकी गाण्ड के बीच में डालकर बोले- उम्म ! तुम तो तैयार आम हो।
मासूम क्रांति ने कहा- इसका क्या मतलब है?
तो डैडी ने कहा- तुमको मैं अपनी तोहफ़ा देने के बाद बताऊँगा। फिर डैडी ने कहा कि तुम मेरे कमरे में आओ।
क्रांति को कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था। पर अब डैडी से क्या शरमाना ! यह सोच कर वो डैडी के साथ कमरे में चली गयी।
कमरे में डैडी ने एक बैग निकाला और उसे कहा कि इस बैग को चेंजिंग रूम में जाकर खोलो और इसकी अंदर की चीज़ को पहन के आना।
क्रांति ने कहा कि ठीक है। वो बैग उठाकर बाथरूम में चली गयी। उसने जब बाथरूम में जाकर बैग खोला तू उसने देखा कि उसके अंदर एक लाल रंग की ब्रा थी और एक थोंग थी। उसने डैडी को आवाज़ लगाई कि डैडी यह आपने मुझे क्या पहनने को दिया है?
डैडी ने कहा- वो ही जो तूने अभी नहीं पहना है और ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे। क्रांति कुछ समझ नहीं पाई और उसने वो लाल ब्रा पहनी और अपने आप को आईने में देखा तो उसने देखा कि वो काफ़ी जवान लड़की दिख रही है और उसके बूब्स सेक्सी औरत की तरह नेट वाली ब्रा से दिख रही हैं। फिर उसने अपनी मिली हुई तोहफ़े में से थोंग(चड्डी) पहनी।
उफ़्फ़ वो तो बस उम्म लग रही थी।…इसे बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।
वो सोच रही थी कि मैं यह पहन कर बाहर डैडी के सामने कैसे जाऊं? कि उतने में उसके डैडी की आवाज़ आई और वो घबरा कर बाहर आ गई। बाहर डैडी उसके इंतजार में ही खड़े थे।
उसने जब अपनी बेटी को ब्रा और चड्डी में देखा तो उनकी आँखें खुली खुली रह गयी। क्रांति की चूची एक दूध की बोतल की तरह दिख रही थी और उसकी पैन्टी कुछ ऐसी लग रही थी जैसे कि खज़ाना । जिसमे काफ़ी सारा धन था।
उसके डैडी कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे । इतने में क्रांति बोली- डैडी कैसी लग रही हूँ?
डैडी ने कहा- तुम एक आइटम लौण्डिया लग रही हो।
क्रांति बोली- ये आइटम लौण्डिया क्या होती है?
तो डैडी क्रांति के पास गए और उसकी चूची को एक हाथ से पकड़ लिया और बोले जिसस लड़की के बूब्स इतने भारी और रसीले हो उससे आइटम कहते हैं और उसने एकाएक चूची को जोर से चूँटा, इतने ज़ोर से किया कि उसके चूचूक ब्रा में से बटन की तरह दिखने लगे।
डैडी को यह देख के कुछ हो गया। इतने में क्रांति बोली- ये लौण्डिया क्या होता है?
तो डैडी ने देखा कि क्रांति की आँखें चूँटने के दर्द से बंद सी हैं तो उन्होने इस बात का फ़ायदा लिया और अपना हाथ क्रांति की पैन्टी में डाल दिया और और क्रांति की चूत के उपर अपनी उंगली घिसने लगे और बोले कि जिसकी इतनी अच्छी चूत हो जिसमें लण्ड घुसा सकें उस लड़की को लौण्डिया कहते हैं।
इस सबका लौण्डिया क्रांति पर काफ़ी असर हुआ। उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी। उसे अपने डैडी का हाथ अपनी नंगी चूत पर अच्छा लग रहा था। डैडी ने अपना दूसरा हाथ अपनी बेटी की ब्रा पर रख दिया और उससे धीरे धीरे दबाने लगे। डैडी उसके निपल को ब्रा के ऊपर से टटोलने लगे। डैडी उसके बूब्स को ब्रा के कप में से बाहर निकालकर चूसने लगे।
एक मधुर सा मज़ा आने लगा। क्रांति भी मस्त हो गयी थी। उसकी चूत अब काफ़ी गीली हो गयी। अभी भी आँखें बंद थी उसकी। क्रांति को अपने हाथों में कुछ गरम सा डंडा महसूस होने लगा। उसने जब अपनी आँखें खोल कर देखा तो वो उसके पापा का लण्ड था। उसँके डैडी का लण्ड काफ़ी बड़ा था। वो इतना बड़ा लण्ड देखकर घबरा गयी। उसने अपने डैडी को कहा कि उनका लण्ड काफ़ी बड़ा है। तो उसके डैडी ने कहा कि इस लण्ड की वजह से तो वो इस दुनिया में आई। और हँस कर बोले- चल लौण्डिया अब अपना मुँह खोलकर इस लण्ड को चूस।
क्रांति को काफ़ी अजीब लगा कि लण्ड को चूसा कैसे जाता है। तो उसके डैडी ने लण्ड क्रांति के होंठों पे लगाया और क्रांति को मुँह खोलने को कहा। क्रांति ने जब मुँह खोला तो डैडी ने अपना लण्ड तुरंत ही क्रांति के मुँह में डाल दिया और कहा कि इसे अब चूस लौण्डिया।
क्रांति को भी जोश आ गया था, वो भी डैडी का लण्ड चूसने लगी। डैडी को काफ़ी मज़ा आने लगा। डैडी का लण्ड काफ़ी कड़क हो गया था। डैडी ने दराज़ से एक कंडोम निकाला और अपने लण्ड के ऊपर लगाया।
क्रांति की चूत काफ़ी गीली हो गयी थी।। डैडी ने उसका लण्ड क्रांति की चूत पर रख कर क्रांति को कहा कि अब तू मेरी रानी बनेगी। क्रांति ये सुनकर काफ़ी खुश हो गयी।
डैडी ने लण्ड का एक झटका मारा तो उनका लण्ड सीधा क्रांति की चूत को चीर कर उसके अंदर चला गया। क्रांति को काफ़ी दर्द होने लगा। उसकी चूत से खून निकलने लगा। वो दर्द से जैसे बेहोश ही हो गयी थी। लेकिन उसके डैडी ने कुछ भी रहम नहीं दिखाया। क्रांति की चूत का तो आज़ कचूमर ही बनाने वाले थे।
डैडी ने और एक झटका मारा और उनका लण्ड क्रांति की चूत में एक और इंच गया। क्रांति की चीख पूरे कमरे में गूंजने लगी। अब डैडी एक के बाद एक झटके मारने लगे। क्रांति को कुछ देर के बाद मज़ा आने लगा। क्रांति की चीखें अब आहों में बदलने लगी। क्रांति भी अपनी चुदाई का मज़ा ले रही थी।
डैडी ने कम से कम 15 मिनट की मेहनत की। डैडी को पता था कि वो अब झड़ने वाले हैं तो उसने चुपके से अपना कंडोम निकाला और फिर अपनी बेटी के चूत मे डाल के अपने अंतिम झटके लगाने लगे। क्रांति को तो जैसे कुछ पता ही नहीं था कि क्या हो रहा है। वो तो कुछ अलग ही दुनिया में थी।
डैडी ने एकदम से एक ज़ोर का झटका दिया और वो अपने बेटी की चूत में झड़ गये। क्रांति भी उसी वक़्त झड़ गयी। उसे काफ़ी सुकून लग रहा था। डैडी का पानी क्रांति की चूत से बाहर आ रहा था। डैडी को काफ़ी खुशी हो रही थी कि क्रांति की चूत में उसने अपना पानी गिरा ही दिया।
जब क्रांति ने अपनी आँखें खोली तो उसने अपनी चूत का भोंसड़ा ही देखा। डैडी ने क्रांति को जल्दी से बाथरूम जाकर अपनी चूत को साफ़ करने को कहा। क्रांति बाथरूम जाकर जब लौटी तो डैडी अपनी टाँगें पसारे अपने लण्ड को हिला हिला कर टाइट कर रहे थे।
इस पर क्रांति बोली- डैडी आपने यह अच्छा नहीं किया बिना कंडोम के ही मुझे चोदा। वादा करो अगली बार आप कंडोम के साथ ही मुझे चोदेंगे। डैडी सोचते ही रह गए कि अगली बार मतलब क्रांति दोबारा उनसे चुदवाना चाहती है। डैडी ये सोच कर काफ़ी खुश हुए।
अब तो घर पर काफ़ी चुदाई होती है। सब खुश हैं। क्रांति का कई बार गर्भ भी गिराया गया है। मतलब कई बार बिना कंडोम के चु…। हहा ।।
डैडी नहीं सुधरेंगे !haramichut@yahoo.in
प्यासा दिल प्यासी रात
April 10th, 2009
No comments
लेखिका : नेहा वर्मा
हम लोग शहर की घनी आबादी के एक मध्यम वर्गीय मुहल्ले में रहते थे। वहां लगभग सभी मकान दो मंजिल के और पुराने ढंग के थे और सभी घरों की छतें आपस में मिली हुई थी। मेरे घर में हम मिया बीवी के साथ मेरी बूढ़ी सास भी रहती थी। य्ह कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के राज की है जो पिछ्ले महीने से ६-७ हमारे साथ वाले घर में किराये पर रहता था। राज अभी तक कुंवारा ही था और मेरा दिल उस पर आ गया था।
मेरे पति की ड्यूटी शिफ़्ट में चलती थी। जब रात की शिफ़्ट होती थी तो मैं छत पर अकेली ही सोती थी क्योंकि गरमी के दिन थे। राज़ और मैं दोनो अक्सर रात को बातें करते रहते थे। रात को छत पर ही सोते थे।
आज भी हम दोनो रात को खाना खा कर रोज की तरह छत पर बातें कर रहे थे। रोज की तरह उसने अपना सफ़ेद पजामा पहन रखा था। वो रात को सोते समय अंडरवियर नहीं पहनता था, ये उसके पजामे में से साफ़ ही पता चल जाता था। उसके झूलता हुए लण्ड का उभार बाहर से ही पता चल जाता था। मैंने भी अब रात को पेंटी और ब्रा पहनना बंद कर दिया था।
मेर मन राज से चुदवाने का बहुत करता था…. क्युंकि शायद वो ही एक जवान लड़का था जो मुझसे बात करता था और मुझे लगता था कि उसे मैं पटा ही लूंगी। वो भी शायद इसी चक्कर में था कि उसे चुदाई का मजा मिले। इसलिये हम दोनों आजकल एक दूसरे में विशेष रुचि लेने लगे थे। वो जब भी मेरे से बात करता था तो उसकी उत्तेजना उसके खड़े हुए लण्ड से जाहिर हो जाती थी, जो उसके पजामे में से साफ़ दिखता था। उसने उसे छिपाने की कोशिश भी कभी नहीं की। उसे देख कर मेरे बदन में भी सिरहन सी दौड़ जाती थी।
मैं जब उसके लण्ड को देखती थी तो वो भी मेरी नजरें भांप लेता था। हम दोनो ही फिर एक दूसरे को देख कर शरमा जाते थे। उसकी नजरें भी जैसे मेरे कपड़ों को भेद कर अन्दर तक का मुआयना करती थी। मौका मिलने पर मैं भी अपने बोबे को हिला कर….या नीचे झुक कर दिखा देती थी या उसके शरीर से अपने अंगों को छुला देती थी। हम दोनो के मन में आग थी। पर पहल कौन करे, कैसे हो….?
मेरी छ्त पर अंधेरा अधिक रहता था इसलिये वो मेरी छत पर आ जाता था, और बहाने से अंधेरेपन का फ़ायदा हम दोनो उठाते थे। आज भी वो मेरी छत पर आ गया था। मैं छत पर नीचे बिस्तर लगा रही थी। वो भी मेरी सहयता कर रहा था। चूंकी मैंने पेंटी और ब्रा नहीं पहन रखी थी इसलिये मेरे ब्लाऊज में से मेरे स्तन, झुकने से उसे साफ़ दिख रहे थे….जिसे मैं और बिस्तर लगाने के बहाने झुक झुक कर दिखा रही थी। उसका लण्ड भी खड़ा होता हुआ उसके पज़ामे के उभार से पता चल गया था। मुझे लगता था कि बस मैं उसके मस्त लण्ड को पकड़ कर मसल डालू।
“भाभी…. भैया की आज भी नाईट ड्यूटी है क्या….?”
“हां…. अभी तो कुछ दिन और रहेगी…. क्यों क्या बात है….?”
“और मां जी क्या सो गई हैं….?”
“बड़ी पूछताछ कर रहे हो…. कुछ बताओ तो….!” मैं हंस कर बोली।
” नहीं बस…. ऐसे ही पूछ लिया….” ये रोज़ की तरह मुझसे पूछता था, शायद ये पता लगाता होगा कि कहीं अचानक से मेरे पति ना आ जाएं।
हम दोनो अब छत की बीच की मुंडेर पर बैठ गये…. मुझे पता था अब वो मेरे हाथ छूने की कोशिश करेगा। रोज़ की तरह हाथ हिला हिला कर बात करते हुए वो मुझे छूने लगा। मैं भी मौका पा कर उसे छूती थी।, पर मेरा वार उसके लण्ड पर सीधा होता था। वो उत्तेजना से सिमट जाता था। हम लोग कुछ देर तक तो बाते करते रहे फिर उठ कर टहलने लगे…. ठंडी हवा मेरे पेटीकोट में घुस कर मेरे चूत को और गाण्ड को सहला रही थी…. मुझे धीमी उत्तेजना सी लग रही थी।
जैसी आशा थी वैसा ही हुआ। राज ने आज फिर मुझे कुछ कहने की कोशिश की, मैंने सोच लिया था कि आज यदि उसने थोड़ी भी शुरूआत की तो उसे अपने चक्कर में फंसा लूंगी।
उसने धीरे से झिझकते हुए कहा -”भाभी…. मैं एक बात कहूं…. बुरा तो नहीं मनोगी ” मुझे सिरहन सी दौड़ गयी। उसके कहने के अन्दाज से मैं जान गई थी कि वो क्या कहेगा।
“कहो ना…. तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है मैंने….” उसे बढ़ावा तो देना ही था, वर्ना आज भी बात अटक जायेगी।
“नहीं…. वो बात ही कुछ ऐसी है….” मेरे दिल दिल की धड़कन बढ़ गई। मैं अधीर हो उठी…. मेरा दिल उछल कर गले में आ रहा था….
“राम कसम…. बोल दो ना….” मैंने उसके चेहरे की तरफ़ बड़ी आशा से देखा।
“भाभी आप मुझे अच्छी लगती हैं….” आखिर उसने बोल ही दिया….और मेरा फ़ंदा कस गया।
“राज….मेरे अच्छे राज …. फिर से कहो….हां…. हां …. कहो…. ना….” मैंने उसे और बढ़ावा दिया।
उसने कांपते हाथों से मेरे हाथ पकड़ लिये। उसकी कंपकंपी मैं महसूस कर रही थी। मैं भी एकबारगी सिहर उठी। उसकी ओर हसरत भरी निगहों से देखने लगी।
“भाभी…. मैं आपको प्यार करने लगा हूँ….!” लड़खड़ाती जुबान से उसने कहा।
“चल हट…. ये भी कोई बात है…. प्यार तो मैं भी करती हूँ….!” मैंने हंस कर गम्भीरता तोड़ते हुए कहा
” नहीं भाभी…. भाभी वाला प्यार नहीं…. ” उसके हाथ मेरे भारी बोबे तक पहुंचने लगे थे। मैंने उसे बढ़ावा देने के लिये अपने बोबे और उभार लिये। पर बदन की कंपकंपी बढ़ रही थी। उसे भी शायद लगा कि मैंने हरी झंडी दिखा दी है। उसके हाथ जैसे ही मेरे उरोज पर पहुंचे….मेरा पूरा शरीर थर्रा गया। मैं सिमट गयी।
“राऽऽऽऽज्…. नहींऽऽऽ…….. हाय रे….” मैंने उसके हाथों को अपनी छाती पर ही पकड़ लिया, पर हटाया नहीं। उसके शरीर की कंपकपी भी बढ़ गयी। उसने मेरे चेहरे को देखा और अपने होंठ मेरे होंठो की तरफ़ बढ़ाने लगा। मुझे लगा मेरा सपना अब पूरा होने वाला है। मेरी आंखे बंद होने लगी। मेरा हाथ अचानक ही उसके लण्ड से टकरा गया। उसका तनाव का अहसास पाते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये। मेरे चूत की कुलबुलाहट बढ़ने लगी। उसके हाथ अब मेरे सीने पर रेंगने लगे। मेरी सांसे बढ़ चली। वो भी उत्तेजना में गहरी सांसे भर रहा था। मैं अतिउत्तेजना के कारण अपने आप को उससे दूर करने लगी। मुझे पसीना छूटने लगा। मैं एक कदम पीछे हट गयी।
“भाभीऽऽऽ …….. मत जाओ प्लीज्….” वह आगे बढ़ कर मेरी पीठ से चिपक गया। उसका एक हाथ मेरे पेट पर आ गया। मेरा नीचे का हिस्सा कांप गया। मेरा पेट कंपकंपी के मारे थरथराने लगा। मेरी सांसे रुक रुक कर निकल रही थी। उसका हाथ अब मेरी चूत की तरफ़ बढ़ चला। मेरे पेटीकोट के अन्दर हाथ सरकता हुआ मेरी चूत के बालों पर आगया। अब उसने तुरन्त ही मेरी चूत को अपने हाथों से ढांप लिया। मैं दोहरी होती चली गयी। सामने की ओर झुकती चली गयी। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों कि दरार को रगड़ता हुआ गाण्ड के छेद तक घुस गया। मैं अब हर तरफ़ से उसके कब्जे में थी। वह मेरी चूत को दबा रहा था। मेरी चूत गीली होने लगी थी।
“राज्…. हाऽऽऽय रे…….. मेरे राम जी…. मैं मर गई !” मैंने उसका हाथ नहीं हटाया और वो ज्यादा उत्तेजित हो गया।
“भाभी…. आप कितनी प्यारी है….” मैंने जब कोई विरोध नहीं किया तो वह खुल गया। उसने मुझे अब जकड़ लिया। मेरे स्तनो को अपने कब्जे में लेकर होले होले सहलाने लगा। उसके प्यार भरे आलिंगन ने और मधुर बातों ने मुझे उत्तेजना से भर दिया। जिस प्यार भरे तरीके से वो ये सब कर रहा था…. मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया। मेरा शरीर वासना के मारे झनझना रहा था। उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर दस्तक दे रहा था।
“तुम मुझे प्यार करते हो….!” मैंने वासना में उसे प्यार का इज़हार करने को कहा।
“हां भाभी…. बहुत प्यार करता हूं….तब से जब मैं आपसे पहली बार मिला था !”
“देखो राज……..ये बात किसी को नहीं बताना…. मेरी इज्जत तुम्हारे हाथ में है…. मैं बदनाम हो जाऊंगी…. मैं मर जाऊंगी….!” मैंने उस पर अपना जाल फ़ेंका।
“भाभी…. मैं मर जाऊंगा….पर ये भेद किसी को नहीं कहूंगा….” मेरी विनती से उसका दिल पिघल उठा।
“तब देरी क्यूं…. मेरा पेटीकोट उतार दो ना…. अपने पजामे की रुकावट हटा दो….” मुझसे अब बिना चुदे रहा नहीं जा रहा था। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल डाला और पेटीकोट अपने आप नीचे फ़िसल गया। उसका लण्ड भी अब स्वतन्त्र हो गया था।
“भाभी…. आज्ञा हो तो पीछे से शुरु करू…. तुम्हारी प्यारे प्यारे गोल गोल चूतड़ मुझे बहुत पसन्द है….” उसने अपनी पसन्द बिना किसी हिचक के बता दी।
“राऽऽऽज…. अब मैं तुम्हारी हू…. प्लीज़ अब कहीं से भी शुरू करो…. पर जल्दी करो…. बस घुसा दो….” मैंने राज से अपनी दिल की हालत बयां कर दी।
“भाभी…. जरा मेरे लण्ड को एक बार प्यार कर लो और थूक लगा दो….” मैंने प्यार से उसे देखा और नीचे झुक कर उसका लण्ड अपने मुंह में भर लिया…. हाय राम इतना मस्त लण्ड !…. वो तो मस्ती में फ़नफ़ना रहा था। मैंने उसका सुपाड़ा कस के चूस लिया। और फिर ढेर सारा थूक उस पर लगा दिया। अब मैं खड़ी हो गयी…. राज के होंठो के चूमा…. और अपने चूतड़ उघाड़ कर पीछे निकाल दी। मेरे गोरे चूतड़ हल्की रोशनी में भी चमक उठे। मैंने अपनी चूतड़ की प्यारी फ़ांके अपने हाथों से चीर दी और गाण्ड का छेद खोल कर दे दिया। मेरे थूक से भरा हुआ उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर आ टिका। मैंने हल्का सा गाण्ड का धक्का उसके लण्ड पर मारा। उसकी सुपारी मेरे गाण्ड के छेद में फ़ंस गयी। उसके लण्ड के अंदर घुसते ही मुझे उसकी मोटाई का अनुमान हो गया।
“राज…. प्लीज…. चलो न अब…. चलो….करो ना !” पर लगा उसे कुछ तकलीफ़ हुई। मैंने पीछे जोर लगाया तो उसने भी लण्ड को दबा कर अंदर घुसेड़ दिया। पर उसके मुख से चीख निकल गयी।
“भाभी…. लगती है…. जलता है….” मुझे तुरन्त मालूम हो गया कि उसने मुझे ही पहली बार चोदा है। उसके लण्ड की स्किन फ़ट चुकी थी। मेरा मन खुशी से भर उठा। मुझे एक फ़्रेश माल मिला था। एक बिलकुल नया लण्ड मुझे नसीब हुआ था। मेरे पर एक नशा सा चढ़ गया।
“राजा…. बाहर निकाल कर धक्का मारो ना…. देखो तो मेरा मन कैसा हो रहा है। ऐसी जलन तो बस दो मिनट की होती है….” मैंने उसे बढ़ावा दिया।
उसने मेरा कहा मान कर अपना लण्ड थोड़ा सा निकाल कर धीरे से वापस घुसेड़ा। फिर धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाने लगा। मैं उसका लण्ड पा कर मस्त हो उठी थी। मैंने अपने दोनो हाथ छत की मुंडेर पर रख लिये थे और घोड़ी बनी हुई थी। मैंने अपने दोनो पांव पूरे खोल रखे थे। चूतड़ बाहर उभार रखे थे। राज ने अब मेरे बोबे अपने हाथों में भर लिये और मसलने लगा। मैं वासना के मारे तड़प उठी। उसे लण्ड पर चोट लग रही थी पर उसे मजा आ रहा था। उसके धक्के बढ़ते ही जा रहे थे। उत्तेजना के मारे मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। अचानक उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया…. और मेरी तरफ़ देखा। मैं उसका इशारा समझ गयी। मैं बिस्तर पर आ कर लेट गयी।
“भाभी…. आप बहुत प्यारी है….सच बहुत मजा आ रहा है…. जिन्दगी में पहली बार इतना मजा आया है….” मुझे पता था कि जब पहली बार किसी चूत में लण्ड जायेगा तो ….मजा तो नया होगा…. इसलिये आत्मा तक तो आनन्द मिलेगा। और फिर मेरी तो जैसे सुहाग रात हो गयी…. कई दिनों बाद चुदी थी। फिर कितने ही दिनों से मन में चुदने कि इच्छा थी। किस्मत थी कि मुझे नया लण्ड मिला।
राज मेरे पास बिस्तर पर आ गया। मैंने अपनी दोनो टांगे ऊपर उठा दी और चूत खोल दी। राज ने आराम से बैठ कर अपना लण्ड हाथ से घिसा और हिला कर चूत के पास रख दिया। मैं मुस्कुरा उठी…. उसे ये नहीं पता था कि लण्ड कहां रखना है…. मैंने उसका लण्ड पकड़ कर चूत पर रख दिया।
“राजा…. नये हो ना…. तुम्हे तो खूब मजा दूंगी मै….आ जाओ…. मुझ पर छा जाओ….” मैंने चुदाई का न्योता दिया।
उसने हल्का सा जोर लगाया और लण्ड बिना किसी रुकावट के मेरी गीली चूत के अन्दर सरकता हुआ घुसने लगा। मुझे चूत में तीखी मीठी सी गुदगुदी उठने लगी और लण्ड अन्दर सरकता रहा।
“आहऽऽऽ …. राज…. मेरे प्यार…. हाय रे…….. और लम्बा सा घुसा दे….अन्दर तक घुसा दे….” मेरी आह निकलती जा रही थी। सुख से सराबोर हो गई थी। उसने मेरे दोनो चूंचक खींच डाले…. दर्द हुआ …. पर अनाड़ी का सुख डबल होता है…. सब सहती गयी। अब उसके धक्के इंजन के पिस्टन की तरह चल रहे थे। पर अब वो मेरे शरीर के ऊपर आ गया था….मैं पूरी तरह से उससे दब गई थी। मुझे परेशानी हो रही थी पर मैं कुछ बोली नही…. वो अपना लण्ड तेजी से चूत पर पटक रहा था, जो मुझे असीम आनन्द दे रहा था।
“भाभी…. आह रे…. तेरी चूत मारूं…. ओह हां…. चोद डालू…. तेरी तो…. हाय भाभी……..” उसकी सिसकारियां मुझे सुकून पहुंचा रही थी। उसकी गालियाँ मानो चुदाई में रस घोल रही थी….
“मेरे राजा…. चोद दे तेरी भाभी को…. मार अपना लण्ड…. हाय रे राज….तेरा मोटा लण्ड…. चोद डाल….” मैंने उसे गाली देने के लिये उकसाया…. और राज्….
” मेरी प्यारी भाभी…. भोसड़ी चोद दूं…. तेरी चूत फ़ाड़ डालू…. हाय रे मेरी…. कुतिया….मेरी प्यारी….” वो बोलता ही जा रहा था।
“हां मेरे राजा …. मजा आ रहा है…. मार दे मेरी चूत ….”
“भाभी ….तुम बहुत ही प्यारी हो….कितने फ़ूल झड़ते है तुम्हारी बातों में…. तेरी तो फ़ाड़ डालूं…. साली !” फ़काफ़क उसके धक्के तेज होते गये…. मैं मस्ती के मारे सिसकारियाँ भर रही थी….वो भी जोश में गालियाँ दे कर मुझे चोद रहा था। उसका लण्ड पहली बार मेरी चूत मार रहा था। सो लग रहा था कि वो अब ज्यादा देर तक रह नहीं पायेगा।
“अरे…. अरे…. ये क्या….?” मैंने प्यार से कहा…. उसका निकलने वाला था। उसके शरीर में ऐठन चालू हो गई थी। मैं जानती थी कि मर्द कैसे झड़ते हैं।
“हां भाभी…. मुझे कुछ हो रहा है…. शायद पेशाब निकल रहा है…. नहीं नहीं…. ये ….ये…. हाय्…. भाभी….ये क्या….” उसके लण्ड का पूरा जोर मेरी चूत पर लग रहा था। और …. और…. उसका पानी छूट पड़ा…. उसका लण्ड फ़ूलता…. पिचकता रहा मेरी चूत में सारा वीर्य मेरी चूत में भरने लगा। मैंने उसे चिपका लिया। वो गहरी गहरी सांसे भरने लगा। और एक तरफ़ लुढ़क गया। मैं प्यासी रह गयी…. पर वो एक २२ वर्षीय जवान लड़का था, मेरे जैसी ३३ साल की औरत के साथ उसका क्या मुकाबला….। उसमें ताकत थी….जोश था…. पूरी जवानी पर था। वो तुरन्त उठ बैठा। वो शायद मुझे छोड़ना नहीं चाह रहा था। मुझे भी लग रहा था कि कही वो अब चला ना जाये। पर मेरा अनुमान गलत निकला। वो फिर से मुझसे प्यार करने लगा। मुझे अब अपनी प्यास भी तो बुझानी थी। मैंने मौका पा कर फिर से उसे उत्तेजित करना चालू कर दिया। कुछ ही देर में वो और उसका लण्ड तैयार था। एकदम टनाटन सीधा लोहे की तरह तना हुआ खड़ा था।
“भाभी….प्लीज़ एक बार और…. प्लीज….” उसने बड़े ही प्यार भरे शब्दों में अनुरोध किया। प्यासी चूत को तो लण्ड चाहिये ही था…. और फिर मुझे एक बार तो क्या…. बार बार लण्ड चाहिये था….
“मेरे राजा…. फिर देर क्यों …. चढ़ जाओ ना मेरे ऊपर….” मैंने अपनी टांगे एक बार फिर चुदवाने के लिये ऊपर उठा दी और चूत के दरवाजे को उसके लण्ड के लिये खोल दिया।
वो एक बार फिर मेरे ऊपर चढ़ गया…. उसका लोहे जैसा लण्ड फिर मेरे शरीर में उतरने लगा। इस बार उसका पूरा लण्ड गहराई तक चोद रहा था। मैं फ़िर से आनन्द में मस्त हो उठी…. चूतड़ों को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी। अब वो पहले की अपेक्षा सफ़ाई से चोद रहा था। उसका कोई भी अंग मेरे शरीर से नहीं चिपका था। मेरा सारा शरीर फ़्री था। बस नीचे से मेरी चूत और उसका लण्ड जुड़े हुये थे। दोनो हो बड़ी सरलता से धक्के मार रहे थे। वार सीधा चूत पर ही हो रहा था। छप छप और फ़च फ़च की मधुर आवाजे अब स्पष्ट आ रही थी। वो मेरे बोबे मसले जा रहा था। मेरी उत्तेजना दो चुदाई के बाद चरमसीमा पर आने लगी…. मेरा शरीर जमीन पर पड़े बिस्तर पर कसने लगा, मेरा अंग अंग अकड़ने लगा। मेरे जिस्म का सारा रस जैसे अंग अंग में बहने लगा। मेरे दोनो हाथों को उसने दबा रखे थे। मेरा बदन उसके नीचे दबा फ़ड़फ़ड़ा रहा था।
“मेरे राजा…. मुझे चोद दे जोर से….हाय राम जी…. कस के जरा…. ओहऽऽऽऽऽऽ …….. मैं तो गई मेरे राजा…. लगा….जरा जोर से लगा….” मेरे शरीर में तेज मीठी मीठी तरावट आने लगी…. लगा सब कुछ सिमट कर मेरी चूत में समा रहा है…. जो कि बाहर निकले की तैयारी में है।
“मेरे राजा…. जकड़ ले मुझे…. कस ले हाऽऽऽय्…. मेरी तो निकली…. मर गयीऽऽऽ ऊईईऽऽऽऽऽ आहऽऽऽऽऽ …. ” मैं चरमसीमा लांघ चुकी थी…. और मेरा पानी छूट पड़ा। पर उसका लण्ड तो तेजी से चोद रहा था। अब उसके लण्ड ने भी अन्गड़ाई ली और मेरी चूत में एक बार फिर पिचकारी छोड़ दी। पर इस बार मैंने उसे जकड़ रखा था। मेरी चूत में उसका वीर्य भरने लगा। एक बार फिर से मेरी चूत में वीर्य छोड़ने का अह्सास दे रहा था। कुछ देर तक हम दोनों ही अपना रस निकालते रहे। जब पूरा वीर्य निकल गया तो हम गहरी गहरी सांसे लेने लगे। मेरे ऊपर से हट कर वो मेरे पास ही लेट गया। हम दोनो शान्त हो चुके थे….और पूरी सन्तुष्टि के साथ चित लेटे हुए थे। रात बहुत हो चुकी थी। राज जाने की तैयारी कर रहा था। उसने जाने से पहले मुझे कस कर प्यार किया…. और कहा….”भाभी…. आप बहुत प्यारी है…. आज्ञा हो तो कल भी….” हिचकते हुये उसने कहा, पर यहा कल की बात ही कहां थी….
मैंने उसे कहा -”मेरे राजा….मेरे बिस्तर पर बहुत जगह है…. यही सो जाओ ना….”
“जी….भाभी….रात को अगर मुझे फिर से इच्छा होने लगी तो….”
“आज तो हमारी सुहागरात है ना…. फिर से मेरे ऊपर चढ़ जाना….और चोद देना मुझे….”
“भाभी….आप कितनी……..”
“प्यारी हूं ना…. और हां अब से भाभी नही….मुझे कहो नेहा….समझे….” मैंनें हंस कर उसे अपने पास लेटा लिया और बचपन की आदत के अनुसार मैंने अपना एक पांव उसकी कमर में डाल कर सोने की कोशिश करने लगी।nehaumavermaa@gmail.com
ट्रेन में मस्त चुदाई अजनबी लड़की की
April 10th, 2009
1 comment
लेखक : अजय और श्याम
मेरा नाम अजय है और मैं भोपाल से मुम्बई जा रहा था मेरे आरक्षित बर्थ के सामने वाले बर्थ पर एक खूबसूरत कमसिन लड़की बैठी हुई थी।
रात को ठीक १२ बजे जब ट्रेन के सभी यात्री सोने की तैयारी कर रहे थे, मैं भी अपने बर्थ पर सोने की तैयारी कर रहा था। तभी अचानक मेरी सामने वाली बर्थ से आवाज आई- क्या आपको नींद आ रही है?
मैँने कहा- नहीं !
तो लड़की ने कहा- तो फिर बात करिये न !
लड़की के माँ बाप सो गये थे ऊपर वाली बर्थ पर। फिर मैंने लड़की से पूछा कि आप क्या कर रही हैं?
लड़की ने कहा- मैं ऐम बी बी ऐस की तैयारी कर रही हूँ ।
फिर लड़की अपने बर्थ से उठ कर मेरे बर्थ पे आ गई। दिसम्बर माह होने के कारण सरदी अपने पूरे शबाब पर थी तो मैंने उसे अपना कँबल ओढ़ने को कहा। लड़की मेरे साथ कँबल में मेरे से सट के बैठ गई। उसके शरीर की खुशबू मेरे जहन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी। फिर उसने मेरे पैर पर हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगी। फिर धीरे धीरे उसके हाथ की हरकत बढ़ने लगी।
फिर मैने जिप खोल कर अपना ९” का लन्ड ऊसके हाथ में पकड़ा दिया। लड़की काफी चुदासी लग रही थी । उसने झट से मेरे लन्ड को अपने हाथों में ले कर जोर जोर से सहलाने लगी। तब मैँने उसे अपने बर्थ पर लिटा लिया, मैँने उसके लिप पर लँऽऽऽम्म्म्बा किस किया तो लड़की के सारे बदन में सिरहन सी दौड़ गई। उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया।
मैंने उसकी शर्ट की बटन को खोलना चालू कर दिया, वो कुछ नहीं बोली और इस तरह हो गई कि उसके मक्खन जैसे स्तन मेरे सामने आ गये। मैंने उसके स्तन चूसना चालू कर दिया।
वो सीईईईईई कर के मेरे लँड पर टूट पड़ी और मेरे लँड को जो ३.५”मोटाई का है को लालीपाप की तरह चूसने लगी। मैंने उसकी पैंट के हुक ख़ोल कर उसकी पैंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत में ऊंगली करना चालू कर दिया।
वो सीऽऽ ई कर के पैर फैला के लेट गई। मैंने अपने लँड को उसकी चूत पर रगड़ना चालू कर दिय। वो आह उह उई श श करने लगी। जब मैंने अपने लँड को उसकी चूत में ठेला तो चार ईन्च तक अंदर चला गया। उसके मुँह से अजीब अजीब सी आवाज़ें निकलने लगी और वो अपने चूतड़ हिलाने लगी।
मैंने एक धक्का और दिया तो आधे से ज्यादा लँड अंदर चला गया। उसकी आँखोँ से आँसू आ गये, फिर भी बोले जा रही थी- और डालो !
मैंने पूरा लँड उसकी चूत में डाल दिया और ट्रेन के ईँजन की तरह धक्के मारना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद लड़की झड़ गई। मैंने अपने लँड को चूत से निकाल कर उसके मुंह में दे दिया। वो मेरे लँड को आईसक्रीम की तरह चूसने लगी।
मैं धक्के मारने लगा फिर मैं उसके मुँह में झड़ गया। वो मेरी सारी क्रीम को पी गई और मेरे लँड को चाट कर साफ कर दिया।
इस तरह मैंने रात में उसको ५ बार चोदा। फिर मेरा स्टेशन आ गया।
तो आपको ये कहानी कैसी लगी मेल जरूर करना
shyam4ubds@gmail.commr.ajayraj4u@gmail.com
खूबसूरत साथी
April 1st, 2009
No comments
लेखिका : नेहा वर्मा
मैं जब भी कहीं जाती हूं तो मेरी नजर खूबसूरत लड़कों पर पहले पड़ती है, ठीक वैसे ही जैसे लड़कों की नजरें सुंदर लड़कियों पर जाती है। ऐसी ही घटना मेरे साथ एक शादी की पार्टी में हुई। उस पार्टी में मुझे एक पुराना क्लासमेट मिल गया। बेहद खूबसूरत, ६ फ़ुट लम्बा, गोरा, कसरती शरीर, उसके शरीर की मसल्स देखते ही बनती थी।
मैं तो देखते ही उस पर फ़िदा हो गई। मैं जानबूझ कर के उसके सामने लेकिन कुछ दूरी पर खड़ी हो गई ताकि वो मुझे देख कर पहचान ले।…. भला कोई सुन्दर लड़की आपके सामने खड़ी हो तो कौन नहीं देखेगा।
“हाय…. नेहा जी…. आप…. मुझे पहचाना…. मैं विजय….”
“अरे….हां विजय हाय…. कहां हो….? क्या कर रहे हो….?”
“यहीं बी एच ई एल में लगा हूं…. एक छोटा सा मकान मिला हुआ है…. और आप….”
बातों का सिलसिला चल पड़ा और मैंने उसे और लम्बा कर दिया। साइड में डीजे चल रहा था। नाच गानों की आवाज में हमारी बातें कोई दूसरा नहीं सुन सकता था। वह मेरे साथ एक कुर्सी पर बैठ गया।
मैंने सोचा कि अभी विजय मुझमें दिलचस्पी ले रहा है….इसे अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। बातों के दौरान उसे कंटीली नजरों से देखना…. उसे देख कर अर्थपूर्ण मुस्कान देना। अदाएं दिखाना….यानी जो कुछ मैं कर सकती थी ….उसके सामने करने लगी।
नतीजा ये हुआ कि वो मेरी गिरफ़्त में आता नजर आ ही गया। डिनर आरम्भ हो चुका था। हम दोनों धीरे धीरे खा रहे थे…. बातें अधिक कर रहे रहे थे। समय का पता ही नहीं चला….अचानक मेरे मम्मी पापा आ गये।
“चलें क्या…. कितनी देर लगेगी….”
” अंकल, हमने अभी तो शुरू किया है…. मैं नेहा को घर पर छोड़ दूंगा….” विजय ने पापा से कहा।
“हां पापा…. ये विजय ! मेरा पुराना क्लासमेट ! …. बहुत दिनों बाद मिला है विजय….छोड़ देगा मुझे घर तक ! प्लीज़….”
“ठीक है…. जल्दी आ जाना….” कह कर पापा और मम्मी निकल गये।
हमने भी जल्दी से खाना समाप्त किया और निकल पड़े।
“देखो नेहा…. यहीं पास में उस केम्पस में है मेरा क्वार्टर…. देखोगी….”
“नहीं…. अभी नहीं….देर हो जायेगी….”
मेरा कहा नहीं मानते हुये उसने अपनी गाड़ी अपने क्वार्टर की ओर मोड़ ली….
“बस जल्दी से आ जायेंगे….” हम उसके घर पहुंच गये। ताला खोल कर अन्दर आये तो देखा विजय ने अपना कमरा अच्छा सजा रखा था।
उसने अपना घर दिखाया, फिर बोला,” क्या पसन्द करोगी….चाय, कोफ़ी या कोल्ड ड्रिंक….?”
मैंने समय बचाने के लिये कोल्ड ड्रिंक के लिये कह दिया। विजय शायद मुझे घर पर कुछ कहने के लिये ही लाया था।
“नेहा एक छोटी सी रिक्वेस्ट है…. देखो मना मत करना……..” विजय ने थोड़ा झिझकते हुए कहा।
मैं अन्दर ही अन्दर खुश हो रही थी कि अब ये कुछ कहने वाला है, शायद मुझे प्रोपोज करेगा !
“हां हां कहो…. ” फिर उकसाते हुए कहा “प्रोमिस ! मना नहीं करूंगी।”
“जाने से पहले एक किस दोगी……..!” फिर एकदम से घबरा उठा, “म्….म….मजाक कर रहा था !”
“अच्छा….मजाक कर रहे थे…. चलो मजाक में ही किस कर लो….” मैंने तिरछी नजरों से वार किया।
“क्….क्….क्या……..सच….” उसे विश्वास ही नहीं हुआ।
मैंने उसकी कमर में हाथ डाल दिया। और आंखे बन्द करके होंठ उसकी ओर बढ़ा दिये। मेरे शरीर का स्पर्श पा कर वो कांप गया। उसने धीरे से अपना होंठ मेरे होंठो से लगा कर किस करने लगा।
उसका लण्ड खड़ा होने लगा था…. मैंने उसके लण्ड पर थोड़ा दबाव और बढ़ा दिया। उसके शरीर का अहसास मुझे हो रहा था….उसके हाथ मेरी पीठ पर से फ़िसलते हुये मेरे चूतड़ों की तरफ़ जा रहे थे। मैंने भी अपने हाथ उसकी चूतड़ों की तरफ़ बढ़ा दिये। उसने अब मेरे दोनो चूतड़ों की गोलाईयों को दबा कर चूमना चालू कर दिया। मैंने भी वही किया और उसके चूतड़ों को दबाने लगी। मैंने धीरे से चूतड़ से एक हाथ हटाया और उसका लण्ड उपर से ही दबा दिया।
“आह……..नेहा…. जोर से दबा दो….” मैंने और दबा कर ऊपर से ही लण्ड मसल दिया…. पर उसी समय मुझे कुछ अजीब सा लगा। उसने मुझे जोर से जकड़ लिया…. और मुझे उसके पैंट के ऊपर से ही गीलापन लगने लगा…. वो झड़ चुका था। उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया था।
” विजय…. ये क्या…. निकल गया क्या….” मैंने मजाक में हंसते हुये छेड़ा।
“सोरी नेहा…. सह नहीं पाया….” उसका सर झुक गया।
मैंने उसकी हिम्मत बढ़ाते हुए कहा,” पहली बार तो ऐसा हो जाता है……..सुनो…. कल दिन को मुझे यहां ले आना…. कल मजे करेंगे”
विजय खुश हो उठा। इसने कपड़े बदले और मुझे घर छोड़ने के लिये चल पड़ा।
मैं खुश थी कि विजय जैसा जानदार लड़का मिल गया। अब जी भर कर चुदवाने का मजा लूंगी। अगले दिन वो दिन को २ बजे मुझे लेने आ गया।
हम दोनो सीधे उसके घर आ गये…. घर पर उसने पहले ही सारी तैयारी कर रखी थी। मैंने घर में आते ही दरवाजा बन्द कर दिया। और विजय से लिपट पड़ी। विजय भी जोश में लिपट पड़ा।
“विजय….मेरे कपड़े उतार दो…. बड़े तंग हो रहे है….” वो तो पहले ही पागल हो रहा था। उसने मेरा टॉप उतार दिया। मैंने जान कर ब्रा नहीं पहनी थी….मेरे दोनो कबूतर बाहर निकल कर फ़ड़्फ़ड़ा उठे…. विजय बैचेन हो उठा…. उसके हाथ मेरे स्तनों की ओर बढ़ने लगे….
“अजी ठहरो तो……..अभी मेरी जींस कौन उतारेगा….” उसके हाथ बढ़ते बढ़ते रुक गये और जींस की तरफ़ आ गये। मेरी जींस की ज़िप खोलते ही मेरी चूत के दर्शन हो गये। जींस नीचे सरकाते ही उसने अपना मुख मेरी चूत की पंखुड़ियों पर लगा दिये…. और जीभ ने दोनों पट खोल दिये…. और मेरी चूत में घुसने लगी। मुझे तेज सिरहन दौड़ गयी। मैंने अपनी आंखे बन्द कर ली।
“विजय अभी रुको जरा…. अपने कपड़े तो उतारो….” मुझे तो उसके शरीर को निहारना था। उसकी ताकत से भरी मसल्स को छूना था। उसके कड़े, मोटे और बलिष्ठ लण्ड को पकड़ना था। उसने अपने कपड़े भी तुरन्त उतार दिये और नंगा हो गया। वो मेरे जिस्म को देख कर आहें भर रहा था और मैं उसके तराशी हुई मसल्स को देख कर आहें भर रही थी। मैं उसके जिस्म से खेलना चाहती थी। मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया।
उसका लण्ड सच में बहुत बड़ा था। यानी लम्बा और मोटा था…. उसका लण्ड देखने से ही मस्कुलर और ताकतवर लग रहा था। मुझे उसका लण्ड देख कर नशा सा आने लगा कि हाय्…….. इतने सोलिड लण्ड से गहराई तक चुदने का मजा आयेगा।
“आहऽऽ …. कितना प्यारा लण्ड है तुम्हारा….तुमने कितनो को चोदा है….”
“सिर्फ़ एक को…….. पर थोड़ा सा ही…. ” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया…. हाय रे…. ऊपर से नरम मसल्स थी…. लण्ड में बहुत कड़कपन था। मैंने उसके सुपाड़े पर से चमड़ी ऊपर सरका दी और उसके लाल चमकदार सुपाड़े को मलने लगी…. थोड़ा सा थूक लगा कर चिकना किया और हाथ में कस लिया। एक बार और थूक कर उसके लण्ड को मुठ मारने लगी…. उसका लण्ड जोर से फ़ड़फ़ड़ाया और पिचकारी छूट पड़ी…. मैं स्तब्ध रह गयी। मेरा हाथ थूक से पहले ही गीला था….अब वीर्य से नहा गया था।
“विजय…. ये तो माल निकल गया….” विजय अति उत्तेजना से हांफ़ रहा था।
मैंने सोचा इसे फिर से तैयार करते हैं…. चुदवाना तो था ही….
मैंने उसी के रूमाल से सब कुछ साफ़ किया और कहा,” अच्छा जी ! मुझे कितना तड़पाओगे…. अभी फिर से तैयार करती हूं….थोड़ी देर कोल्ड ड्रिंक पीते है….”
उसे प्यार से कह कर मैंने फ़्रिज से ड्रिंक्स निकाल ली और नंगी ही उसकी गोदी में बैठ कर पीने लगे…. मेरी गाण्ड के स्पर्श से उसका लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने धीरे धीरे उसके लण्ड पर अपनी गाण्ड सहलाने लगी…. ड्रिंक्स समाप्त करके मैंने उसे फिर से सीधा लेटा दिया। उसका लण्ड सीधा तन्नाया हुआ खड़ा था।
मैंने जोश में आते हुये उसके ऊपर लेट कर लण्ड चूत में घुसेड़ लिया और जोर लगा कर पूरा घुसा लिया। उसने भी मुझे जकड़ लिया और अपने लण्ड का पूरा जोर नीचे से लगा दिया…. और मुझे लगा कि उसका जोर बढ़ता ही जा रहा है…. और मेरी चूत में उसका लण्ड फ़ूलता - पिचकता सा लगा…. मुझे अपनी चूत में उसका वीर्य का अहसास हो गया…….. विजय झड़ चुका था। मेरा सारा जोश ठण्डा पड़ गया। मैं उस पर निराशा से निढाल हो कर लेट गई….
मैं समझ चुकी थी कि विजय मात्र ऊपर से ही शानदार दिखता है…. पर अन्दर से खोखला है। मैं उस पर से धीरे से उठी और बाथ रूम में जाकर सारी सफ़ाई कर ली और कपड़े पहन लिये।
विजय शर्मिंदा लग रहा था…. पर मैंने उसे हिम्मत बढ़ाते हुये कहा,” विजय…. ये कोई समस्या नहीं है…. बस अति उत्तेजना का असर है…. चाहो तो होस्पिटल में किसी स्पेशलिस्ट से बात करो….किसी नीम हकीम से या न्यूज पेपर के विज्ञापन से दूर रहना….” मैंने उसे समझाया।
“नेहा …. हां मैं आज ही मिलता हूं….” वो पहले से खुद की कमजोरी जानता था। मुझे उस पर मन में दया भी आई…. पर मैं …….. प्यासी ही रह गई…. उसका शरीर और रूप देख कर धोखा खा गई….
“चलो मुझे अब घर छोड़ आओ…. ” वो मेरे साथ तैयार हो कर निकल पड़ा।
मैं रास्ते भर सोचती रह गई…. बेहद खूबसूरत, ६ फ़ुट लम्बा, गोरा, कसरती शरीर, उसके शरीर की मसल्स…. यानी शो पीस….
nehaumavermaa@gmail.com
जीजाजी के जालिम छोकरे
April 1st, 2009
No comments
प्रेषक : योगेश
जीजाजी के जंगल की ओर जाते ही शिव और मथारू ऊपर कमरे में आ गए।
आते ही मथारू बोला - ‘ तुम तो साहब की औरत के भाई हो, उनसे यह क्या करवाते हो? ‘
‘ क्या …? ‘ मैं हड़बड़ाया।
‘ बनो मत … हमें सब मालूम है कि तुमने साहब से क्या क्या करवाया है। ‘
‘ क्या करवाया है? ‘ मैं डरते हुए बोला।
‘ अभी हम बताते है… ‘ मथारू ने मेरे हाथ पकड़ लिए और शिव ने मेरी नेक्कर नीचे खींच दी। मैं पूरी तरह नंगा हो गया। जीजाजी ने रात में चार बार गाण्ड मारी थी इसी कारण मैंने अंडरवियर पहना ही नहीं था।
‘ यह क्या कर रहे हो? ‘ मैं चिल्लाया।
‘ वही जो तुमने रात भर अपने जीजा से कराया है ! ‘ कहते हुए शिव ने मेरे पोंड के छेद में अपनी बड़ी वाली उंगली घुसा दी। मेरी गाण्ड का छेद वैसे भी फूला हुआ था इसलिए मुझे बहुत तकलीफ हुई।
‘ इसके हाथ बाँध दो ! यह ऐसे नहीं मानेगा ! ‘ मथारू ने कहा।
शिव ने रूमाल से मेरे हाथ बाँध दिए। मैं नंगा तो पहले ही हो चुका था, उन्होंने मेरी शर्ट भी उतार दी।
शिव मेरी मुत्तु सहलाने लगा तथा मथारू मेरे पोंड फैला कर गाण्ड के छेद को देखने लगा।
‘ इसकी गाण्ड तो बहुत फूली हुई है ! साहब ने बड़ी बेरहमी से इसकी गाण्ड मारी है ! ‘ मथारू बोला - ‘हम इसे राहत पहुंचाएंगे !’
मथारू मेरे पीछे नीचे बैठ गया तथा मेरे पोंड पकड़ कर सहलाने लगा, शिव मेरी मुत्तु से खेलने लगा। मेरी मुत्तु धीरे धीरे खड़ी होने लगी। जैसे ही मुत्तु बड़ी हुई, शिव ने लपक कर उसे अपने मुंह में ले लिया और लालीपॉप सा चूसने लगा। मथारू मेरे पीछे बैठ कर मेरे पोंड के छेद में अपनी जीभ फिराने लगा। पोंड के छेद में मथारू अपनी जीभ थोड़ा अन्दर तक डालने की कोशिश कर रहा था। सामने से शिव मेरी मुत्तु को चूस रहा था।
मुझे बड़ा आनंद आने लगा। गाण्ड का दर्द भी कम हो गया। पहली बार किसी ने मेरी मुत्तु को चूसा था। मुझे बड़ा ही मजा आया। लगभग १५ मिनट बाद मेरी मुत्तु से कुछ रस सा निकालने लगा। मैं डर गया क्योंकि पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ था।
शिव ने तब मुझे समझाया - गाण्ड तो मराते हो पर लण्ड के बारे में कोई जानकारी नहीं है, इसमें से यह निकलता ही है, इसके निकल जाने के बाद ही पूरा मजा आता है।
मेरी गाण्ड को चाटते चाटते मथारू का लण्ड खड़ा हो गया। उसने जल्दी से अपनी नेक्कर उतारी और अपना तना हुआ लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया। हालाँकि उसका लण्ड जीजाजी से काफी छोटा था पर मुझे काफी दर्द हुआ। वह खड़े खड़े ही मेरी गाण्ड के छेद में लण्ड घुसा कर धक्के लगा रहा था पर वह ठीक से नहीं लगा पा रहा था। उसने मुझे आधा पलंग पर और आधा नीचे लटका कर लिटा दिया।
अब उसका लण्ड अच्छी तरह से मेरी गाण्ड में अन्दर बाहर हो रहा था। मेरी गाण्ड फूली हुई थी फिर भी मुझे आनंद आ रहा था। थोड़ी देर में वह झड़ गया लेकिन मेरा लण्ड अब तन्ना गया था।मैने शिव की गाण्ड मारने की इच्छा जताई, वह तैयार हो गया।
मैने भी उसे घोड़ी बन जाने को कहा, ऐसी पोसिशन में उसकी गाण्ड का छेद काफी खुल गया। मैने अपना लण्ड धीरे से उसकी गाण्ड के छेद में घुसाया, फिर एक धक्का मारा, मेरा लण्ड पूरी तरह अन्दर घुस गया। उसकी गाण्ड का छेद काफी बड़ा था। जब मैने पूछा तो उसने बताया कि तुम्हारे जीजाजी ने उसकी गाण्ड मार मार कर उसका भुरता बना दिया है।
अब मैं भी अपना लण्ड उसकी गाण्ड के छेद में अन्दर बाहर करने लगा। मेरे लिए किसी की गाण्ड मारने का यह पहला मौका था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मानो मैं ज़न्नत में पहुँच गया हूँ। थोड़ी देर बाद मैं झड़ गया पर मुझे गाण्ड मारने में बहुत ही आनन्द आया।
दोनों के साथ मैंने तीन नए अनुभव लिए। मैंने पहली बार किसी से अपना लण्ड चुसवाया था, किसी ने पहली बार मेरी गाण्ड में जीभ फ़ेरी थी और मैंने पहली बार किसी की गाण्ड मारी थी।
जीजाजी शाम तक के लिए गए थे अतैव हम तीनों ने बारी बारी से एक दूसरे की गाण्ड मारी।
उस दिन सही मायनों में मैंने गाण्ड मारने और मराने का मजा लिया। वो दोनों मेरे दोस्त बन गए। उन्होंने बताया कि जब भी साहब यहाँ आते हैं तो वह हम दोनों की कई कई बार गाण्ड मारते हैं। हम दोनों भी आपस में एक दूसरे की गाण्ड मारते रहते हैं, बहुत मजा आता है।
उस दिन हम तीनों ने दो बार एक दूसरे की गाण्ड मारी तथा मराई, मेरी गाण्ड का दर्द भी गायब हो गया।
इसी बीच जीजाजी कब आ गए और हमारा खेल देखते रहे, हमें पता ही नहीं लगा। उन्होंने मुझे मथारू की गाण्ड मारते देख लिया था पर वह बोले कुछ नहीं। वह अनजान बने कमरे में आए और चाय बना कर लाने का आर्डर देकर लेट गए। लेकिन बाद में क्या हुआ जानने के लिए इन्तजार करें अगली कहानी का ….
yogi.piparsania@gmail.com
कुंवारी पडोसन की चुदाई
April 1st, 2009
No comments
प्रेषक : अश्विन
हेलो दोस्तों !
सेक्स की दुनिया में आपका स्वागत है। मैं आज आपको अपनी सेक्सी और सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
तो मेरी ये कहानी पढ़ने वाले और वाली सभी लौड़ों और चूतों को मेरा बार बार सलाम !
मैं अहमदाबाद में रहता हूँ। जब मैं १८ साल का लड़का था तब मेरे घर पे टीवी नही था तो मैं शुक्र और शनिवार को मेरी पड़ोसन के घर पे टीवी देखने जाता था। मेरी पड़ोसन एक २३ साल की कुंवारी लड़की थी।
एक दिन की बात है जब मैं उसके घर सोफ़े पे बैठ के टीवी देख रहा था तब वो मेरी पड़ोसन आ कर मेरे पास में सोफे पे लेट गई।
हमने साथ बैठ के काफी सारी पिक्चर देखी होंगी, पर उस दिन वो नाइटगाऊन में काफी खूबसूरत लग रही थी. मैंने उसकी ओर देखा तो उसने मेरी ओर ताका। फिर उसके हाथ से अपने कपड़े को सही करके बैठ गई। मैं उसकी और ताकता ही रहा गया क्योंकि उसके कपड़े में से उसका आधा शरीर दिख रहा था और उसकी चूची काफी सुंदर से लग रही थी।
तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया- काश ! इसकी चूची मुझे दबाने मिल जाए !
तभी मैंने देखा कि उसने मेरी ओर देख के मुझे एक सेक्सी स्माइल दी। तो मैं उसकी और देखता ही रह गया क्योकि उसने अपने हाथ से अपना कपड़ा थोड़ा हटाया ताकि मैं उसकी चूची देख सकूँ।फिर वापिस हम दोनों पिक्चर देखने लगे तभी पिक्चर में एक ऐसा सीन आया कि उसमें हिरोइन अपनी जांघ हीरो को दिखाती है।
बस उसी तरह वो मुझे अपनी जांघ दिखाने लगी. मैं भी उसकी जांघ को देखता रहा।
फिर पिक्चर में एक किस का सीन आया तो उसने मेरे सामने देख के वापिस सेक्सी स्माइल दी। फिर मैं अपने आप पे कंट्रोल नहीं कर पा रहा था क्योकि उसका मुंह मेरे लंड के काफी करीब था और वो बार बार मेरे लंड के साथ अपना सर टकरा रही थी. इतने में ही टीवी में फ़िर किस का सीन आया तो उसने मुझे देख के मुझे बोला- पिक्चर काफी अच्छी है।
तो मैंने बोला- क्यों ऐसे सीन बहुत अच्छे लगते हैं?
तो वो बोली- तुम तो कैसी गन्दी बाते कर रहे हो !
मैंने बोला- सॉरी ! बस अब ऐसी बात नही करूँगा।
फिर वो पिक्चर देख रही थी। अब उसकी चूची मुझे काफी साफ दिख रई थी और अब मैं उसको दबाने का ही सोच रहा था कि उसको ऐसा लगा कि उसकी ब्रा में कुछ घुस गया है।
उसने मुझे कहा- देखो तो ! तुम्हें कुछ दिख रहा है?
मैंने देखा कि उसके एकदम सफ़ेद से बुबले मुझे दिख रहे थे और उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी।
वो मैंने देखी और मैं बोला- हाँ दिख तो रहा है पर ख्याल नहीँ आता कि क्या है !
वो बोली- तो क्या करूँ?
फिर मैं बोला- तुम अपनी ड्रेस निकाल दो तो मैं देख पाऊँ !
वो बोली- कोई देख लेगा !
तो मैं बोला- कोई नहीं देख पायेगा क्योंकि हम लाइट बंद कर देंगे।
फिर वो बोली- तो दिखाई कैसे देगा?
मैं बोला- मेरे को देखना है कि तेरे को?
तो वो मुझे बोली- तेरे को !
तो मैंने कहा- वैसे करो ! मज़ा आयेगा !
फिर उसने पहले लाइट बंद कर दी और बाद में अपना ड्रेस निकाल कर बोली- कहाँ है? ज़रा ज़ल्दी देख लो !
मैं अपने दोनों हाथ उसकी ब्रा में डाल के उसके चुचे दबा रहा था। तो वो बोली- ज़ल्दी करो वरना कोई आ जायेगा !
मैं बोला- मिलने तो दो !
फिर हम दोनों एक सोफे पे लेट गए। वो बोली मुझे एक मर्द जैसे भी लड़की को खुश कर सकता हो, वैसा करो ! मैं तुम्हारे लिए तुम जो कहोंगे वो करुँगी पर एक शर्त पर कि तुम हर शुक्र और शनि को हमारे घर पे टीवी देखने ज़रूर आओगे।
मैंने बोला- अच्छा! फ़िर मैंने उसको किस किया, वो भी उसके लिप्स पे ! तो उसको थोड़ा सा मज़ा आया और मुझे भी अच्छा महसूस हो रहा था तभी मैंने उसको उसके मुँह पे और उसके पूरे बदन को मेरी किसो से नहला दिया। उससे उसको काफी मज़ा आया और वो बोली- तुम्हें कैसा लग रहा है? मैंने बोला- तुम सोच नही सकोगी कि मैं कैसा महसूस कर रहा हूँ !
और मैं उसको काफी सारी किस करने के बाद में उसके पायजामा का नाड़ा खोलने लगा तो वो शरमा कर मेरे सामने देखने की बजाए अपनी चूची पे देखने लगी क्योंकि उसकी चूची को मैं काफी देर से दबा रहा था और उसकी चुचियाँ काफी कड़क हो गई थी।
मैंने उसका पायजामा निकाल दिया था तब मैंने देखा तो उसने गुलाबी रंग की पैन्टी पहनी थी। फ़िर मैंने काफी देर तक उसकी चुचियाँ दबाई। फ़िर मैंने देखा तो उसकी पैन्टी थोड़ी सी भीगी लग रही थी तब मुझे पता चला कि वो झड़ गई थी।
फिर मैं उसको उठा के उसके बेडरूम में ले गया और वहाँ पे जा के उसको उसके बेड पे लेटा दिया और उसकी पैन्टी निकाल कर उसकी चूत चाटने लगा।
तब वो भी थोड़ी सी गरम हो रही थी और वो मेरा लण्ड मेरे पैंट के बाहर से ही पकड़ कर हिलाने लगी। मैंने भी तब गरम होकर अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया और हम दोनों ६९ की पोजीशन में आ गए और हमने करीब १५ मिनट तक एक दूसरे की चुसाई की। फ़िर मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मैं केवल अंडरवियर में आ गया और उसने अपने हाथ से मुझे इशारा किया कि अब और मत तड़पाओ ! ज़ल्दी से मेरी चूत में अपना लण्ड डालो !
मैं समझ गया। तब मैंने अपने लंड की सुपारी उसकी चूत के ऊपरी हिस्से में रख दी और अहिस्ते से उसे रगड़ने लगा। फिर उसने मेरा लंड पकड़ के अपनी चूत का रास्ता बताते हुए कहा कि यहाँ डालो !
तब मैंने उसको एक जोरदार झटका दिया, वो चिल्ला उठी और बोली- अहिस्ते से करो !
पर मेरा लण्ड उसकी चुत में समाने के लिए काफी उतावला हो रहा था। मैंने उसके मुँह पे अपना मुँह रख कर उसको किस करता रहा और बढ़िया से झटके देता रहा्। तब मैंने देखा तो उसकी आँखों से आंसू निकाल गए थे।
फिर मैंने मेरी स्पीड थोड़ी सी कम कर दी। पर बाद में मैंने देखा कि वो भी मेरे झटके के साथ में अपने चूतड़ उठा कर साथ दे रही थी। फिर मैं भी उसकी जम कर चुदाई करने लगा। पर तब मैंने देखा तो उसकी चूत में से खून निकल रहा था। मैं समझ गया और मैंने उसको बोला कि पहली बार थी तो बोलना चाहिये ना ! मैं थोड़ा आराम से करता !
वो बोली- मुझे अहिस्ते से नहीं चाहिए, इसलिए नहीं बताया।
तो मैंने बोला- फ़िर आंख से आंसू क्यों निकल रहे थे?
वो बोली- तुम्हारा इतना बड़ा लंड लेकर मेरी बुर फट गई थी इस लिए ! और वो बोली- अब थोड़ा और ज़ोर से चोदो ! मैं बस अब झड़ने वाली हूँ !
फ़िर मैंने उसको झटका देना चालू किया उसको काफी सारा मज़ा आया और वो बोली- और ज़ोर से बस ऐसे ही चोदो ! आज मेरी चूत को फाड़ डालो और डाल दो अपना लंड मेरी चूत में !
फ़िर मैंने उसकी जम कर चुदाई की।
वो बोली- मैं झड़ने वाली हूँ !
मैं बोला- रुको !
फिर मैंने उसका पूरा चूत-रस अपने मुँह में भर लिया।
वो बोली- तुम कब झड़ने वाले हो?
मैं बोला- एक बढ़िया सा झटका मार लेने दो !
फ़िर मैंने उसको कुतिया की स्टाइल में दस मिनट तक चोदा, उसे काफी अच्छा महसूस हुआ।
बस अब मैं झड़ने वाला हूँ !
वो बोली- तुम आज तुम्हारे लावा से मेरा मुँह भर दो !
तब मैंने मेरे वीर्य से उसका मुँह भर दिया। उसके बाद हम दोनों करीबन आधा घंटा साथ में नंगे सोते रहे।
फ़िर वो बोली- एक बार और !
मैं बोला- हर शुक्र और शनि तो करेंगे !
तो वो बोली- मज़ा आयेगा !
और तबसे लेके हमने एक भी शुक्र और शनि नही छोड़ा।
आज उसकी शादी हो गई है पर आज भी मैं ज़ब भी सूरत जाता हूँ या वो अहमदाबाद आती है, तब हम दोनों मिलते है और मैं उसकी जमकर चुदाई करता हूँ !
तो दोस्तों कैसी लगी आपको मेरी ये कहानी ?
आप अपने मेल मुझे इस पर दो
sex4uatyourtime@gmail.com
एक बार फ़िर मिलेंगे यहाँ पर ही मेरी नई स्टोरी के साथ !
तब तक सभी लौड़ों और चूतो को मेरा सलाम !
मैं और मेरी क्लासमेट कोमल
April 1st, 2009
No comments
लेखक : पंकज
हाय ! मेरा नाम पंकज है और मेरी उम्र २१ साल है, मैं मुम्बई में रहने वाला एक सुन्दर लड़का हूँ। मैं अन्तर्वासना के माध्यम से अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
मेरा मन कामुक कथाएं पढ़ने का बहुत करता है इसलिए मैं बहुत सारी सेक्स-कहानियों की किताबें अपने साथ रखता हूँ।
अब कहानी शुरू करता हूँ..
यह करीब एक साल पहले की बात है, मेरी कक्षा में एक सेक्सी लड़की ने प्रवेश लिया। वो एक सेक्सी शरीर की मालकिन थी। सारे लड़के उसे देखते तो उनके मुंह से आह निकलती थी। उसके स्तन तो ऐसे थे कि ब्रा में समाते ही नहीं थे और हमेशा उसके अन्दर चहकते रहते..और कोमल की टाईट जींस के अन्दर उसकी तरबूज़ जैसी गाण्ड ऐसी लगती थी कि अभी इसकी चुदाई कर दूँ…
क्लास के सभी लड़के कोमल के पीछे पड़े थे..मैं एक शर्मीला लड़का हूँ इसलिए मैं दूर रहता था। लेकिन क्लास में होने की वज़ह से हमारी दोस्ती हो गई। लेकिन मैं भी उसे चोदना चाहता था और मुझे मौका मिल ही गया।
वो मेरे घर की तरफ़ ही रहती थी, इस वज़ह से वो मेरे साथ ही आती जाती थी। मैं रिक्शे में हमेशा हमेशा चांस मारता था, कभी उसके बूब्स पे हाथ मार देता तो कभी मज़ाक में उसकी गाण्ड पे हाथ मार देता। वो भी कुछ नहीं बोलती थी।
बारिश का मौसम था। उस दिन बारिश की वज़ह से हम काफ़ी भीग चुके थे। गीले कपड़ों में उसके स्तन पूरे आकार में दिख रहे थे और मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैंने उसे आज ही चोदने का मन बना लिया था। वो मुझे अपने घर ले गई। हम दोनों को ठण्ड लग रही थी।
वो अपने कपड़े बदल कर आई, तब तक मैं अपना शर्ट निकाल चुका था..
वो जैसे ही बाहर आई तो मैं उसे पकड़ के किस करने लगा। वो कुछ समझी ही नहीं पाई या फ़िर ना समझने का नाटक कर रही थी। मैं किस करते करते उसके बूब्स को दबाने लगा, वो कुछ नहीं बोली। मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैंने उसकी ब्रा के अन्दर हाथ डाल दिया। अब तक वो भी पूरी आपे से बाहर हो चुकी थी, उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया, मैं समझ गया कि कोमल को मेरा लण्ड चाहिए।
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मैं अपना लण्ड उसके मुँह में देने लगा, पहले तो उसने मना किया लेकिन बाद में वो राज़ी हो गई। वो मेरे लण्ड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी। हम दोनों ६९ की पोज़िशन में आ गए। मैं उसकी गुलाबी चूत को जीभ से चाटने लगा। उसके मुंह से ..ऊह या पंकज़ याह ऊऊह प्लीज़ चोदो मुझे …. मुझे तुम्हारा …. बड़ा सा लण्ड चाहिए ओ येस की आवाज़ निकाल रही थी। हम दोनों बेकाबू हो गए और एक दूसरे के मुँह में झड़ गए।
१५ मिनट तक हम एक दूसरे के ऊपर लेटे रहे, उसके बाद वो फ़िर से चुदाई के लिए तैयार हो गई, लेकिन इस बार जीभ से नहीं मेरे लण्ड से चुदाने के लिए तैयार थी। मैं उसे कुतिया स्टाईल में चोदने के लिए तैयार हो गया लेकिन वो पहली बार चुदाने जा रही थी इसलिए उसकी चूत काफ़ी टाईट थी । मैंने उसे क्रीम लाने को बोला, और उस पे लगाया, फ़िर एक जोर का झटका दिया और वो चिल्लाने लगी- निकालो-निकालो !
फ़िर मैं रुक गया, थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ और वो भी मचलने लगी। फ़िर मैंने और एक झटका दिया और मेरा लण्ड पूरी तरह उसकी चूत के अन्दर हो गया और उसके मुँह से अजीब आवाज़ें निकलने लगी- ओह पंकज ! प्लीज़ मेरी चूत को फ़ाड़ दो प्लीज़ ओ ओह यस… मैं ज़न्नत में हूँ…. तुम पहले क्यों नहीं मिले..आई लव यू पंकज़ !
और मैं तो जैसे स्वर्ग में था। अब हम दोनों पूरे जोर से एक दूसरे को चोद रहे थे।
अब हम दोनों झड़ने वाले थे। वो बोली-अन्दर मत गिराना… मैं तुम्हारे पानी को पीना चाहती हूँ..
मैंने बाहर निकाल के उसके मुंह में गिरा दिया …वो सारा पानी पी गई …उसके बाद हम दोनों ने अलग अलग ढंग से दो बार और चुदाई की।
वो मेरे साथ एक साल रही, लेकिन अब वो कोलकाता चली गई है.. और मैं अकेला पड़ गया हूँ..
मेरी कहानी कैसी लगी
मुझे मेल करें
pankajdubey019@yahoo.com
मैं और मेरी बुआ-२
April 1st, 2009
No comments
प्रेषक : गॅप
जब हम शादी में से वापस आए तो मैंने सोचा कि अब मैंने बुआ के साथ उपर का मज़ा ले लिया। फ़िर मुझे लगा कि यार ये सब ग़लत हो रहा है। रानी मेरी बहन लगती है उसके साथ किया। गौरी मेरी बहन लगती है उसको भी चोदा। और ये भी मेरी बुआ लगती है इसको भी ऊपर से चोद दिया। इसीलिए मैंने सोचा के अब मैं रानी, गौरी और बुआ के साथ नहीं करूँगा। और मैंने इनके बारे में ग़लत सोचना छोड़ दिया।
लेकिन, कुछ दिनों के बाद बुआ का फोन मम्मी के पास आया। मम्मी ने मुझे बताया के मुझको रात में बुआ के घर जाना है क्योंकि फूफा जी और उनका लड़का एक शादी में गये हैं। मैं फिर बुआ के घर चला गया।
मैं जब बुआ के घर में घुसा तो बुआ सामने ही बैठी थी। उस ‍‍दिन उसने काली साड़ी और काला ब्लाउज पहन रखा था। मैं सामान्य था क्योंकि बुआ, गौरी और रानी का ख्याल मन से निकाल चुका था। बुआ उठी और मेरे लिए खाना लेकर आई। हम खाना खाने बैठ गये। खाना खाते वक्त बुआ ने अपनी साड़ी को उपर किया और बुआ इस तरह से बैठ गई कि मुझे उसकी चूत दिखाई दे। पर मैने ध्यान नहीं दिया।
ख़ाने के बाद बुआ बोली- रात के दस बज गये हैं, अब सो जाते हैं।
मैं बेड पर लेट गया और बुआ भी मेरे बराबर में आकर लेट गई। मै सोने की कोशिश कर रहा था। उस कमरे के बाहर की लाइट जल रही थी। जिससे कमरे में बहुत रोशनी हो रही थी कि सब साफ दिख रहा था। मैं आज चुपचाप लेटा हुआ था। मेरी आँख थोड़ी खुली थी थोड़ी बंद थी। एक दम मुझको झटका लगा। जब बुआ ने अपना पैर मेरे पैर से छुआ। पर मैंने सोचा कि बुआ सो चुकी है। और मैंने अपना पैर अलग कर लिया।
फिर थोड़ी देर बाद बुआ खड़ी हुई और उसने अपनी साड़ी उतार दी। और वो पेटिकोट और ब्लाउज में लेट गई। उसने सोचा कि मैं सो चुका हूँ। मुझको दोबारा झटका जब लगा जब उसने अपनी गांड को मेरे लंड पर छुआ दिया। पर मैं चुप अपने मन पर काबू करके पड़ा रहा।
बुआ इस हरकत से मुझको जगाना चाहती थी। पर मैने कोई हरकत नहीं की। बुआ को बुरा लगा और बैठ गई और बोली आज ‘बुआ चोद’ सो रहा है। जब मेरा मन आज चुदने का कर रहा हैं तो आज ‘बुआ का लंड’ सो रहा है और उस दिन मेरे मना करने पर भी खुद ही कर रहा था।
और फिर, बुआ ने अपने ब्लाउज के हुक खोल दिए। आज बुआ ने कॉटन की काली ब्रा पहन रखी थी। फिर बुआ मेरी तरफ मुंह करके लेट गयी। और अपना एक हाथ मेरे अंडरवियर के उपर से मेरे लंड पर रख दिया। मुझको फिर झटका लगा और मैंने उसका हाथ अपने हाथ से हटा दिया।
फिर बुआ बोली- मुझको आज तुझको चोदना पड़ेगा।
मैं तो उसकी बोली सुनकर दंग रह गया कि बुआ ऐसी बोली बोल रही है।
फिर उसने अपने एक हाथ से मेरे अंडरवियर से मेरा लंड निकाल लिया। अबकी बार मैंने बुआ को कुछ नहीं कहा और बस सोचता रहा कि क्या करूँ? बुआ ने मेरे लंड को अपने कोमल हाथ से सहलाना शूरु कर दिया। मैंने अपनी आँख खोली तो बुआ बोली आज तेरा मन नहीं कर रहा है क्या?
तो मैंने कहा- तुम मेरी बुआ लगती हो।
तो उसने कहा- उस दिन तो तू मुझको रंडी समझ रहा था।
और वो बोलते बोलते मेरे लंड की मूठ मार रही थी। मेरा लंड भी अब खड़ा होने लगा था। मैं भी एक मर्द हूँ। कब तक मैं मन पर काबू रखता। फिर भी मैंने बुआ का हाथ पकड़ कर अपने लंड से अलग कर दिया।
फिर बुआ बोली- मुझको आज तुझसे हर हाल में चुदना है। क्योंकि आज मैंने तेरे लिये ब्लू फिल्म देखी है।
फिर मैंने उससे कहा- तुम मेरी बुआ हो उस दिन जो हुआ वो ग़लत था। और जब तुमको सब पता था तो तुमने मुझको रोका क्यों नहीं?
बुआ ने कहा- मैं तेरे लंड को देख कर गरम हो गई थी। और तेरे लंड की दीवानी भी। क्योंकि आज तक मुझको इतना मोटा और लम्बा लंड कभी भी नहीं मिला हैं। क्योंकि तेरे फूफा के सिवाय मैं आज तक किसी और से नहीं चुदी हूँ। और उसका लंड तो बहुत छोटा और पतला हैं। और वो बस मुझको चोदता हैं और सो जाता है चाहे मैं झड़ूं या ना झड़ूं। उसका लंड ठीक से अन्दर नहीं जाता है जिससे मुझको सही मजा नहीं आता है और मैं हमेशा तड़पती रहती हूँ। और कभी उंगली से तो कभी लम्बे बैंगन से अपनी प्यास बुझाती हूँ। तूने भी उस दिन खुद तो मज़ा ले लिया और अपनी बुआ को तड़पते हुए छोड़ दिया। पर आज सुबह जब तेरा फूफा मुझको चोद कर खुद ही झड़ कर चला गया और मुझे बिना झड़े छोड़ गया तो मैं ब्लू फिल्म देखने लगी तो मुझको तेरा ख्याल आया कि तू भी तो मुझको चोदना चाहता हैं।
फिर उसने अपनी ब्रा उपर की और मेरे मुंह में अपनी चूची का दाना देने लगी। फिर मैंने अपना मुंह बंद कर लिया।
उसने कहा- तू मुझको मत चोद पर जो मैं कर रही हूँ वो तो करने दे। वरना मैं तेरी उस हरकत के बारे में सब को बता दूँगी।
और मैं डर गया। और मैंने कहा जो करना है कर लो। और मैं चुपचाप पड़ा रहा। पर मैं आज सच्ची में बुआ के साथ नहीं करना चाहता था।
फिर बुआ ने मेरा अंडरवियर उतारा और मेरे लंड की खाल को आगे पीछे करने लगी। यानी वो मेरी मूठ मार रही थी। और अपने एक हाथ से अपनी चूत में उंगली कर रही थी। फिर बुआ ने मेरे लंड को अपनी चूची के बीच में फंसाया और अपनी चूची को मेरे लंड से चोदना शुरू कर दिया।
अब मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था। फिर मैंने बुआ को अलग कर दिया। पर आज तो बुआ मुझसे अपनी चूत की प्यास बुझाना चाहती थी। फिर बुआ उठी और उसने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसे उतार दिया। बुआ ने नीचे मिनी स्कर्ट पहनी हुई थी। क्योंकि बुआ नर्स हैं। ‍इसी कारण वो अपने घर पर पेटीकोट के नीचे स्कर्ट पहनती है। और बुआ अपने घर पर ‍अधि‍कतर स्कर्ट और ब्रा में ही रहती हैं ताकी जब भी क्लीनिक पर जाना हो तो बस नर्स वाला गाऊन पहना और चल दी। जो उसने अपने घर के बाहर के कमरे में खोल रखा हैं।
अब बुआ ने अपनी स्कर्ट उठाई और मेरे लंड बैठने लगी तो मैंने उसको धक्का दिया और जाने लगा। पर बुआ तो आज एक मर्द की तरह हो रही थी। और उसने मुझको अपनी तरफ खींचा और मेरे लंड के ऊपर चढ़ कर बैठ गयी। अब मैं अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करता रहा।
तो बुआ ने मुझे दो थप्पड़ मारे और बोली- चोद अपनी बुआ को।
फिर उसने अपने हाथ से मेरे हाथ पीछे किए और अपनी साड़ी से बेड से बाँध दिए। फिर उसने अपनी स्कर्ट उपर की और मेरे लंड पर अपनी चूत रगड़ने लगी। उसकी चूत से चिकना और गरम पानी निकल रहा था।
करीब दस मिनट बाद मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया। अब उसने मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर सीधा खड़ा किया और अपनी चूत को मेरे लंड पर रख कर बैठ गयी। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में बिना किसी रुकाबट के अंदर चला गया।
फिर बुआ हँसी और बोली- बोल ! बुआ लंड ! आ रहा है मज़ा।
मैं चुप पड़ा रहा।
फिर वो बोली- मैं तुझको बहुत मज़ा दूँगी। जब भी तेरा मन चूत मारने का करे तो तू बता देना तेरी ये रंडी आ जायेगी। फिर बुआ मेरे लंड पर धक्के लगाने लगी। बुआ ने अपनी ब्रा से एक चूची को निकाली और मेरे मुंह में दे दी और बोली- आज तू इस रंडी का दूध भी पी।
मैं उसकी चूची पी नहीं रहा था। तो बोली- बुआ चोद ! पी इसे !
मैं डरकर उसे पीने लगा। बुआ की चूची एक दम सख़्त हो गई थी। अब बुआ को मज़ा आने लगा था। फिर वो उठी और उसने अपनी चूत को पौंछा। मैंने सोचा कि वो झड़ चुकी है पर पता ही नहीं था कि वो अभी भी झड़ी नहीं है।
फिर उसने मेरे लंड को अपनी ब्लाउज से पौंछा और बोली- अब मैं अपनी चूत को सुखा लूं।
फिर उसने अपनी चूत को एक दम सुखा लिया। वो बोली- ले अब सुखी चूत मार। अपनी बुआ की सूखी चूत मारने में तुझको बहुत मज़ा आएगा। और वो मेरे खड़े लंड पर बैठ गई। उसने एक बार में ही पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया। और वो ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगी।
करीब दस मिनट बाद मैं झड़नेवाला था तो मैने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
तो वो रुक गई। फिर उसने पाँच मिनट बाद धक्के मारने शुरू किये। अब की बार बुआ पूरा लंड बाहर निकालकर जड़ तक लंड को पूरा अंदर कर रही थी। और धक्के भी ज़ोर से मार रही थी। बुआ की स्पीड बढ गई और वो मुझसे चिपक गई। मैं भी बुआ से अपने आप चिपक गया। हम दोनो एक साथ झड़ चुके थे। बुआ मेरे कान में बोली- आया अपनी इस रंडी बुआ को चोदने में मज़ा।
उस रात बुआ ने मुझे तीन बार चोदा और हम तीनो बार एक साथ ही झड़े। बुआ ने मेरा सारा पानी अपनी चूत में ही छुड़वाया था। फिर सुबह को बुआ नहाकर चाय बनाकर लाई और बोली- रात कैसी रही?
मैं बोला- बुआ मैं तो अपने मन से तुम्हारा ख्याल निकाल चुका हूँ, मैं बहुत शर्म महसूस कर रहा हूँ।
फिर बुआ बोली- ठीक है। अब ऐसा दोबारा नहीं होगा। उस दिन तूने मुझको चोदा और आज मैने तुझको चोद दिया। हिसाब बराबर तुझको शर्म आती है तो ठीक हैं। और बुआ वहाँ से अपने क्लीनिक पर जाने के लिये तैयार होने के लिये चली गई।
पर फिर मैंने दिन में बुआ की गांड भी मार ली। ये अगली कहानी में।
अगर आपको कहानी अच्छी लगी हो तो आगे लिखूंगा।
मेरा ई-मेल
gap4u11@yahoo.com
चढ़ी जवानी बुढ्ढे नू
April 1st, 2009
No comments
लेखिका : नेहा वर्मा
मेरा नाम राजेश है। मैं इन्दौर में रहता हूँ। मेरी उमर अभी ५२ वर्ष है। मैं एक सरकारी नौकरी में हूँ। मैने कुछ ही दिनों से अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। मुझे भी अपनी आप बीती लिखने की इच्छा हुई। मुझे ये बताने में जरा भी संकोच नहीं है कि ये सब मैने नेहा वर्मा के कहने पर उसे बताया। और उसी ने मेरी आप बीती आप लोगों को बताने को कहा और आप तक पहुंचाया।
यूं तो मेरी आप बीती आप लोंगो को बहुत साधारण सी लगेगी…. क्योंकि ऐसा बहुत से लोगों के साथ होता है। सच तो यह है कि नेहा की कहानी “अंकल की प्यास” कुछ कुछ मुझे अपनी सी लगी।
मैने अदिति से लव मेरिज की थी। वो बहुत ही सेक्सी लड़की थी। हमने अपनी जिन्दगी में बहुत सेक्स का लुफ़्त उठाया, जैसा कि सभी लुफ़्त उठाते है। मेरी बचपन की गलत आदतों से मेरा लण्ड पिछले कई साल से कुछ ढीला पड़ गया था। अब धीरे धीरे रही सही कसावट भी जाती रही। बाज़ार में मिलने वाली सभी दवाईयों को मैं आजमा चुका था।
मेरा डाक्टर दोस्त ने भी खासे एक्सपेरिमेंट मेरे ऊपर किये….पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। एक बार तो मैने क्रीम का भी उपयोग किया …. पर उसका तो और ही उल्टा प्रभाव हुआ। नीम हकीमों के पास भी गया….कई बार तो मेरी तबियत भी इतनी खराब हो गई कि मुझे होस्पिटल में भरती होना पड़ा। इसलिये मेरा आपसे भी ये अनुरोध है कि आप भी अगर ऐसी कोई समस्या से पीड़ित हो तो कृपया नीम हकीम के चक्करों में ना पड़े।
मेरी इस हालत का असर मेरी पत्नी पर भी हुआ। अब वो मेरे से दूर रहने लगी। सेक्स की बात तक नहीं करती थी। मेरे हाथ भी लगाने से उसे अच्छा नहीं लगता था। धीरे धीरे मेरे सुनने में भी आने लगा कि अदिति के किसी दूसरे के साथ लग गई है। घर में इस बात को लेकर मैं उलझ भी पड़ता था। कइ बार मैने पत्नी से विनती भी की कि मुझे भी बहुत इच्छा होती है…. मुझे ऊपर से सहला कर या मुठ मार कर….या लण्ड चूस कर मेरा वीर्य निकाल दिया करो। पर उसका कहना था कि ऐसे करने से उसके तन बदन में आग लग जाती है….उसे कौन चोदेगा फिर। मेरा कहना था कि फिर मैं कहां जाऊं। किससे कहूं…. किसके साथ अपनी प्यास बुझाऊं।
अब तो ये हाल है कि मेरी पत्नी मुझसे ज्यादा बात ही नहीं करती। अब अलग कमरे में सोता हूँ…. बस देर रात तक मैं पोर्न साईट देखता रहता हूँ और मुठ मार कर अपना माल निकाल देता हूँ। अब तो इसकी मुझे आदत सी हो गई है।
इन्हीं दिनों मेरी मुलाकात नेहा से हुई। वो किसी समय में अदिति की छात्रा थी। उसमें मुझे कोई बात अलग सी लगी। उसके बात करने का अन्दाज़ और उसकी सहानुभूति का अन्दाज़ भी अलग था ….कहा जाये तो बहुत मधुर स्वभाव की जान पड़ी। हालांकि वो तो मेरे से बहुत छोटी थी। करीब २५ साल की होगी। फ़िगर और सेक्स अपील उसमे बहुत थी। मुझे वो सुन्दर भी बहुत लगती थी।
एक दिन बातों बातों में उसने मुझे पूछ ही लिया “अंकल…. आप अलग क्यो रहते हैं…. ये कमरा तो शायद बैठक है….” ये सीधे मेरे दिल पर चोट थी।
“ऐसी कोई बात नहीं है…. बस मैं लिखता पढ़ता बहुत हूँ….इसलिये मुझे डिस्टर्बेन्स नहीं चाहिये….”
“पर आन्टी तो आपको बुरा भला कहती है….कि बुढ्ढा तो किसी काम का नहीं है…. बस परेशान करता रहता है….” नेहा ने मुझसे हंसी में कहा। फिर एक चोट दिल पर लगी। मेरी आंखे कब गीली हो गई मुझे पता ही नहीं चला। पर मेरे छलकते आंसू नेहा की नजरों से नहीं छुप सके।
मै ऊपर से मुस्कराते हुए बोला….”अदिति….बहुत प्यारी है….वो तो मजाक में कहती है….देख मैं बुढ्ढा लगता हूँ….” अपनी लड़खड़ाती आवाज को मैं खुद भी नहीं छिपा सका।
“सॉरी अंकल…. मेरा मतलब ये नहीं था….सच में सॉरी….” उसने मेरा हाथ थाम लिया। मैं अपने आंसू नहीं रोक पाया पर दो बून्दें टपक ही पड़ी। नेहा को शायद दुख हुआ।
मेरे माथे को चूमती हुई बोली,”आप तो मेरे पिता समान है…. पर मैं तो आपको बोय फ़्रेंड मानती हूँ ना….” मैने माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की। मैने भी हालात को सम्हालने की कोशिश की।
“हाय….मेरी गर्लफ़्रेन्ड…. ” मैने उसके उसके गाल चूम लिये।
“अंकल…. कैसी भी बात हो ….प्लीज़ मुझे बताईये ना….”
“अरे छोड़ ना….जख्मो को कुरेदेगी तो फिर से घाव रिसने लगेगा….”
“एक अन्दर की बात बताऊं….आप को शक है ना कि मैं कामुक कहानियाँ लिखती हूँ….हां अंकल मैं ही वो नेहा हूँ….”
“सच…. देखा मेरा आईडिया सही था ना…. तब मै तुम्हे सब बता सकता हूँ।” मैने उसे धीरज से पूरी कहानी बताई…. नेहा ने मेरी इज़ाज़त लेकर उसे अपने छोटे से रेकोर्डर में रेकॉर्ड कर लिया।
“अंकल बुरा ना माने तो मैं एक बात कहू….”
” हां….हां….कहो मेरी गर्ल फ़्रेन्ड….” मैने उसे हल्का सा मजाक करते हुए कहा।
“आपने बताया कि आप में कमजोरी आ गई है…. मुझे लगता है आप इन्टरकोर्स कर सकते है…. बस आंटी का रूखापन आपको मार गया है….”
” हो सकता है…. आज कल उसके और आनन्द के चर्चे भी हो रहे है…. शायद वो उससे खुश भी है….” मैने अदिति की एक तरह से शिकायत की। पर नेहा का इरादा कुछ और ही था। उसने सीधा मुझ पर वार किया -”मैं कुछ आप पर ट्राई करूं….” उसने मेरी पेन्ट के ऊपर से मेरे लण्ड पर हाथ रखते हुए कहा।
मैं एकदम से शरमा सा गया….असंमजस की स्थिति में हो गया कि अचानक ये क्या….। पर दिमाग ने सोचा कि इससे मेरा क्या लेना देना…. करने दो….ज्यादा से ज्यादा मुझे गाली दे कर चली जायेगी और क्या होगा। मेरी सोच कुछ अलग होने लगी। शायद कुछ स्वार्थ समाने लगा था या मैं मजे का मौका नहीं छोड़ना चाह रहा था।
“क्या…. जैसे…. ” उसका हाथ मेरे लण्ड पर कसता जा रहा था। मुझे तेज सिरहन आने लगी थी। मैने उसे निराशा से कहा -”नेहा…. छोड़ो ना…. कोई फ़ायदा नहीं है….”
जवाब में उसने मुस्कराते हुए अपने होंठ मेरे होंटो पर चिपका दिये…. मुझे धकेल कर सोफ़े पर लेटाने लगी। मेरे हाथों को उसने अपनी छातियों पर रख दिया। मेरी इच्छायें बलवती होने लगी। अन्दर का मर्द जाग उठा। मेरा ठन्डा खून एकाएक उबल पड़ा। मैंने उसे कस लिया। नेहा ने भी ऐसा दिखाया कि जैसे उसे नशा सा आ गया हो।
“मैं आपको खुश कर रही हूँ….कुछ इनाम दोगे….?”
“हाय….नेहा…. तुम कितनी अच्छी हो….”
“अंकल…. अपना पजामा उतारो ना….” नेहा ने भी अपनी जीन्स उतार दी…. आश्चर्य ….मेरा लंड खड़ा हो चुका था….
नेहा बिस्तर पर लेट गई और अपने दोनों पांव ऊपर उठा लिये। उसकी गोल गोल गाण्ड और चूत रोशनी में चमक उठी। उसकी जवानी और नीचे के कटाव गजब के थे…. फूल जैसी चूत की दो पन्खुड़ियां खिल उठी।
“अंकल ….आओ न….” नेहा ने मुझे चोदने का न्योता दिया। मैं लपक कर उसके दोनो पांवो के बीच आ गया…. मेरे अन्दर नई उत्तेजना थी….लण्ड को खड़ा देख कर और जवान लड़की को देख कर मेरी उत्तेजना फ़ूटी पड़ रही थी। मेरा सुपाड़ा भी फूल कर लाल हो गया। पर उसी समय मुझे अपना कोन्फ़ीडेन्स डगमगाता हुआ दिखाई दिया और मेरा लण्ड मुझे ठन्डा होता जान पड़ा। मैने अपना लण्ड नेहा की चूत में लगाया और धक्का दिया। पर हाय…. वो अन्दर नहीं गया और फ़िसल कर नीचे आ गया। मैने फिर से ट्राई किया पर नहीं घुसा।
मैं घोर निराशा में डूब गया। मैं धीरे से उठा और बिस्तर से नीचे आ गया। मेरा मुँह उतर गया था। नेहा तुरन्त बिस्तर से उतर आई और अपनी जीन्स पहन ली।
“अंकल …. आप बिलकुल ठीक है….इतना कठोर था…. बस आप कोन्फ़ीडेन्स छोड़ देते है….”
“नही….नेहा सॉरी…. तुम बेकार ही ये सब कर रही हो….”
“नहीं अंकल…. बस आप मुझे अच्छे लगते है…. मेरा तो मन आप पर आ गया है….” नेहा ने मुझे प्यार करते हुए कहा।
“क्याऽऽऽ….तुम्हारा दिमाग तो सही है न…. मै बुढ्ढा ५२ साल का और अभी तो तुम ….”
“आपकी गर्लफ़्रेन्ड…….. अच्छा अंकल कल मैं इसी समय फिर आऊन्गी…. आंटी तो स्कूल जाती है ना इस टाईम….” नेहा इठलाते हुए चली गई।
मैं सोचता रहा कि क्या कुछ जादू हो गया…. नेहा एक दम से मुझसे कैसे प्यार करने लगी…. हुहं मरने दो…….. साली चालू होगी….। वरना कोई क्या ऐसे ही चुदने को तैयार हो जायेगी ??
अगले दिन ठीक उसी समय नेहा आ गई। मैने सोच लिया था कि आज ये जितना मजा देगी उसका मैं उसे पेमेंट कर दूंगा। आते उसने सवधानी से सभी ओर देखा….
“कोई नहीं है…. ” मैने हंस कर कहा। और वो मुझसे लिपट गई…. उसने फिर से मुझे उत्तेजित करना चालू कर दिया। इस बार मैने सोच लिया था कि मजे करूंगा और उसे कुछ रूपये दे दूंगा। मैने भी उसके बोबे मसलने शुरु कर दिये। उसने मेरा पायजामा खोल दिया।
आज वो साड़ी पहन कर आई थी। उसने साड़ी समेत अपना पेटिकोट ऊंचा कर लिया और बिस्तर पर लेट गई। मुझे ख्याल ही नहीं रहा कि मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। बस मैं उसके ऊपर चढ गया और लण्ड नेहा की चूत में घुसा डाला।
“हाय अंकल…. मैं तो चुद गई…. कस के चोद दो….प्लीज….धक्के लगाओ…. हाय रे….”
मैं उसकी नंगी भाषा से और उत्तेजित हो उठा। और मस्त हो कर उसे चोदने लगा। मुझे लगा कि सारी जन्नत मेरे नीचे है…. सारी नसें खिंच कर लण्ड में भरने लगी। शरीर में फ़ुरहरी छूट गई…. और…. मेरे लण्ड ने फ़ुहार छोड़ दी। नेहा ने मुझे कस कर पकड़ लिया…. मै झड़ता रहा …. लगा मेरे शरीर की एक एक बूंद निकल गई है…. मैं हांफ़ उठा था।
अचानक मुझे मह्सूस हुआ….अरे ये कैसे हो गया….क्या मैने अभी अभी चुदाई की थी। नेहा अपनी साड़ी ठीक कर रही थी।
“थेंक यू माय बॉय फ़्रेंड…. फ़ोर ए नाईस फ़क….” नेहा ने मुस्करा कर कहा।
“नेहा….पर ये सब…. हो गया ना….”
“आप मर्द है….अभी आप सब कुछ कर सकते हो…. पर कल मैं फिर आ रही हूँ…. कल जरा और जोरदार फ़क….थोड़ा ज्यादा देर तक…. ठीक है ना….।”
मैं नेहा से लिपट पड़ा। मैने जेब से उसे १००० रु का नोट निकाल कर दिया….
“नेहा प्लीज मना मत करना…. अपने लिये मेरी तरफ़ से कोई गिफ़्ट ले लेना….”
” बस अंकल…. मेरी बोली लगा दी ना आपने….”
“नेहा नहीं….नहीं…. क्या मैं अपनी गर्लफ़्रेन्ड को कोई गिफ़्ट नहीं कर सकता….?” मैने अपनी नजरे शर्म से झुका ली….जिसमे गलती का अहसास भी था और ग्लानी भी थी….शायद पकड़े जाने की….
“अंकल लाओ ये रुपये अब मेरे…. पर देखा आप कहते थे ना…. आंटी आपको बुढ्ढा कह्ती थी…. अरे अपनी मर्दानगी बता दो उसे…. “
“नेहा …. पर ये अचानक ही कैसे हो गया….”
“एक जैसे लाईफ़…….. एक जैसी रोज की चुदाई…. ज़िन्दगी में एकरसता…. कोई नयापन नही…. नया आसन नही…. वगैरह….ना तो आपमे कोई कमी है और ना ही आंटी में….”
मैं उसे देखता ही रह गया। इतनी सी उमर मे….इतना ज्ञान…. फिर क्या नेहा ने सिर्फ़ मेरा आत्मविश्वास उठाने के लिये ये सब किया।
“अब मैं जाती हूँ…. अंकल कल मैं इसी समय फिर आऊंगी…. याद रहे…. कल कस के चुदाई करना…. कि मुझे नानी याद आ जाये….”
वो लहराती हुई चली गई…. मैं दरवाजे पर खड़ा उसे देखता रह गया…. जिसे मैं शुरु से अपनी बेटी की तरह प्यार करता था उसने मुझे ये सब करके मेरी ज़िन्दगी में फिर से एक आत्मविश्वास जगाया। मुझे अपना बॉय फ़्रेन्ड बना कर मुझे बता दिया कि मैं अभी भी सब कुछ कर सकता हूँ।
ये थी राजेश की आप बीती सच्ची कहानी…. जिसमे मैने अपने आपको हिरोइन के रूप में रखा है। इन दोनो चरित्रों के नाम बदले हुए है। ये आप बीती मुझे एक मेल द्वारा प्राप्त हुई थी। पर मेरा मानना है कि ये एक अस्थाई वासना का रूप है…. जो कि एक जवान लड़की को देख कर आग की तरह भड़क जाती है….तो जल्दी बुझ भी जाती है। एक नयापन जिन्दगी में आता है…. । नसों में नया जोश….नया खून दौड़ पड़ता है…. लण्ड एक बारगी तो फ़ड़फ़ड़ा उठता है…. और आगे….
nehaumavermaa@gmail.com
प्यार से चुदाई
April 1st, 2009
No comments
प्रेषक : नीलेश शाह
एक बेहद खूबसूरत लड़की ….जिसे देख कर ही लण्ड पानी छोड़ दे, इतना कमसिन बदन था उसका !
मगर बहुत ही तेज मिजाज होने के कारण किसी की हिम्मत नहीं होती थी उस के नजदीक जाने की …..
कई लड़के उसके नाम से मुठ ही मार पाते थे, मैं भी उसी मुठ-मार दल का सदस्य था ….
रहती मेरे पड़ोस में थी, मगर दूर की खुशी थी …
एक दिन उसके पाँव में चोट आई ….अकेले चल फ़िर नहीं सकती थी, और उसी दौरान उसके परिवार को किसी नजदीकी रिश्तेदार की शादी में जाना था …तो दो दिन उसको मेरी मॉम की निगरानी में छोड़ के मजबूरन उनको जाना पड़ा ….
अनजाने में वो आग का गोला मेरे हाथ भी लग गया ….
मॉम ने कहा कि उस को कंपनी देना तुम्हारा काम है और ये भी ध्यान रहे कि उसका ख्याल रखने में कोई कमी नहीं आनी चाहिए क्यूंकि उसके परिवार ने हमारे भरोसे उसे अकेला छोड़ा है …
मॉम से इज़ाज़त मिलते ही में उसके घर चला गया ….
मैंने पूछा- कैसी हो मधु ?
वो बोली- ठीक हूँ पैर में दर्द है और बुखार भी है शायद !
मैंने कहा- कोई बात नहीं ! जब मैं आ गया हूँ बुखार भी गायब हो जाएगा ….मैं उस से बात करते हुए बातों में खुल रहा था और उसे भी मेरी बातों से दर्द कम होता महसूस हो रहा था …इतनी बातों में वो भी तल्लीन हो गई थी …
अचानक उसने कहा- यार मुझे पता नहीं था तुम इतने अच्छे दिल वाले हो ! मैं तुम्हें भी आम लड़कों की तरह चालू समझती थी, मगर तुम तो बड़े प्रतिभाशाली और अच्छे दिल वाले इंसान हो !
मैंने कहा- शुक्रिया मधु ….!
हमारी बाते चल रही थी कि उसने कहा- मेरे सर में दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- अगर तू इजाजत दे तो तेरे सर का ही नहीं, तेरे पाँव का दर्द भी मैं गायब कर दूँ …
उसने कहा- कैसे ?
मैंने कहा- तू सिर्फ़ इजाजत दे, फ़िर बताता हूँ ….
उसने हामी भर दी और मैं शुरू हो गया अपनी किस्मत के दरवाजे खोलने की कोशिश में …
मैंने धीरे से उसके सर पर किस की और उसके बालों को सहलाने लगा धीरे धीरे …उसको किस कर रहा था। फ़िर भी उसके चेहरे पर नाराजगी नहीं दिख रही थी तो मैं हिम्मत करके आगे बढ़ा और उसकी आँखों को चूमा बड़े प्यार से उसकी ओर देखा और अब हिम्मत भी आ गई यह देख के कि वो प्यार से पिंघल रही है …..मैंने उसके नाक पर किस की …उसके गालों पर किस की …
इस समय भी उसके बालों को सहला रहा था मैं और किस करते हुए आगे बढ़ रहा था …
अपने गरम होठों से उसके पूरे बदन को चूमने का तय कर लिया था अब मैंने ….
अब मैं उसके गले पर किस कर रहा था और गले के आसपास भी बहुत ही प्यार से किस कर रहा था और वो भी शायद उस प्यार में डूब रही थी.. आँखें मूँद के मेरे अस्तित्व को महसूस कर रही थी …
मैंने हिम्मत करके उसके स्तन पर किस की और उसी दौरान उसने मेरे मुँह को दोनों हाथो से पकड़ कर अपने स्तनों पर दबा दिया ..
मैं उसके बदन की खुशबू लेता हुआ वहीं पड़ा रहा ….
उसने कहा- मेरे बदन में सिहरन दौड़ रही है ! प्लीज़ कुछ करो …
फ़िर मैंने उसके टॉप को निकाल दिया। मैं बहुत ही प्यार से उसके कपड़े उतार रहा था और उसे चूमे जा रहा था ..
अब उसके बदन पर सिर्फ़ ब्रा पैंटी ही थी ….
मैंने उसके बदन पर मेरी निगाह डाली तो देखता ही रह गया ..गुलाबी बदन चमक रहा था ! इतनी सेक्सी लग रही थी वो कि मुझे ख़ुद पर कंट्रोल पाना मुश्किल था, लण्ड बेहद तन गया था और दर्द कर रहा था। मगर अभी कुछ करना, बना बनाया खेल बिगड़ना सा लगता था ….
तो मैं फ़िर से उसे चुम्बनों से नहलाने लगा। स्तनों से अब थोड़ा नीचे आया, उसके समतल पेट को चूमा और अब उसकी नाभि की ओर बढ़ा।
अपनी जीभ को घुमाया उसकी नाभि में और चाटना शुरू किया हौले हौले नाभि के आस पास जीभ को गोल गोल घुमाते हुए उसे चाट रहा था …उसके बदन में गर्मी बढ़ रही थी ….वो दबे मुँह सिसकियाँ ले रही थी और उसका गोरा सा बदन मचल रहा था। मगर अब भी वो चुपचाप मजे ले रही थी कोई हरकत नहीं कर रही थी ….
मैं चूमते हुए धीरे धीरे नाभि के नीचे पहुँचा और अब मेरा मुँह उसकी पैंटी के ऊपर था …पैंटी से ही उसकी चूत को चूमा और मुँह को दबाया उसकी चूत पर और तब मैंने देखा कि उसका बदन तेजी से मचल रहा है ….
मैंने धीरे से उसकी पैंटी को नीचे सरकाया …वाह क्या पिंकिश चूत थी उसकी …
बिल्कुल साफ़ सुथरी और थोड़ी सी नम ! ऐसा लगता था मानो गुलाब की पंखुड़ियों से बनी हुई है उसकी चूत जो उसकी गोरी सी चिकनी जांघों के बीच सोई पड़ी थी, आज जाग गई है …
मैंने चूत की ऊपर की किनारी से चूमना शुरू किया और गोल गोल मुँह को घुमाते हुए उसकी चूत को चूमने लगा …बहुत ही मीठी खुशबू उसकी चूत से आ रही थी और मैं पागल हुए जा रहा था …उसकी चूत के बीच के हिस्से में मैं चूम रहा था …चूत गीली हो गई थी और फ़ूल गई थी …बीच का रास्ता खुलता हुआ नजर आ रहा था और उसमें से चूत की गहराई झलक रही थी ….
मैंने अपना कंट्रोल खोते हुए दोनों हाथों से चूत को फैला दी और चूत में जीभ घुसेड़ दी और चाटने लगा और चाटते हुए उसकी गांड को सहलाने लगा। उसी वक्त मैंने मेरे लण्ड पर उसके हाथ को महसूस किया और मैं जोर जोर से चूत चाटने लगा, जीभ को पूरा चूत में घुसेड़ दिया और हिलाने लगा। …मेरा लण्ड मेरी पैन्ट से बाहर आ चुका था और अब उसके हाथों में खेल रहा था। अब मुझे कोई परेशानी नहीं थी, मेरी जान पूरी तरह बेताब और तैयार थी चुदाने को !
मैं अब धीरे से ६९ की पोसिशन में आ गया और अपने लण्ड को उसके मुँह के पास कर दिया … लण्ड को इतना करीब देख के उससे भी रहा नहीं गया और चूत को चटाती रही और लण्ड को अपने मुँह में ले लिया …ऐसे चाट रही थी मानों जन्मों की प्यासी हो और खा जाने वाली हो लण्ड को ! ….अब मैं अपनी पूरी रवानी में था, मेरा लण्ड उसके मुँह में चुदाई कर रहा था और मैं उसकी चूत को जीभ से चाट रहा था ….मैंने जीभ के साथ अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में घुसेड़ दी और चुदाई करता रह। साथ साथ एक ऊँगली उसकी गांड में भी घुसेड़ दी।
मैं मस्ती से गांड मार रहा था, चूत चोद रहा था और लण्ड चुसवा रहा था …मानो में जन्नत की सैर कर रहा था ….उसको चोदने की मुझे कोई जल्दी नहीं थी क्यूंकि एक दो बार ऊँगली से चोद के उसकी कंवारी चूत को मस्त बना के फ़िर चोदना था मुझे …. बहुत तेज रफ्तार से गांड और चूत की चुदाई हो रही थी और वो भी लण्ड को टट्टों से टिप तक चाट रही थी। कभी एकदम से लण्ड को मुँह में ले के आगे पीछे कर देती थी ….ऐसे ही कुछ पल गुजरे और हम दोनों झड़ गए …..
अब मैं उसकी बगल में आ गया और उसके साथ ही लेट गया। चँद मिनटों में मैंने उसके हाथ को अपने बदन को सहलाता पाया और मैं भी उसके बदन को सहलाने लगा ..मैं बहुत ही प्यार से उसके बदन को सहला रहा था। अपने पाँव मैंने उसके पाँव पर जमा दिए थे …. हम प्यार में डूबे जा रहे थे !
तभी उसने कहा- अब मैं सिर्फ़ तेरी हूँ ! जी भर के मेरे साथ जितना प्यार करना है कर !! मैं तेरे हवाले हूँ ….!!!
मैंने उसके बदन को जोर से सहलाना शुरू किया और उसकी ब्रा को अब निकाल दिया उसके मशरूम से बदन पर उसके स्तन क़यामत ढा रहे थे। मैं धीरे धीरे उसे सहलाने लगा, गोल गोल मालिश करते हुए उसके स्तनों को मसल रहा था।
अब उसके अनछुए होठों पर अपने गरम होठों को रख दिया और चूमने लगा, स्तन मसल रहा था और होठों का रस पी रहा था, वो भी मस्ती से साथ निभा रही थी !
हम दोनों अब होठों से होठों का रस पी रहे थे और उसके स्तनों को निचोड़ रहा था मैं ! वो भी मेरी गाण्ड को सहला रही थी। मैं उसके बूब्स और होठों पर टूट पड़ा था। धीरे धीरे बूब्स पर जोर बढ़ता गया मेरा और अब मैंने उसके चूचुकों को भी चुसना शुरू किया- चूचुकों पर जीभ घुमा रहा था, उसके बूब्स मेरे हाथो में मचल रहे थे और मैं चूचुकों के आगे पीछे गोल गोल जीभ घुमाते हुए बूब्स चाट रहा था। ….उसी दौरान मेरा लण्ड उसकी चूत पर रगड़ रहा था …उसकी चूत का गीलापन मेरे लौड़े पर महसूस हो रहा था, लौड़ा मस्त हुए जा रहा था … बूब्स गोरे से लाल होने चले थे ….
अब लण्ड को चूत पर पटकते हुए मैंने उसके बाएँ स्तन को मुँह में ले लिया चूसने लगा और दूसरे हाथ से दायाँ स्तन मसलने लगा …बारी बारी ये क्रम चलाते हुए उसकी चूत को मस्त कर रहा था मैं ……
उससे रहा नहीं गया और पहली बार वो बोली- मेरी जान ! अब मैं सहन नहीं कर पा रही हूँ ! कुछ हो रहा है मेरी चूत में !! अपने लौड़े को उसमें डाल दो …. !!!
मेरे बहुत कहने पर भी वो चूत और लण्ड नहीं बोल रही थी। मैंने सोचा- कोई बात नहीं ! काम वही है प्यार से चोदने का ! चूत हो या पस्सी…..
उसके बूब्स को छोड़ के मैंने उसके पैरो को दोनों हाथो से फैला दिए ….उसकी चूत में उसकी शिश्निका मोती सी चमक रही थी जो इस वक्त सख्त हो गई थी …
चूत से पानी निकल रहा था, मैंने इस मस्त चूत पर अपने लौड़े को रख दिया और उसको गांड से ऊपर करके धक्का दे दिया, चूत में लण्ड थोड़ा सा घुसा और रुक गया। चूत इतनी कसी हुई और रसीली थी कि मेरा लण्ड चूत की गहराई नापने के लिए उतावला हो रहा था।
मगर मुझे पता था कि कुंवारी चूत को हौले से चोदना है …मैंने लण्ड को गहराई में ना ले जाते हुए धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किया ….
लण्ड का मजा लेते हुए वो इतनी मस्त हो गई कि बोली- अब कोक को घुसेड़ ! दो मेरे दर्द की परवाह मत करो …… !!
मैंने तुंरत लण्ड को जोर का धक्का दिया और चूत में घुसेड़ दिया ….उसका योनि-पटल फट चुका था और खून निकल रहा था।
कुछ देर मैं उसकी चूत को लण्ड से सहलाता रहा और जब लगा कि अब कोई खतरा नहीं, मैंने लौड़े की रफ्तार तेज कर दी …
गांड से चूत को लण्ड पर दबाये रखे चूत चोदने लगा ….
बूब्स को मुँह में ले के चूसने लगा और चूत की चुदाई करता रहा …..
वो चिल्लाने लगी- फ़क मी फ़ास्ट !
और मेरा लण्ड बरस पड़ा उसकी चूत पर !
घमासान जंग शुरू हो गया ! चूत और लण्ड के बीच जैसे होड़ लगी थी कि कौन ज्यादा मस्ती देगा लण्ड या चूत …
पहली बार चुदाने के बावजूद इतनी मस्ती से चुदाई करा रही थी कि मजा दुगना हो रहा था … गांड को उछाल रही थी वो !
और लण्ड तेज रफ्तार से चूत फाड़ रहा था ….
हाथ अपना कमाल दिखाते हुए बूब्स को मसल रहे थे और मुँह उसके मशरूम से बदन को चाट रहा था …..
हम दोनों मंजिल की ओर बढ़ रहे थे तब मैंने लण्ड को चूत में से बाहर निकल दिया।
वो चिल्लाने लगी- चोऽऽऽऽदोऽऽऽ मुझे ! मैं मर जाउँगी बिना लण्ड के …. !!
जैसे ही उसने लण्ड बोला, मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रख दिया और लोड़े को जोर का धक्का देते हुए उसकी चूत में घुसेड़ दिया ….
क्या चूत थी उसकी ! मेरा लोहे सा गरम लण्ड उसकी चूत की गर्मी को ठंडा करने को मचल पड़ा ….
लौड़े ने चूत की गहराई नाप ली थी और जोर जोर से चूत को फाड़े जा रहा था !
बूब्स हाथो में खेल रहे थे और चूत चुदाई हो रही थी ….
मंजिल करीब आ रही थी और लोड़े की रफ्तार तेज हो गई थी ….
वो उछल उछल के चुदाई करा रही थी … और लौड़ा पूरी रवानी से चूत चोद रहा था ….
आख़िर हम दोनों ने मंजिल पा ली …निढाल सा मैं उसके बदन पर पड़ा था और वो भी निढाल सी पड़ी हुई लम्बी साँसे ले रही थी …….
हमने एक ही दिन में प्यार के साथ चुदाई का मजा लिया ……
हम दोनों एक दूसरे को सहलाते हुए चुदाई के उस स्वर्गीय आनंद को महसूस कर रहे थे …..
दोस्तों यह मेरे पहला प्यार आज मेरे घर की रानी बनकर मेरे आँगन को महका रहा है और मेरे लौड़े का हर तरह की गालियों से स्वागत करते हुए उसकी चूत चुदवा रहा है …..
जो चूत तक नहीं बोलती थी वो मेरी रानी आज मादरचोद ! चोदो मेरी चूत को ! फाड़ दो ! तक बोलने लगी है ….शादी के बाद की चुदाई का किस्सा फ़िर कभी ….
आपको मेरी ये प्यार की कहानी कैसी लगी मुझे लिखियेगा जरूर ….
nileshshah48@yahoo.in
पड़ोस की कुंवारी लड़की
March 31st, 2009
No comments
प्रेषक : राहुल
हेल्लो दोस्तों !
फ़िर से आपका पुराना दोस्त राहुल, हरयाणा से हाज़िर है आपके लिए एक सेक्स भरी कहानी लेकर !
कहानी शुरू करने से पहले आज मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं कि मुझे स्कूल टाईम से ही सेक्स का बड़ा शौक था इसीलिए मेरे दोस्त मुझे सेक्स-गुरु कहते थे। किसी को भी कोई परेशानी होती थी, किसी लड़की को लेकर, वो मेरे पास आता था और मैं उसकी समस्या हल कर देता था। एक तरह से कहो तो दोस्तों मैंने सेक्स में और प्यार में पी.ऐच.डी. की हुई है ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका मेरे पास हल नहीं।
चलो बहुत देर हुई आपको बोर करते हुए अब आते हैं आज की कहानी पे !
मेरी पिछली कहनी चूत का प्यासा के मुझे बहुत उत्तर मिले। बहुत सी लड़कियों और औरतों की मेल्स मिली मुझे बहुत ही अच्छा लगा।
यह कहानी है मेरे एक पड़ोस की लड़की की जो देखने में कयामत थी उसका नाम था शबनम। और वो देखने में भी किसी फूल से कम नहीं थी वो। क्या कहूँ, बिल्कुल कैटरिना लगती थी। मैं जब भी उसे देखता मेरा लंड मेरी पैन्ट को फाड़ने लगता था, जिसको कंट्रोल करना बहुत ही मुश्किल होता था।मैं हमेशा उसे चोदने की तरकीब सोचता और कई बार तो उसके बारे में सोच कर मुठी भी मारता। मैं हर किसी को समस्या का हल देता लेकिन मेरी हिम्मत ही न होती उससे बात करने की।
एक दिन मैं कुछ सामान लेने बाजार जा रहा था वो मुझे रास्ते में मिली और मुझे देख कर मुस्कुरा के निकल गई। उस दिन मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ। फ़िर एक दिन शाम के समय वो अपने घर के बाहर खड़ी थी और मैं जा रहा था तो उसने मुझे रोका और कहा- राहुल ! क्या आपके पास ऍम.बी.ए. के नोट्स हैं?
यह सुन कर मैं हैरान था कि उसे कैसे मालूम कि मेरा नाम राहुल है और उसे कैसे मालूम कि मैंने ऍम.बी.ए. किया है। फ़िर मैंने उसे नोट्स देने का वादा करके वहाँ से निकल गया। इसी तरह उसकी और मेरी दोस्ती आगे बढ़ी अब तो हम फ़ोन पे भी बात करने लगे। बस मैं तो मौके की तलाश में था कि कब मुझे उसकी चोदने को मिले।
एक दिन वो मेरे घर पे आई उस समय मैं घर पे अकेला था, घर पे कोई नहीं था, और मैं सुबह से ही बड़े ही रोमांटिक मूड में था। उसको देखते ही मेरे लंड ने फ़िर से सलामी दी और मैं मन ही मन बडा खुश हुआ। उसने मुझसे कुछ प्रोबलेम्स समझनी थी. उस दिन वो लॉन्ग स्कर्ट और शोर्ट टॉप पहने हुई थी। दोस्तों क्या कयामत लग रही थी वो। उसका फिगर एक दम परफेक्ट था ३६-२४-३६ जिसे देख कर मैं पागल हो गया।
हम दोनों मेरे बेडरूम में गए और मैं उसके लिए कोल्ड ड्रिंक लाया। फ़िर हम प्रोब्लेम्स हल करने लगे। जब वो झुकती तो उसके बूब्स देख कर मेरा मन उसे चोदने को करता। थोड़ी देर बाद मैंने हिम्मत करके उसकी कमर पे हाथ रखा और मसलने लगा उसने कोई भी आपत्ति नहीं की। मेरी हिम्मत बढ़ गई। धीरे धीरे मैंने अपना हाथ उसके बूब्स पे रखा और उन्हें दबाने लगा वो फ़िर भी चुप चाप बैठी रही। फ़िर मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट में हाथ डाला तो वो मेरी तरफ देखने लगी और बोली क्या कर रहे हो?
मैंने उसके दोनों होंठ जो गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थे अपने होठों में दबा लिए और उसे किस करने लगा। वो भी थोड़ी देर बाद मेरा साथ देने लगी। यह देख कर मैंने उसके बूब्स जोर जोर से दबाने शुरू कर दिए। उसकी आँखों में मस्ती छाने लगी। उसने अपने दोनों हाथ मेरे बालो में डाल लिए और मुझे पागलो की तरह किस करने लगी।
मैंने उसक टी-शर्ट उतार दी उसने काले रंग की ब्रा डाली हुई थी और उसके बूब्स उसमें से बाहर झांक रहे थे। मैंने उसके दोनों कबूतरों को ब्रा की कैद से आजाद करवाया और उन्हें अपने हाथो से दबाने लगा।फ़िर मैंने उसका एक बूब अपने मुँह में लिया और उसे बच्चों की तरह चूसने लगा।
वो ऊऊऊऊऊउ आआआआआआआअ आ आआ आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की तरह सेक्सी आवाजें निकालने लगी। उसका हाथ मेरे लंड पे चला गया और उसने अन्दर हाथ डाल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसके साथ खेलने लगी। फ़िर मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार दी। उसने क्रीम रंग की पैंटी डाली हुई थी। मैंने जैसे ही उसकी पैंटी उतारी उसकी चूत देख कर मैं अपने होश गंवा बैठा। ऐसी चूत मैंने अपनी पूरी लाइफ में नहीं देखी थी।
उसके होठों से भी नाजुक और गुलाबी गुलाबी उसकी चूत जिस पे एक भी बाल नहीं था। मैंने उसकी चूत को जैसे ही छुआ, वो चिहुक पड़ी। मैंने उसकी चूत को अपने होठों की कैद में ले लिया वो पागलों की तरह अपने हाथों से अपने बूब्स दबाने लगी और ऊ ऊऊऊऊ आ आआ आआ ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्छ सेक्सी आवाजे निकलने लगी।
मैंने फ़िर उसे अपना लौड़ा मुँह में लेने को कहा। उसने पहले तो मना किया फ़िर मेरे जोर देने पे उसने मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और फ़िर खूब चूसा जैसे एक छोटा बच्चा लोली-पॉप को चूसता है। थोड़ी देर में मैं जब आने वाला था तो मैंने अपना सारा वीर्य उसके मुँह में दे दिया और वो भी बड़े प्यार से पी गई।
उसके बाद मैंने उसकी टांगें फ़ैलाई और उसकी चूत पे अपना लंड रखकर एक धक्का दिया और वो पागलो की तरह चिल्लाने लगी। उसकी चूत कुँवारी थी। मैंने देखा तो उसकी चूत में से खून निकल रहा था। वो रोने लगी और मुझे कहा कि बाहर निकाल लो। पर मैं उसके होठों को चूसने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा थोडी देर में जब वो शांत हुई तो मैंने एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो जोर से चिल्लाई जैसे पता नहीं क्या हो गया हो।
मैंने उसके होंठ अपने मुँह में ले लिए। उसकी आँखों से आंसू निकल आए। थोडी देर बाद वो सामान्य हुई तो मैं अपना लण्ड अन्दर बाहर करने लगा और वो भी पूरा सहयोग देने लगी और पूरा कमरा प्प्प्फ्ह्ह्ह्ह्होह्ह्क्क्बक्क्क्किक्छ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊउ आआआआअ ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्हह्ह्ह्ह की सेक्सी आवाजों से गूंजने लगा। १०-१५ मिनट बाद वो झड़ गई थोडी देर में मैं भी झड़ गया। फ़िर हम दोनों ने उस दिन ३-४ बार सेक्स किया और वो बहुत ही खुश नज़र आ रही थी……और वो घर चली गई …….
कुछ दिन बाद उसने मुझे अपने घर बुलाया और उस दिन उसके साथ उसकी एक फ्रेंड भी थी और वो भी बहुत सेक्सी थी। दोनों के साथ सेक्स की कहानी मैं बताऊंगा आपको अगली कहानी में जल्दी ही !
अब आपसे इजाजत चाहूँगा आपका प्यारा राहुल और उसका लण्ड।
प्यासी चूत ! मुझे मेल्स भेजना मत भूलना ……….
म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्मूऊऊऊऊउआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्

6 comments:

  1. Hindi sexy Kahaniya - हिन्दी सेक्सी कहानीयां

    Chudai Kahaniya - चुदाई कहानियां

    Hindi hot kahaniya - हिन्दी गरम कहानियां

    Mast Kahaniya - मस्त कहानियाँ

    Hindi Sex story - हिन्दी सेक्स कहानीयां


    Hindi sexy Kahaniya - हिन्दी सेक्सी कहानीयां

    Chudai Kahaniya - चुदाई कहानियां

    Hindi hot kahaniya - हिन्दी गरम कहानियां

    Mast Kahaniya - मस्त कहानियाँ

    Hindi Sex story - हिन्दी सेक्स कहानीयां


    Hindi sexy Kahaniya - हिन्दी सेक्सी कहानीयां

    Chudai Kahaniya - चुदाई कहानियां

    Hindi hot kahaniya - हिन्दी गरम कहानियां

    Mast Kahaniya - मस्त कहानियाँ

    Hindi Sex story - हिन्दी सेक्स कहानीयां


    Hindi sexy Kahaniya - हिन्दी सेक्सी कहानीयां

    Chudai Kahaniya - चुदाई कहानियां

    Hindi hot kahaniya - हिन्दी गरम कहानियां

    Mast Kahaniya - मस्त कहानियाँ

    Hindi Sex story - हिन्दी सेक्स कहानीयां


    Hindi sexy Kahaniya - हिन्दी सेक्सी कहानीयां

    Chudai Kahaniya - चुदाई कहानियां

    Hindi hot kahaniya - हिन्दी गरम कहानियां

    Mast Kahaniya - मस्त कहानियाँ

    Hindi Sex story - हिन्दी सेक्स कहानीयां


    ReplyDelete
  2. मुझे बकवास आह आह , मैं बड़ा डिक की जरूरत है , कौन बड़ा लंड है जल्दी आना मेरी बिल्ली में अपने 12 इंच का लंड दर्ज .मेरे साथ असली सेक्स के लिए ,अपने सेक्स लड़की के रूप में विज्ञापन मुझे >>> सीमा शर्मा

    मुझे और अधिक मनोरंजन के साथ वास्तविक सेक्स में >>> सीमा शर्मा

    For more entertainment >> असंतुष्ट गृहिणी के साथ सेक्स

    भारतीय सेक्सी भाभी के साथ सेक्स

    भाई बहन की सेक्स कहानियां

    माँ और बेटे की सेक्स कहानियां

    पिता और बेटी की सेक्स कहानियां

    भारतीय गर्म सेक्स वीडियो

    तमिल और तेलुगू गर्म सेक्स वीडियो

    भारतीय पशु सेक्स कहानियां और वीडियो

    बहन की चुदाई और गर्म सेक्स वीडियो

    माँ की चुदाई और गर्म सेक्स वीडियो

    पिता और बेटी की चुदाई और गर्म सेक्स वीडियो

    वास्तविक बहन भाई सेक्स वीडियो

    रियल भारतीय बलात्कार सेक्स वीडियो और कहानियों

    भारतीय कॉल लड़कियों के फोन नंबर और गर्म सेक्सी छवि

    पाकिस्तानी लड़कियों को सेक्स वीडियो और उर्दू सेक्स कहानी

    शिक्षक और छात्र सेक्स टेप गर्म सेक्स वीडियो

    भारतीय समूह सेक्स वीडियो और गर्म तस्वीर































































































































































































































































































































    ReplyDelete
  3. Click Here>>चुद (योनि) मे केला Banana in the vagina Nude Images

    nude images,Click Here>>बोबे की तस्वीरे

    ,भाभी के बोबे,पत्नी के बोबे,माँ के बोबे,Click Here>>बहेन के बोबे

    ,रंडी के बोबे,नोकरानी के बोबे,टीचर के बोबे,मेडम के बोबे,Click Here>>मोटे मोटे बोबो की नंगी तस्वीरे -

    nude images,Click Here>>बोबे की तस्वीरे

    ,भाभी के बोबे,पत्नी के बोबे,Click Here>>माँ के बोबे

    ,बहेन के बोबे,Click Here>>प्रियंका चोपड़ा दंग करने वाली तस्वीरें,अंतरंग सीन्स बॉलीवुड से चूत चुदाई ज्ञान तक लगातार सेक्स करके ...रंडी के बोबे

    ,नोकरानी के बोबे,टीचर के बोबे,मेडम के बोबे,मोटे मोटे बोबो की नंगी तस्वीरे - Click Here>>nude images

    ,बोबे की तस्वीरे,भाभी के बोबे,पत्नी के बोबे,माँ के बोबे,बहेन के बोबे,Click Here>>रंडी के बोबे

    ,नोकरानी के बोबे,टीचर के बोबे,मेडम के बोबे,मोटे मोटे बोबो की नंगी तस्वीरे - nude images,बोबे की तस्वीरे,भाभी के बोबे,पत्नी के बोबे,माँ के बोबे,Click Here>>बहेन के बोबे

    ,रंडी के बोबे,नोकरानी के बोबे,Click Here>>टीचर के बोबे

    ReplyDelete
  4. For an extended time we area unit for sure understood personal dignitary Escort addresses in India! – We are Stable, large and have an in depth shopper base, with no danger as we provide full protection.

    Independent Escorts in Vadodara

    Vadodara Escorts Services

    Callgirls in Vadodara

    ReplyDelete